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रिपोर्ट में दावा: हॉर्वर्ड में नौकरी के नाम पर साइबर अपराधियों ने भारतीय मीडिया की महिला शख्सियतों को बनाया निशाना

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Thu, 16 Dec 2021 08:45 PM IST

सार

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मीडिया की महिला शख्सियों को हार्वर्ड में नौकरी का फर्जी लालच देने वाले इन साइबर अपराधियों की पहचान अभी भी रहस्य बनी हुई है। ऐसी घटनाओं ने ये सवाल भी उठाए हैं कि इनकी शिकार बनी एक महिला की ओर से चेतावनी दिए जाने के बाद भी हार्वर्ड ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। 

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पिक्साबे

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प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नौकरी के फर्जी वादे के साथ ऑनलाइन स्कैमरों ने भारतीय मीडिया की प्रख्यात महिला शख्सियतों को अपना निशाना बनाया है। यह दावा गुरुवार को प्रकाशित हुई न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार इन साइबर अपराधियों ने जिन्हें अपना शिकार बनाने की कोशिश की उनमें एनडीटीवी की पूर्व एंकर निधि राजदान समेत मीडिया की अन्य महिला शख्सियतें भी शामिल हैं। 

निधि राजदान के अलावा इन साइबर अपराधियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता निघत अब्बास का नाम भी शामिल है। भाजपा की प्रवक्ता अब्बास से इन अपराधियों ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नौकरी के नाम पर उनके पासपोर्ट की और कुछ अन्य निजी जानकारियां मांगी थीं। लेकिन, शक होने पर निघत अब्बास ने सीधे हार्वर्ड के एक प्रशासक से संपर्क किया जिनकी ईमेल आईडी नौकरी के नाम पर भेजे गए उस ईमेल में दी गई थी। 

इस पर प्रशासक बेली पेन ने उन्हें बताया कि उनकी हार्वर्ड के ईमेल पते से भेजा गया आधिकारिक नियंत्रण फर्जी है। पेन हॉर्वर्ड के वाइस प्रोवोस्ट के कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर हैं। जब पेन ने अब्बास से और जानकारियां साझा करने को कहा तो निघत अब्बास ने उनके साथ अपराधी से मिला यूएई का एक फोन नंबर, सभी ईमेल, फर्जी दस्तावेजों के स्क्रीनशॉट और होटल बुकिंग के रिकॉर्ड साझा किए।

प्रवक्ता ने नहीं बताया कि हार्वर्ड ने क्या कार्रवाई की
लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार यह साफ नहीं हो पाया है कि निघत अब्बास ने जो जानकारी साझा की उस पर हार्वर्ड प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई की गई है या नहीं। बेली पेन की ओर से इस मामले को लेकर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अब्बास की ओर से दी गई जानकारी को लेकर यूनिवर्सिटी ने क्या कदम उठाए हैं। 

इन महिलाओं को भी निशाना बनाने की हुई कोशिश
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन साइबर अपराधियों की ओर से निशाना बनाए जाने का पहला ज्ञात मामला भारतीय पत्रकार रोहिणी सिंह का था। उन्हें ट्विटर पर खुद का नाम तौसीफ अहमद बताने वाले एक शख्स से 2019 में अगस्त में एक संदेश मिला था। अहमद ने उन्हें एक उच्च स्तरीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था। अहमद ने यह भी कहा था कि इसका पूरा खर्च हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उठाया जाएगा।

वहीं, अगला निशाना पत्रकार जैनब सिकंदर थीं। उन्हें भी ट्विटर पर ही अब्बास से 22 अगस्त को ऐसा मैसेज मिला था। सिकंदर को जो मैसेज मिला वह बिल्कुल वही था जो रोहिणी सिंह को भेजा गया था और उन्हें भी एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। लेकिन जब उन्होंने डीन से औपचारिक निमंत्रण की मांग की, लेकिन वह कभी नहीं आया। इसके बाद सिकंदर ने भी दोबारा तौसीफ अहमद से कोई संपर्क नहीं किया।

विस्तार

प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नौकरी के फर्जी वादे के साथ ऑनलाइन स्कैमरों ने भारतीय मीडिया की प्रख्यात महिला शख्सियतों को अपना निशाना बनाया है। यह दावा गुरुवार को प्रकाशित हुई न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार इन साइबर अपराधियों ने जिन्हें अपना शिकार बनाने की कोशिश की उनमें एनडीटीवी की पूर्व एंकर निधि राजदान समेत मीडिया की अन्य महिला शख्सियतें भी शामिल हैं। 

निधि राजदान के अलावा इन साइबर अपराधियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता निघत अब्बास का नाम भी शामिल है। भाजपा की प्रवक्ता अब्बास से इन अपराधियों ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नौकरी के नाम पर उनके पासपोर्ट की और कुछ अन्य निजी जानकारियां मांगी थीं। लेकिन, शक होने पर निघत अब्बास ने सीधे हार्वर्ड के एक प्रशासक से संपर्क किया जिनकी ईमेल आईडी नौकरी के नाम पर भेजे गए उस ईमेल में दी गई थी। 

इस पर प्रशासक बेली पेन ने उन्हें बताया कि उनकी हार्वर्ड के ईमेल पते से भेजा गया आधिकारिक नियंत्रण फर्जी है। पेन हॉर्वर्ड के वाइस प्रोवोस्ट के कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर हैं। जब पेन ने अब्बास से और जानकारियां साझा करने को कहा तो निघत अब्बास ने उनके साथ अपराधी से मिला यूएई का एक फोन नंबर, सभी ईमेल, फर्जी दस्तावेजों के स्क्रीनशॉट और होटल बुकिंग के रिकॉर्ड साझा किए।

प्रवक्ता ने नहीं बताया कि हार्वर्ड ने क्या कार्रवाई की

लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार यह साफ नहीं हो पाया है कि निघत अब्बास ने जो जानकारी साझा की उस पर हार्वर्ड प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई की गई है या नहीं। बेली पेन की ओर से इस मामले को लेकर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अब्बास की ओर से दी गई जानकारी को लेकर यूनिवर्सिटी ने क्या कदम उठाए हैं। 

इन महिलाओं को भी निशाना बनाने की हुई कोशिश

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन साइबर अपराधियों की ओर से निशाना बनाए जाने का पहला ज्ञात मामला भारतीय पत्रकार रोहिणी सिंह का था। उन्हें ट्विटर पर खुद का नाम तौसीफ अहमद बताने वाले एक शख्स से 2019 में अगस्त में एक संदेश मिला था। अहमद ने उन्हें एक उच्च स्तरीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था। अहमद ने यह भी कहा था कि इसका पूरा खर्च हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उठाया जाएगा।

वहीं, अगला निशाना पत्रकार जैनब सिकंदर थीं। उन्हें भी ट्विटर पर ही अब्बास से 22 अगस्त को ऐसा मैसेज मिला था। सिकंदर को जो मैसेज मिला वह बिल्कुल वही था जो रोहिणी सिंह को भेजा गया था और उन्हें भी एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। लेकिन जब उन्होंने डीन से औपचारिक निमंत्रण की मांग की, लेकिन वह कभी नहीं आया। इसके बाद सिकंदर ने भी दोबारा तौसीफ अहमद से कोई संपर्क नहीं किया।

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