सार
सियासी जानकारों का कहना है कि अखिलेश किसी भी हालत में 2024 और फिर 2027 में समाजवादी पार्टी की परफॉरमेंस बेहतर करना चाहते हैं। यही कारण है कि इस बार वह अपनी पुरानी गलतियों को दोहराने की भूल नहीं कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति बदल दी है। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ सपा प्रमुख ने अलग अंदाज अपनाना शुरू कर दिया है। 2017 चुनाव में मिली हार के बाद वह ऐसा नहीं कर पाए थे।
सियासी जानकारों का कहना है कि अखिलेश किसी भी हालत में 2024 और फिर 2027 में समाजवादी पार्टी की परफॉरमेंस बेहतर करना चाहते हैं। यही कारण है कि इस बार वह अपनी पुरानी गलतियों को दोहराने की भूल नहीं कर रहे हैं।
1. हर मुद्दे पर भाजपा को घेरना : अखिलेश यादव हर मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेर रहे हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद से वह ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं। हर रोज वह कम से कम दो ट्वीट करते हैं। इसमें अलग-अलग घटनाओं के जरिए भाजपा सरकार पर निशाना साधते हैं। यही कारण है कि उन्होंने लोकसभा की सदस्यता छोड़कर यूपी विधानसभा की सदस्यता जारी रखी है।
2. सोशल मीडिया को बनाया हथियार : भाजपा ने जिस सोशल मीडिया को हथियार बनाकर 2014, 2017, 2019 और फिर 2022 में जीत हासिल की उसे ही अब अखिलेश इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी के सहारे अखिलेश भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में जुट गए हैं।
3. धरना-प्रदर्शन का सहारा : समाजवादी पार्टी मुखिया ने अलग-अलग मुद्दों पर धरना प्रदर्शन के जरिए भाजपा सरकार को घेरने का फैसला लिया है। इसके लिए पार्टी के जिला स्तर के नेताओं को भी कहा गया है कि वह छोटी सी छोटी घटना को आम लोगों के सामने रखें।
2017 चुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश यादव ने ईवीएम का मुद्दा उठाया था। भाजपा पर धांधली का आरोप लगाकर कुछ ही दिनों में वह शांत हो गए थे। 11 मार्च 2017 को विधानसभा चुनाव का परिणाम आया था। इसके बाद उन्होंने छह अप्रैल 2017 तक यानी 26 दिन में महज 10 ट्वीट किए। इसमें तीन ट्वीट थे, जिसके जरिए उन्होंने भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। उनमें से भी दो ट्वीट ईवीएम की जांच को लेकर थे। एक ट्वीट किसानों की कर्ज माफी के वादे को लेकर था।
कुछ यही आलम 2019 में भी देखने को मिला। लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम आने के 26 दिन के अंदर अखिलेश ने केवल 22 ट्वीट किए थे। इसमें 10 ट्वीट भाजपा सरकार के खिलाफ थे, जबकि अन्य 12 ट्वीट में तीज-त्योहार की बधाई और कुछ में अलग-अलग कार्यक्रमों की तस्वीर शेयर की गई थी।
इस बार का क्या है आलम?
2017, 2019 और फिर 2022 में मिली हार के बाद अखिलेश बदले नजर आ रहे हैं। इस बार 10 मार्च को चुनाव परिणाम आए थे। तब से लेकर आज तक यानी 26 दिनों में उन्होंने कुल 52 ट्वीट किए। इसमें 45 ट्वीट भाजपा सरकार के खिलाफ है। मतलब साफ है कि अखिलेश अब हर तरह से भारतीय जनता पार्टी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
विस्तार
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति बदल दी है। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ सपा प्रमुख ने अलग अंदाज अपनाना शुरू कर दिया है। 2017 चुनाव में मिली हार के बाद वह ऐसा नहीं कर पाए थे।
सियासी जानकारों का कहना है कि अखिलेश किसी भी हालत में 2024 और फिर 2027 में समाजवादी पार्टी की परफॉरमेंस बेहतर करना चाहते हैं। यही कारण है कि इस बार वह अपनी पुरानी गलतियों को दोहराने की भूल नहीं कर रहे हैं।
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