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विदेशी मुद्रा भंडार की फिक्र: मजदूर विदेश जाकर न कमाएं, तो मुश्किल में फंस जाएगा बांग्लादेश

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 13 Jan 2022 03:27 PM IST

सार

बीएमईटी के ताजा आंकड़ों से यह साफ हुआ है कि ज्यादातर बांग्लादेशी मजदूरों को पश्चिमी एशिया और खाड़ी देशों में काम मिलता है। सऊदी अरब अब उनका एक अहम ठिकाना बन गया है। इसके अलावा बांग्लादेशी मजदूरों को ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, कुवैत और सिंगापुर में भी काम मिला है…

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बांग्लादेशी मजदूरों के विदेश जाकर काम करने की स्थिति में हो रहे सुधार से बांग्लादेश में राहत महसूस की जा रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2021 में एक लाख से अधिक मजदूरों की बाहर जाने की अर्जी मंजूर की गई। बांग्लादेश में इमिग्रेशन अर्जियों को मंजूरी ब्यूरो ऑफ मैनपॉवर, एंप्लॉयमेंट एंड ट्रेनिंग (बीएमईटी) देता है।

बीएमईटी के मुताबिक इसके पहले सिर्फ मार्च 2017 में ऐसा हुआ था, जब एक लाख से अधिक मजदूरों की इमिग्रेशन अर्जी को मंजूरी दी गई थी। बीते नवंबर में ऐसा फिर से हुआ। बांग्लादेशी अधिकारी इसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण ट्रेंड मान रहे हैं। उनके मुताबिक कोरोना महामारी के कारण विदेशों में श्रम बाजार में मंदी आई हुई थी। ताजा आंकड़े वहां एक बार फिर से काम के असर बढ़ने के संकेत हैं।

विदेशी श्रम बाजार में सुधार

जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बाहर गए मजदूरों की कमाई वापस भेजने पर काफी हद तक निर्भर है। 2020 में कोरोना महामारी के बाद अंतरराष्ट्रीय श्रम बाजार में आई मंदी का बांग्लादेश पर बहुत खराब असर पड़ा। बीएमईटी के महानिदेशक शाहिदुल आलम ने इस बात संतोष जताया है कि अब बांग्लादेशी मजदूरों के लिए विदेश में फिर से अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल सितंबर में 42 हजार मजदूरों को विदेश जाने की इजाजत दी गई थी। अक्तूबर में ये संख्या 65 हजार से अधिक रही, जबकि नवंबर 1,02,863 मजदूरों की अर्जी को हरी झंडी दी गई। आलम ने कहा- ‘दूसरे देशों के साथ विमान सेवाएं बहाल होने से हमारे श्रम बाजार में सुधार हुआ है।’

बीएमईटी के ताजा आंकड़ों से यह साफ हुआ है कि ज्यादातर बांग्लादेशी मजदूरों को पश्चिमी एशिया और खाड़ी देशों में काम मिलता है। सऊदी अरब अब उनका एक अहम ठिकाना बन गया है। इसके अलावा बांग्लादेशी मजदूरों को ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, कुवैत और सिंगापुर में भी काम मिला है।

24 अरब डॉलर की रकम वापस भेजी

गैर सरकारी संस्था ब्राक से जुड़े विशेषज्ञ शरीफुल हसन ने अखबार ढाका ट्रिब्यून को बताया कि बीते साल लगभग पांच लाख बांग्लादेशी मजदूरों को विदेश में काम मिला। उन्होंने कहा- ‘एक महामारी के मारे वर्ष में निश्चित रूप से इसे सकारात्मक घटना समझा जाएगा।’ हसन ने ध्यान दिलाया कि बांग्लादेश दुनिया के उन टॉप दस देशों में शामिल है, जहां से सबसे ज्यादा मजदूर विदेशों में काम करने गए हैं। उनकी कुल संख्या एक करोड़ से ऊपर से है। ये लोग अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वापस भेजते हैं, जिसका बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है।

पिछले साल मई में बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। उस रकम में बांग्लदेशियों की वापस भेजी गई कमाई का एक बड़ा हिस्सा था। 2020-21 में बांग्लादेशी कर्मचारियों ने विदेश से 24 अरब डॉलर की रकम वापस भेजी थी। शरीफुल हसन ने कहा- ‘बांग्लादेश को इस समय विदेशी कर्ज या अनुदान से जितनी रकम मिल रही है, उससे आठ से दस गुना ज्यादा रकम बांग्लादेशी मजदूर वापस भेजते हैं। उनकी तरफ से भेजी जाने वाली रकम देश में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की रकम से भी ज्यादा है।’

