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श्रीलंका आर्थिक संकट: देश की अर्थव्यस्था को उबारने के लिए विश्व बैंक आया आगे, आपातकालीन सहायता देने को तैयार

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Wed, 20 Apr 2022 02:39 PM IST

सार

कर्ज के जाल में फंसकर कंगाल हुए श्रीलंका में बिकड़े हालात किसी से छुपे नहीं हैं। भारत पड़ोसी देश की हर संभव मदद कर रहा है, वहीं अब विश्व बैंक द्विपीय देश को इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से उबारने के लिए आगे आया है। विश्व बैंक ने श्रीलंका को आपातकालीन सहायता देने पर हामी भरी है। 

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इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट को झेल रहे द्विपीय देश श्रीलंका के लिए बुधवार को एक राहत भरी खबर आई। दरअसल, कर्ज के जाल में फंसकर कंगाल हो चुकी सोने की लंका के लोगों की रक्षा करने के लिए अब विश्वबैंक आगे आया है। इस संबंध में जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को उबारने के लिए विश्व बैंक ने आपातकालीन सहायता देने पर हामी भरी है।  

विश्व बैंक उपाध्यक्ष ने दिया भरोसा
बता दें कि श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठकों के लिए अमेरिका के वाशिंगटन में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व बैंक के उपाध्यक्ष हार्टविग शेफर और अली साबरी के बीच मंगलवार को इस मुद्दे पर लंबी बातचीत हुई। इस दौरान साबरी ने श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते भयावह हुए हालातों के बारे जानकारी दी। बैठक के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने और कमजोर लोगों की रक्षा करने के लिए राहत कार्यों पर चर्चा की। यहां बता दें कि श्रीलंका जो कि दिवालिया होने की कगार पर है। देश में उपजे हालात 1948 में ब्रिटेन से अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब हैं। 

श्रीलंका के हालात पर जताई चिंता 
शेफर ने कहा कि श्रीलंका में जो वर्तमान संकट चल रहा है, स्थानीय लोग खाने-पीने की चीजों के लिए मोहताज हैं, पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं और महंगाई एशिया में सबसे अधिक श्रीलंका में हो चुकी है। इस सभी हालातों को देख विश्व बैंक चिंतित है। उन्होंने कहा कि इन सभी चिंताओं के मद्देनजर विश्व बैंक देश के परेशान और कमजोर लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार है और श्रीलंका को आपातकालीन सहायता देने पर राजी है। इस सहायता से लोगों को जरूरत के सामानों की आपूर्ति की जा सकेगी, जैसे कि दवाइयां, पोषण से जुड़े सामान आदि।  

आईएमएफ ने की भारत की तारीफ
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि आईएमएफ ने श्रीलंका के बिगड़े हालातों के बीच भारत की ओर से जो मदद मुहैया कराई जा रही है वो सराहनीय है। यहां बता दें कि भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर है और बीते दिन मंगलवार को उन्होंने आईएमएफ की एमडी क्रिस्टीना जार्जिवा से मुलाकात की थी। इस बैठक के दौरान आईएमएफ एमडी ने श्रीलंका की सहायता करने के लिए भारत की जमकर तारीफ की थी। इस दौरान सीतारमण ने भी आश्वस्त किया कि भारत की ओर से पड़ोसी देश की हर संभव मदद जारी रहेगी। 

इतिहास के सबसे बुरे दौर में श्रीलंका
गौरतलब है कि द्विपीय देश इस समय अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार पूरी तरह से खाली हो चुका है। पूरे देश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। स्थानीय लोग सरकार को देश की अर्थव्यवस्था को ठीक ढंग से संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए हिंसक भी हो रहे  हैं। ईंधन को लेकर देश में जो हालात पैदा हुए हैं उनका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पेट्रोल-डीजल पंप सूखे पड़े है और जहां कुछ बचा हुआ है तो वहां लंबी लाइनें लगी हुई हैं। जरूरत के सामानों का आयात न हो पाने के कारण लोगों का हाल-बेहाल हो चुका है। देश में बिजली कटौती की स्थिति ये है कि हर दिन दस घंटे से ज्यादा कटौती की जा रही है। 

राष्ट्रपति राजपक्षे ने दिया ये बड़ा बयान
बता दें कि 2.2 करोड़ की जनसंख्या वाले द्विपीय देश श्रीलंका पर चीन समेत कई देशों को 51 अरब डॉलर (3 लाख 88 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज है और इसे चुकाने के लिए श्रीलंका ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। बीते दिनों सरकार ने कहा था कि विदेशी कर्ज को चुकाने में वो पूरी तरह से असमर्थ है। इस बीच राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि देश में जो हालात पैदा हुए हैं वो सरकार के पैदा किए हुए नहीं है। बीते दिनों श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने अपने पद पर दोबारा लौटने के बाद कहा था कि देश में गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बहाल करने में मदद के लिए श्रीलंका को अगले छह महीनों के भीतर लगभग तीन अरब डॉलर (22 हजार 500 करोड़ रुपये) की बाहरी सहायता की जरूरत होगी।  

लगातार बिगड़ते जा रहे देश के हालात
देश में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। लोगों को एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है। यहीं नहीं मौजूदा समय में एक चाय के लिए लोगों के 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले साल 30 अगस्त को, श्रीलंका सरकार ने मुद्रा मूल्य में भारी गिरावट के बाद राष्ट्रीय वित्तीय आपातकाल की घोषणा की थी और उसके बाद खाद्य कीमतों में काफी तेज बढ़ोतरी हुई। देश में एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपये हो गई, एक ही महीने में मिर्च की कीमत में 287 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं  बैंगन की कीमत में 51 फीसदी बढ़ी,  तो प्याज के दाम 40 फीसदी तक बढ़ गए। एक किलो आलू के लिए  200 रुपये तक चुकाने पड़े। 

