एएनआई, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 24 Jan 2022 04:05 AM IST
डॉ. गगनदीप कांग
– फोटो : अमर उजाला
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डॉ. कांग ने इस मामले को लेकर कई ट्वीट किए। जिसमें उन्होंने कहा कि “विशेष रूप से, संशोधित राष्ट्रीय कोविड टास्क फोर्स उपचार में कोविड के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार को बाहर रखा गया है।” उन्होंने कहा कि उन्हें चेन्नई के एक 90 वर्षीय मधुमेह रोगी का फोन आया, जिसने उन्हें बताया कि उन्हें एंटीबॉडी उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई थी क्योंकि वह सार्स सीओवी-2 (SARS-CoV2) पॉजिटिव आने वाले किसी व्यक्ति के संपर्क में थे।
कांग ने ट्वीट किया, “चेन्नई में एक 90 वर्षीय मधुमेह से पीड़ित चाचा का कॉल आया, जिन्होंने कहा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने और एंटीबॉडी उपचार की सलाह दी है क्योंकि वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में थे, जो कोरोना (SARS-CoV2) पॉजिटिव आया था।”
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उत्पाद ओमिक्रॉन को बेअसर नहीं करते: कांग
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा कि “हम जानते हैं कि 90 प्रतिशत या इससे अधिक संक्रमण वर्तमान में भारतीय शहरों में ओमिक्रॉन का है। हम जानते हैं कि भारत में लाइसेंस प्राप्त मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उत्पाद ओमिक्रॉन को बेअसर नहीं करते हैं। फिर भी निजी अस्पतालों में डॉक्टर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी और भर्ती के लिए लिख रहे हैं।”
कांग ने आगे बताया कि भारत में बहुत कम आंकड़े हैं, इसलिए हम नहीं जानते कि ओमिक्रॉन से संक्रमित पांच फीसदी या 20 फीसदी टीके लगाने वाले बुजुर्ग ठीक होंगे या नहीं। उन्होंने ट्वीट किया, “कृपया याद रखें कि नैदानिक संवेदनशील लोगों में भी, अधिकांश लोग एसिम्टोमैटिक रहेंगे या हल्के लक्षण होंगे और ठीक हो जाएंगे। छोटी संख्या में गंभीर बीमारी विकसित हो सकती है।”