यूक्रेन पर रूसी हमले ने वाशिंगटन स्थित यूक्रेनी दूतावास को लड़ाई में शामिल होने की इच्छा रखने वाले अमेरिकियों को भर्ती करने की भूमिका दे दी है। दूतावास से बाहर जॉर्जटाउन के एक हिस्से में काम कर रहे राजनयिकों को यूक्रेन में लड़ने के लिए स्वयंसेवकों के प्रस्ताव मिल रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के 15वें दिन अधिकारियों ने लड़ाई में मारे गए लोगों का सामूहिक दफन शुरू किया है। दक्षिणी यूक्रेन के मैरियूपोल में कई शव सामूहिक कब्रों में दफनाए गए। इसके लिए शहर के एक पुराने समाधिस्थल पर 25 मीटर लंबा गड्ढा खोदा गया है। इन शवों पर कोई शोक मनाने वाला भी नहीं है। ब्रिटेन ने कहा, रूसी हमला आगे नहीं बढ़ा लेकिन यूक्रेनी शहर गोलाबारी से तबाह हो रहे हैं।
उधर, लवीव में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र का पावर ग्रिड से संपर्क खत्म हो गया है और अब आपात जनरेटर से बिजली आपूर्ति हो रही है। यहां परमाणु सामग्री को ठंडा करने की प्रणाली पर खतरा हो सकता है। लवीव में चेर्नोबिल एटमी केंद्र पर खतरा आया तो हालात और बिगड़ सकते हैं। जबकि मैरियूपोल में सबसे दर्दनाक दृश्य देखे गए।
यहां न सिर्फ जीवित लोग पानी, स्वच्छता, फोन आदि के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे हैं बल्कि वे नदियों और पिघलती बर्फ से पानी भी जमा कर रहे हैं। शहर में लगातार जारी बमबारी के बीच अधिकारी इस कोशिश में हैं कि शवों का अलग अलग करके दफनाया जाए। लेकिन मुर्दाघरों के भर जाने एवं घरों से शव एकत्र न हो पाने के कारण उन्होंने तय किया है कि शवों को सामूहिक कब्रों में ही दफना दिया जाए।
अस्पतालों पर भीषण हमले, गर्भवती महिलाएं घायल, बच्चे मलबे में दबे
यूक्रेन के मैरियूपोल में रूसी बलों न एक प्रसूति अस्पताल पर हवाई हमले किए। इसमें कुछ गर्भवती महिलाएं घायल हो गईं, जबकि कई बच्चे मलबे में दब गए। डब्ल्यूएचओ के अफसरों ने बताया कि रूसी बलों ने राजधानी कीव के पश्चिम में झितोमीर शहर में भी दो अस्पतालों को निशाना बनाया। युद्ध के 15वें दिन तक रूसी बलों ने चिकित्सा केंद्रों पर कम से कम 18 हमलों की पुष्टि हो चुकी है।
यूक्रेनी अफसरों का दावा है कि हमले इतने भीषण थे कि एक मील की दूरी तक जमीन कांप उठी, जबकि अस्पताल की एक इमारत का अगला हिस्सा ढह गया और खिड़कियों में लगे शीशे भी टूट गए। यूक्रेन के शीर्ष क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी वोलोदिमीर निकुलिन ने कहा, आज रूस ने एक जघन्य अपराध किया है। यह एक युद्ध अपराध है, जिसे किसी भी कीमत पर जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
यूक्रेन की लड़ाई के लिए भर्ती हो रहे अमेरिकी नागरिक
यूक्रेन पर रूसी हमले ने वाशिंगटन स्थित यूक्रेनी दूतावास को लड़ाई में शामिल होने की इच्छा रखने वाले अमेरिकियों को भर्ती करने की भूमिका दे दी है। दूतावास से बाहर जॉर्जटाउन के एक हिस्से में काम कर रहे राजनयिकों को यूक्रेन में लड़ने के लिए स्वयंसेवकों के प्रस्ताव मिल रहे हैं।
दूतावास से जुड़े सैन्य विशेषज्ञ मेजर जनरल बोरिस क्रेमेनेत्स्की ने कहा, उन्हें लगता है कि यह युद्ध अनुचित, बिना उकसावे वाला है। उन्हें लगता है कि उन्हें जाना होगा और मदद करनी होगी। अमेरिका के ये स्वयंसेवी यूक्रेन के लिए लड़ने की इच्छा रखने वाले विदेशियों के एक छोटे-से समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ट्विटर ने रूसी प्रतिबंध से बचने के लिए शुरू की टोर सेवा
