सार
वर्क फ्रॉम होम में अतिरिक्त खर्च बढ़ने के कारण नौकरीपेशा को एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि वित्तमंत्री बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर सकती हैं।
टैक्स (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : istock
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विस्तार
वर्क फ्रॉम होम में अतिरिक्त खर्च बढ़ने के कारण नौकरीपेशा को एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि वित्तमंत्री बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर सकती हैं। उद्योग जगत ने भी व्यक्तिगत टैक्सेशन को लेकर सरकार से कई मांग की है। इनमें प्रमुख है स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाना।
35 फीसदी तक बढ़ने की संभावना
सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकार बजट 2022 में नौकरीपेशा और पेंशनर्स के लिए मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट को 30-35 फीसदी तक बढ़ा सकती है। हालांकि, राजकोषीय स्थिति को देखते हुए टैक्स स्लैब में किसी प्रकार के बदलाव की उम्मीद नहीं है। पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 40,000 रुपये थी, जिसे तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली 2018 में लेकर आए थे।
स्टैंडर्ड डिडक्शन को महंगाई से जोड़े सरकार
प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर अशोक शाह ने कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए आगामी बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट पर ज्यादा राहत का अनुमान नहीं है। फिर भी इसे बढ़ाकर कम-से-कम 75,000 रुपये किया जाना चाहिए। साथ ही इसे संशोधित करने और महंगाई से जोड़ने की आवश्यकता है। कई देश पहले से ऐसा कर रहे हैं।
ऐसे समझें गणित
स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये या कुल वेतन में जो भी कम है, वह है। मान लीजिए, किसी नौकरीपेशा का कुल सालाना वेतन 5,00,000 रुपये है तो इस स्थिति में उसे 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। अगर उसने साल में सिर्फ एक महीने ही काम किया, जिसके एवज में 40,000 रुपये वेतन मिला तो उस स्थिति में उसे 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा।