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लखीमपुर खीरी हिंसा: उत्तर प्रदेश में चुनावी मुद्दा बनने से पहले गृह राज्य मंत्री टेनी को लेकर हो सकता है फैसला

सार

उत्तर प्रदेश में जनवरी 2022 के दूसरे सप्ताह में चुनाव के तारीखों की घोषणा हो सकती है। इसके लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दौरा और तैयारी बढ़ा दी है। आगे बढ़ते समय को देखकर केंद्र और राज्य भाजपा के नेताओं ने विपक्ष के मुद्दों और अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर अपनी सरकार पर किसी तरह की तोहमत नहीं लगने देना चाहते…

लखीमपुर खीरी कांड को लेकर निलंबित सांसदों ने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग की
– फोटो : Agency

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तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर शुरू हुआ किसानों का आंदोलन भले ही समाप्त हो गया है, लेकिन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किसानों और छोटे-छोटे किसान संगठनों को अपनी मांगों को सरकार से मनवाने का दर्द अभी भी साल रहा है। इसमें से एक बड़ा मुद्दा गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मोदी मंत्रिमंडल से हटाने को लेकर है। भाकियू (असली, अराजनैतिक) के नेता चौधरी हरपाल सिंह भी कहते हैं कि गृह राज्य मंत्री टेनी को मंत्रिमंडल में बने रहने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर निर्णय लेना चाहिए। दूसरी तरफ, विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे को धार दे दी है।

टेनी को बताया क्रिमिनल मंत्री

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने को लेकर लोकसभा में मामला उठाने का प्रयास किया। राहुल गांधी ने कहा कि आपके मंत्री ने किसानों को मारा है, उसकी सजा मिलनी चाहिए। हमें इस मुद्दे पर बोलने का अवसर मिलना चाहिए। कुछ सांसदों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। राहुल गांधी ने टेनी को क्रिमिनल मंत्री तक करार दे दिया। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। गुरुवार को विपक्ष के सांसद हाथ में ‘हत्यारे मंत्री को बर्खास्त करो’ की तख्तियां लिए भी दिखाई दिए।  

टेनी को मिली हिदायत और बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं मंत्री

बुधवार 15 दिसंबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने मीडिया के साथ लखीमपुर खीरी में बदसलूकी की थी। खबर है कि इसके लिए उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से कड़ी हिदायत मिली है। 16 दिसंबर को जब संसद में विपक्षी सांसद उनसे जुड़े मामले को उठा रहे थे, तो उस समय टेनी केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपने दफ्तर में बैठे थे। वह कुछ फाइलें और कामकाज निपटा रहे थे। बाद में उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो भी अपलोड किया। इस वीडियों में टेनी कहते नजर आ रहे हैं कि किस तरह से प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री ने अपराधिक मामलों में सबूतों को जुटाने पर विशेष ध्यान दिया है। अब फॉरेंसिक जांच समेत अन्य को महत्व दिया जा रहा है। ताकि अदालत में मामला कमजोर न पड़ सके। कुल मिलाकर टेनी ने विपक्ष की मांग और मीडिया में चल रही खबरों के सामानांतर खुद को बेपरवाह दिखाने की कोशिश की। संसद में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी सरकार के रुख में किसी तरह के बदलाव का संकेत नहीं दिया। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से चर्चा के लिए तैयार होने से साफ इनकार किया। प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लखीमपुर खीरी प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। इसलिए इस पर संसद में चर्चा कराने का कोई औचित्य नहीं है।  

टेनी को लेकर भाजपा के कई नेता भी हैं नाराज़

उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल में जगह दी थी। लखीमपुर खीरी में तिकुनिया हिंसा ने टेनी के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है। इस मामले में सरकार लगातार किसी दबाव में न आने का संकेत दे रही है, लेकिन गृह राज्य मंत्री टेनी के पुत्र आशीष मिश्र तिकुनिया हिंसा कांड के मुख्य आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट गठित एसआईटी ने इस मामले में कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया है। इस हिंसा को भी एसआईटी ने सुनियोजित हिंसा करार देते हुए गैर इरादतन हत्या की धारा को भी अदालत के आदेश पर बदल दिया है। जिस दिन यह हिंसा हुई थी, उस दिन गृह राज्य मंत्री मिश्र भी लखीमपुर खीरी में ही थे। उन्होंने अपने पुत्र का जमकर बचाव करने का प्रयास किया था। लेकिन टेनी अपने विरुद्ध किसी कार्रवाई की आंच से लगातार बचे हुए हैं। टेनी के भविष्य को लेकर अंदरखाने भाजपा के नेता भी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। एक वरिष्ठ नेता को बुधवार 15 दिसंबर को पत्रकार पर भड़कने के दौरान बिना नाम लिए पुत्र को निर्देष बताना भी खल रहा है। सूत्र का कहना है कि गृह राज्य मंत्री को इंतजार करना चाहिए और क्लीन चिट देने से बचना चाहिए। उन्हें याद रखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। वह केंद्र में मंत्री भी हैं।