विस्तार

बांग्लादेशी मजदूरों के विदेश जाकर काम करने की स्थिति में हो रहे सुधार से बांग्लादेश में राहत महसूस की जा रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2021 में एक लाख से अधिक मजदूरों की बाहर जाने की अर्जी मंजूर की गई। बांग्लादेश में इमिग्रेशन अर्जियों को मंजूरी ब्यूरो ऑफ मैनपॉवर, एंप्लॉयमेंट एंड ट्रेनिंग (बीएमईटी) देता है।

बीएमईटी के मुताबिक इसके पहले सिर्फ मार्च 2017 में ऐसा हुआ था, जब एक लाख से अधिक मजदूरों की इमिग्रेशन अर्जी को मंजूरी दी गई थी। बीते नवंबर में ऐसा फिर से हुआ। बांग्लादेशी अधिकारी इसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण ट्रेंड मान रहे हैं। उनके मुताबिक कोरोना महामारी के कारण विदेशों में श्रम बाजार में मंदी आई हुई थी। ताजा आंकड़े वहां एक बार फिर से काम के असर बढ़ने के संकेत हैं।

विदेशी श्रम बाजार में सुधार

जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बाहर गए मजदूरों की कमाई वापस भेजने पर काफी हद तक निर्भर है। 2020 में कोरोना महामारी के बाद अंतरराष्ट्रीय श्रम बाजार में आई मंदी का बांग्लादेश पर बहुत खराब असर पड़ा। बीएमईटी के महानिदेशक शाहिदुल आलम ने इस बात संतोष जताया है कि अब बांग्लादेशी मजदूरों के लिए विदेश में फिर से अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल सितंबर में 42 हजार मजदूरों को विदेश जाने की इजाजत दी गई थी। अक्तूबर में ये संख्या 65 हजार से अधिक रही, जबकि नवंबर 1,02,863 मजदूरों की अर्जी को हरी झंडी दी गई। आलम ने कहा- ‘दूसरे देशों के साथ विमान सेवाएं बहाल होने से हमारे श्रम बाजार में सुधार हुआ है।’

बीएमईटी के ताजा आंकड़ों से यह साफ हुआ है कि ज्यादातर बांग्लादेशी मजदूरों को पश्चिमी एशिया और खाड़ी देशों में काम मिलता है। सऊदी अरब अब उनका एक अहम ठिकाना बन गया है। इसके अलावा बांग्लादेशी मजदूरों को ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, कुवैत और सिंगापुर में भी काम मिला है।

24 अरब डॉलर की रकम वापस भेजी

गैर सरकारी संस्था ब्राक से जुड़े विशेषज्ञ शरीफुल हसन ने अखबार ढाका ट्रिब्यून को बताया कि बीते साल लगभग पांच लाख बांग्लादेशी मजदूरों को विदेश में काम मिला। उन्होंने कहा- ‘एक महामारी के मारे वर्ष में निश्चित रूप से इसे सकारात्मक घटना समझा जाएगा।’ हसन ने ध्यान दिलाया कि बांग्लादेश दुनिया के उन टॉप दस देशों में शामिल है, जहां से सबसे ज्यादा मजदूर विदेशों में काम करने गए हैं। उनकी कुल संख्या एक करोड़ से ऊपर से है। ये लोग अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वापस भेजते हैं, जिसका बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है।

पिछले साल मई में बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। उस रकम में बांग्लदेशियों की वापस भेजी गई कमाई का एक बड़ा हिस्सा था। 2020-21 में बांग्लादेशी कर्मचारियों ने विदेश से 24 अरब डॉलर की रकम वापस भेजी थी। शरीफुल हसन ने कहा- ‘बांग्लादेश को इस समय विदेशी कर्ज या अनुदान से जितनी रकम मिल रही है, उससे आठ से दस गुना ज्यादा रकम बांग्लादेशी मजदूर वापस भेजते हैं। उनकी तरफ से भेजी जाने वाली रकम देश में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की रकम से भी ज्यादा है।’

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