 

विस्तार

इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट को झेल रहे द्विपीय देश श्रीलंका के लिए बुधवार को एक राहत भरी खबर आई। दरअसल, कर्ज के जाल में फंसकर कंगाल हो चुकी सोने की लंका के लोगों की रक्षा करने के लिए अब विश्वबैंक आगे आया है। इस संबंध में जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को उबारने के लिए विश्व बैंक ने आपातकालीन सहायता देने पर हामी भरी है।  

विश्व बैंक उपाध्यक्ष ने दिया भरोसा

बता दें कि श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठकों के लिए अमेरिका के वाशिंगटन में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व बैंक के उपाध्यक्ष हार्टविग शेफर और अली साबरी के बीच मंगलवार को इस मुद्दे पर लंबी बातचीत हुई। इस दौरान साबरी ने श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते भयावह हुए हालातों के बारे जानकारी दी। बैठक के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने और कमजोर लोगों की रक्षा करने के लिए राहत कार्यों पर चर्चा की। यहां बता दें कि श्रीलंका जो कि दिवालिया होने की कगार पर है। देश में उपजे हालात 1948 में ब्रिटेन से अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब हैं। 

श्रीलंका के हालात पर जताई चिंता 

शेफर ने कहा कि श्रीलंका में जो वर्तमान संकट चल रहा है, स्थानीय लोग खाने-पीने की चीजों के लिए मोहताज हैं, पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं और महंगाई एशिया में सबसे अधिक श्रीलंका में हो चुकी है। इस सभी हालातों को देख विश्व बैंक चिंतित है। उन्होंने कहा कि इन सभी चिंताओं के मद्देनजर विश्व बैंक देश के परेशान और कमजोर लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार है और श्रीलंका को आपातकालीन सहायता देने पर राजी है। इस सहायता से लोगों को जरूरत के सामानों की आपूर्ति की जा सकेगी, जैसे कि दवाइयां, पोषण से जुड़े सामान आदि।  

आईएमएफ ने की भारत की तारीफ

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि आईएमएफ ने श्रीलंका के बिगड़े हालातों के बीच भारत की ओर से जो मदद मुहैया कराई जा रही है वो सराहनीय है। यहां बता दें कि भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर है और बीते दिन मंगलवार को उन्होंने आईएमएफ की एमडी क्रिस्टीना जार्जिवा से मुलाकात की थी। इस बैठक के दौरान आईएमएफ एमडी ने श्रीलंका की सहायता करने के लिए भारत की जमकर तारीफ की थी। इस दौरान सीतारमण ने भी आश्वस्त किया कि भारत की ओर से पड़ोसी देश की हर संभव मदद जारी रहेगी। 

इतिहास के सबसे बुरे दौर में श्रीलंका

गौरतलब है कि द्विपीय देश इस समय अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार पूरी तरह से खाली हो चुका है। पूरे देश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। स्थानीय लोग सरकार को देश की अर्थव्यवस्था को ठीक ढंग से संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए हिंसक भी हो रहे  हैं। ईंधन को लेकर देश में जो हालात पैदा हुए हैं उनका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पेट्रोल-डीजल पंप सूखे पड़े है और जहां कुछ बचा हुआ है तो वहां लंबी लाइनें लगी हुई हैं। जरूरत के सामानों का आयात न हो पाने के कारण लोगों का हाल-बेहाल हो चुका है। देश में बिजली कटौती की स्थिति ये है कि हर दिन दस घंटे से ज्यादा कटौती की जा रही है। 

राष्ट्रपति राजपक्षे ने दिया ये बड़ा बयान

बता दें कि 2.2 करोड़ की जनसंख्या वाले द्विपीय देश श्रीलंका पर चीन समेत कई देशों को 51 अरब डॉलर (3 लाख 88 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज है और इसे चुकाने के लिए श्रीलंका ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। बीते दिनों सरकार ने कहा था कि विदेशी कर्ज को चुकाने में वो पूरी तरह से असमर्थ है। इस बीच राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि देश में जो हालात पैदा हुए हैं वो सरकार के पैदा किए हुए नहीं है। बीते दिनों श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने अपने पद पर दोबारा लौटने के बाद कहा था कि देश में गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बहाल करने में मदद के लिए श्रीलंका को अगले छह महीनों के भीतर लगभग तीन अरब डॉलर (22 हजार 500 करोड़ रुपये) की बाहरी सहायता की जरूरत होगी।  

लगातार बिगड़ते जा रहे देश के हालात

देश में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। लोगों को एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है। यहीं नहीं मौजूदा समय में एक चाय के लिए लोगों के 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले साल 30 अगस्त को, श्रीलंका सरकार ने मुद्रा मूल्य में भारी गिरावट के बाद राष्ट्रीय वित्तीय आपातकाल की घोषणा की थी और उसके बाद खाद्य कीमतों में काफी तेज बढ़ोतरी हुई। देश में एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपये हो गई, एक ही महीने में मिर्च की कीमत में 287 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं  बैंगन की कीमत में 51 फीसदी बढ़ी,  तो प्याज के दाम 40 फीसदी तक बढ़ गए। एक किलो आलू के लिए  200 रुपये तक चुकाने पड़े। 

 

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