यूपी चुनाव के मद्देनजर क्या हो सकती है टेनी की विदाई?

उत्तर प्रदेश में जनवरी 2022 के दूसरे सप्ताह में चुनाव के तारीखों की घोषणा हो सकती है। इसके लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दौरा और तैयारी बढ़ा दी है। आगे बढ़ते समय को देखकर केंद्र और राज्य भाजपा के नेताओं ने विपक्ष के मुद्दों और अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर अपनी सरकार पर किसी तरह की तोहमत नहीं लगने देना चाहते। जबकि इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समय का इंतजार कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद से टेनी की बर्खास्तगी की मांग भी तेज कर दी है। अखिलेश यादव ने भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत को चुनाव लड़ने का न्यौता भी दे दिया है। टिकैत ने अमर उजाला से भावी राजनीतिक योजना से इनकार नहीं किया था। इसलिए टेनी को बर्खास्त करने का मुद्दा आगे भी जोर पकड़ेगा।

राहुल गांधी ने किसान हितैषी होने का संदेश देते हुए लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की घटना को लेकर टेनी की बर्खास्तगी की मांग के साथ मुद्दे को धार देना शुरू किया है। भाजपा नेता भी मान रहे हैं कि टेनी की बर्खास्तगी की मांग और इस घटना पर एसआईटी की जांच रिपोर्ट का जनता के बीच में गलत संदेश जा रहा है। ऐसे में इसके पूरे संकेत हैं कि केंद्र सरकार भले ही अभी अजय मिश्र टेनी के खिलाफ कार्रवाई का कोई संकेत नहीं दे रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में लखीमपुर खीरी हिंसा के मुद्दा बनने पर किसानों की नाराजगी से बचने के लिए केंद्रीय नेतृत्व बड़ा निर्णय ले सकता है। लखीमपुर खीरी के एक भाजपा नेता भी कहते हैं कि फरवरी 2022 तक का ही समय थोड़ा संवेदनशील है, इसके बाद सब ठीक रहेगा।

विस्तार

तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर शुरू हुआ किसानों का आंदोलन भले ही समाप्त हो गया है, लेकिन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किसानों और छोटे-छोटे किसान संगठनों को अपनी मांगों को सरकार से मनवाने का दर्द अभी भी साल रहा है। इसमें से एक बड़ा मुद्दा गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मोदी मंत्रिमंडल से हटाने को लेकर है। भाकियू (असली, अराजनैतिक) के नेता चौधरी हरपाल सिंह भी कहते हैं कि गृह राज्य मंत्री टेनी को मंत्रिमंडल में बने रहने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर निर्णय लेना चाहिए। दूसरी तरफ, विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे को धार दे दी है।

टेनी को बताया क्रिमिनल मंत्री

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने को लेकर लोकसभा में मामला उठाने का प्रयास किया। राहुल गांधी ने कहा कि आपके मंत्री ने किसानों को मारा है, उसकी सजा मिलनी चाहिए। हमें इस मुद्दे पर बोलने का अवसर मिलना चाहिए। कुछ सांसदों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। राहुल गांधी ने टेनी को क्रिमिनल मंत्री तक करार दे दिया। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। गुरुवार को विपक्ष के सांसद हाथ में ‘हत्यारे मंत्री को बर्खास्त करो’ की तख्तियां लिए भी दिखाई दिए।  

टेनी को मिली हिदायत और बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं मंत्री