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने रूस में उसकी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद निगरानी और सेंसरशिप से बचने के लिए अपनी साइट का निजता-सरंक्षित संस्करण शुरू किया है। रूस ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर सूचनाएं रोकने की कोशिश करते हुए फेसबुक तक पहुंच को बाधित किया और ट्विटर तक पहुंच सीमित कर दी। दोनों कंपनियों ने कहा कि वे रूस में लोगों तक पहुंच बनाने पर काम कर रही हैं। यूजर अब टोर ब्राउजर डाउनलोड करके ‘अनियन’ नामक ट्विटर के इस संस्करण तक पहुंच बना सकते हैं। यह ब्राउजर लोगों को उन साइट तक ले जाता है जिन्हें ‘डार्क वेब’ कहा जाता है।
राष्ट्रवादियों ने निकासी प्रक्रिया को पटरी से उतारा : पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के शहरों से नागरिकों की निकासी में बाधा के लिए यूक्रेनी राष्ट्रवादियों को जिम्मेदार ठहराया है। क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कॉल्त्ज के साथ फोन पर वार्ता की, जिसमें मानवीय पहलुओं पर विशेष रूप से जोर दिया गया। वहीं, यूक्रेनी अफसरों ने बताया कि रूस की लगातार गोलाबारी से नागरिकों की निकासी की कोशिशें पटरी से उतरी हैं।
यूएन में भारतीय रुख पर पेंटागन ने की सांसदों को संतुष्ट करने की कोशिश
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) के शीर्ष अधिकारियों ने यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से दूर रहने के भारत के रुख को समझा और इसे अमेरिकी सांसदों को समझाने की कोशिश की। हालांकि उन्हें हिंद-प्रशांत पर संसद की सुनवाई के दौरान कई अमेरिकी सांसदों को इस मुद्दे पर शांत कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के दो साल का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है। भारत इस शक्तिशाली निकाय का गैर-स्थायी सदस्य है। वह यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ प्रस्तावों पर मतदान से बार-बार दूर रहा है। भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना समेत कई सांसदों ने पेंटागन नेतृत्व से संसद की सुनवाई के दौरान हिंद-प्रशांत पर सवाल किया कि भारत ने यूएन में अमेरिका व सहयोगियों के साथ मतदान क्यों नहीं किया?
हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिए सहायक रक्षा मंत्री एली रटनेर ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति से कहा, अमेरिका के नजरिए से भारत हमारा आवश्यक सहयोगी है। भारत का रूस के साथ जटिल रिश्ता है। वह ज्यादातर हथियार रूस से खरीदता है। उन्होंने कहा, अच्छी खबर यह है कि वे रूस के अलावा अन्य देशों से भी खरीदारी की कोशिश कर रहे हैं। इसमें कुछ वक्त लगेगा। खन्ना इससे संतुष्ट नहीं दिखे।
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रूस-यूक्रेन युद्ध के 15वें दिन अधिकारियों ने लड़ाई में मारे गए लोगों का सामूहिक दफन शुरू किया है। दक्षिणी यूक्रेन के मैरियूपोल में कई शव सामूहिक कब्रों में दफनाए गए। इसके लिए शहर के एक पुराने समाधिस्थल पर 25 मीटर लंबा गड्ढा खोदा गया है। इन शवों पर कोई शोक मनाने वाला भी नहीं है। ब्रिटेन ने कहा, रूसी हमला आगे नहीं बढ़ा लेकिन यूक्रेनी शहर गोलाबारी से तबाह हो रहे हैं।
उधर, लवीव में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र का पावर ग्रिड से संपर्क खत्म हो गया है और अब आपात जनरेटर से बिजली आपूर्ति हो रही है। यहां परमाणु सामग्री को ठंडा करने की प्रणाली पर खतरा हो सकता है। लवीव में चेर्नोबिल एटमी केंद्र पर खतरा आया तो हालात और बिगड़ सकते हैं। जबकि मैरियूपोल में सबसे दर्दनाक दृश्य देखे गए।
यहां न सिर्फ जीवित लोग पानी, स्वच्छता, फोन आदि के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे हैं बल्कि वे नदियों और पिघलती बर्फ से पानी भी जमा कर रहे हैं। शहर में लगातार जारी बमबारी के बीच अधिकारी इस कोशिश में हैं कि शवों का अलग अलग करके दफनाया जाए। लेकिन मुर्दाघरों के भर जाने एवं घरों से शव एकत्र न हो पाने के कारण उन्होंने तय किया है कि शवों को सामूहिक कब्रों में ही दफना दिया जाए।