बुधवार 15 दिसंबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने मीडिया के साथ लखीमपुर खीरी में बदसलूकी की थी। खबर है कि इसके लिए उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से कड़ी हिदायत मिली है। 16 दिसंबर को जब संसद में विपक्षी सांसद उनसे जुड़े मामले को उठा रहे थे, तो उस समय टेनी केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपने दफ्तर में बैठे थे। वह कुछ फाइलें और कामकाज निपटा रहे थे। बाद में उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो भी अपलोड किया। इस वीडियों में टेनी कहते नजर आ रहे हैं कि किस तरह से प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री ने अपराधिक मामलों में सबूतों को जुटाने पर विशेष ध्यान दिया है। अब फॉरेंसिक जांच समेत अन्य को महत्व दिया जा रहा है। ताकि अदालत में मामला कमजोर न पड़ सके। कुल मिलाकर टेनी ने विपक्ष की मांग और मीडिया में चल रही खबरों के सामानांतर खुद को बेपरवाह दिखाने की कोशिश की। संसद में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी सरकार के रुख में किसी तरह के बदलाव का संकेत नहीं दिया। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से चर्चा के लिए तैयार होने से साफ इनकार किया। प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लखीमपुर खीरी प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। इसलिए इस पर संसद में चर्चा कराने का कोई औचित्य नहीं है।  

टेनी को लेकर भाजपा के कई नेता भी हैं नाराज़

उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल में जगह दी थी। लखीमपुर खीरी में तिकुनिया हिंसा ने टेनी के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है। इस मामले में सरकार लगातार किसी दबाव में न आने का संकेत दे रही है, लेकिन गृह राज्य मंत्री टेनी के पुत्र आशीष मिश्र तिकुनिया हिंसा कांड के मुख्य आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट गठित एसआईटी ने इस मामले में कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया है। इस हिंसा को भी एसआईटी ने सुनियोजित हिंसा करार देते हुए गैर इरादतन हत्या की धारा को भी अदालत के आदेश पर बदल दिया है। जिस दिन यह हिंसा हुई थी, उस दिन गृह राज्य मंत्री मिश्र भी लखीमपुर खीरी में ही थे। उन्होंने अपने पुत्र का जमकर बचाव करने का प्रयास किया था। लेकिन टेनी अपने विरुद्ध किसी कार्रवाई की आंच से लगातार बचे हुए हैं। टेनी के भविष्य को लेकर अंदरखाने भाजपा के नेता भी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। एक वरिष्ठ नेता को बुधवार 15 दिसंबर को पत्रकार पर भड़कने के दौरान बिना नाम लिए पुत्र को निर्देष बताना भी खल रहा है। सूत्र का कहना है कि गृह राज्य मंत्री को इंतजार करना चाहिए और क्लीन चिट देने से बचना चाहिए। उन्हें याद रखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। वह केंद्र में मंत्री भी हैं।

यूपी चुनाव के मद्देनजर क्या हो सकती है टेनी की विदाई?

उत्तर प्रदेश में जनवरी 2022 के दूसरे सप्ताह में चुनाव के तारीखों की घोषणा हो सकती है। इसके लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दौरा और तैयारी बढ़ा दी है। आगे बढ़ते समय को देखकर केंद्र और राज्य भाजपा के नेताओं ने विपक्ष के मुद्दों और अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर अपनी सरकार पर किसी तरह की तोहमत नहीं लगने देना चाहते। जबकि इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समय का इंतजार कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद से टेनी की बर्खास्तगी की मांग भी तेज कर दी है। अखिलेश यादव ने भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत को चुनाव लड़ने का न्यौता भी दे दिया है। टिकैत ने अमर उजाला से भावी राजनीतिक योजना से इनकार नहीं किया था। इसलिए टेनी को बर्खास्त करने का मुद्दा आगे भी जोर पकड़ेगा।

राहुल गांधी ने किसान हितैषी होने का संदेश देते हुए लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की घटना को लेकर टेनी की बर्खास्तगी की मांग के साथ मुद्दे को धार देना शुरू किया है। भाजपा नेता भी मान रहे हैं कि टेनी की बर्खास्तगी की मांग और इस घटना पर एसआईटी की जांच रिपोर्ट का जनता के बीच में गलत संदेश जा रहा है। ऐसे में इसके पूरे संकेत हैं कि केंद्र सरकार भले ही अभी अजय मिश्र टेनी के खिलाफ कार्रवाई का कोई संकेत नहीं दे रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में लखीमपुर खीरी हिंसा के मुद्दा बनने पर किसानों की नाराजगी से बचने के लिए केंद्रीय नेतृत्व बड़ा निर्णय ले सकता है। लखीमपुर खीरी के एक भाजपा नेता भी कहते हैं कि फरवरी 2022 तक का ही समय थोड़ा संवेदनशील है, इसके बाद सब ठीक रहेगा।

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