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यूक्रेन संकट: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका-रूस में सीधी भिड़ंत, दोनों पक्षों के राजनयिकों ने एक-दूसरे के देश पर लगाए आरोप

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, संयुक्त राष्ट्र
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Tue, 01 Feb 2022 10:32 PM IST

सार

रूसी राजदूत वासीली नेबेनजिया ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन मुद्दे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका ने विवादित क्षेत्र में नाजियों को सत्ता में बिठा दिया है।

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यूक्रेन संकट पर बैठक बुलाने का अमेरिकी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पारित हो गया है। इससे पहले यूएनएससी की बैठक में उस वक्त माहौल गरमा गया जब अमेरिका और रूस के राजनयिक सीधे तौर पर बहस में भिड़ गए। रूस ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन को लेकर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया जबकि अमेरिका ने यूक्रेनी सीमा पर एक लाख रूसी सैनिकों के जमावड़े पर गर्मी दिखाई।

रूसी राजदूत वासीली नेबेनजिया ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन मुद्दे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका ने विवादित क्षेत्र में नाजियों को सत्ता में बिठा दिया है। इसके जवाब में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि यूक्रेन सीमा पर एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिकों का जमावड़ा पिछले कई दशकों में यूरोप में सबसे बड़ी घटना है। 

थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, रूस बिना तथ्यात्मक आधार के यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर आक्रामक होने का आरोप लगा रहा है ताकि हमला करने का माहौल तैयार कर सके। इस दौरान नेबेनजिया ने अमेरिका पर उनके देश के अंदरूनी मामलों में दखल देने का आरोप भी लगाया। यह गर्मागर्मी तब हुई जब रूस की एक बैठक को रोकने की कोशिश नाकाम हो गई। यूक्रेन मुद्दे पर पहली बार सभी पक्षों ने सीधे-सीधे अपनी बात रखी। बैठक कराने पर हुआ मतदान प्रस्ताव 10-2 से पारित हुआ।

अमेरिकी प्रस्ताव का रूस ने दिया लिखित जवाब
इस बैठक के कुछ घंटे बाद रूस ने अमेरिका के तनाव घटाने के प्रस्ताव का लिखित जवाब भेजा। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस जवाब के बारे में विस्तार से कुछ भी बताने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा करना अनुत्पादक होगा और वे अपने जवाबी प्रस्ताव पर फैसला रूस पर छोड़ रहे हैं। अब तक यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका और रूस के बीच बातचीत नाकाम ही रही है।

भारत ने बनाई दूरी, दोनों पक्षों के संपर्क में
यूएनएससी की बैठक कराने पर हुई वोटिंग का प्रस्ताव पारित जरूर हो गया लेकिन चीन और रूस ने इसका विरोध किया जबकि भारत समेत गैबॉन और केन्या ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया। भारत ने यूक्रेन संकट पर तत्काल तनाम कम करने की अपील करते हुए कहा कि हम दोनों ही पक्षों से लगातार संपर्क में बने हुए हैं और नॉर्मेंडी प्रारूप के तहत यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रमों का बारीकी से पालन कर रहे हैं। इस पर एक रूसी राजनयिक ने मतदान से पहले अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहने पर चारों देशों को शुक्रिया अदा किया।

विस्तार

यूक्रेन संकट पर बैठक बुलाने का अमेरिकी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पारित हो गया है। इससे पहले यूएनएससी की बैठक में उस वक्त माहौल गरमा गया जब अमेरिका और रूस के राजनयिक सीधे तौर पर बहस में भिड़ गए। रूस ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन को लेकर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया जबकि अमेरिका ने यूक्रेनी सीमा पर एक लाख रूसी सैनिकों के जमावड़े पर गर्मी दिखाई।

रूसी राजदूत वासीली नेबेनजिया ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन मुद्दे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका ने विवादित क्षेत्र में नाजियों को सत्ता में बिठा दिया है। इसके जवाब में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि यूक्रेन सीमा पर एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिकों का जमावड़ा पिछले कई दशकों में यूरोप में सबसे बड़ी घटना है। 

थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, रूस बिना तथ्यात्मक आधार के यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर आक्रामक होने का आरोप लगा रहा है ताकि हमला करने का माहौल तैयार कर सके। इस दौरान नेबेनजिया ने अमेरिका पर उनके देश के अंदरूनी मामलों में दखल देने का आरोप भी लगाया। यह गर्मागर्मी तब हुई जब रूस की एक बैठक को रोकने की कोशिश नाकाम हो गई। यूक्रेन मुद्दे पर पहली बार सभी पक्षों ने सीधे-सीधे अपनी बात रखी। बैठक कराने पर हुआ मतदान प्रस्ताव 10-2 से पारित हुआ।

अमेरिकी प्रस्ताव का रूस ने दिया लिखित जवाब

इस बैठक के कुछ घंटे बाद रूस ने अमेरिका के तनाव घटाने के प्रस्ताव का लिखित जवाब भेजा। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस जवाब के बारे में विस्तार से कुछ भी बताने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा करना अनुत्पादक होगा और वे अपने जवाबी प्रस्ताव पर फैसला रूस पर छोड़ रहे हैं। अब तक यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका और रूस के बीच बातचीत नाकाम ही रही है।

भारत ने बनाई दूरी, दोनों पक्षों के संपर्क में

यूएनएससी की बैठक कराने पर हुई वोटिंग का प्रस्ताव पारित जरूर हो गया लेकिन चीन और रूस ने इसका विरोध किया जबकि भारत समेत गैबॉन और केन्या ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया। भारत ने यूक्रेन संकट पर तत्काल तनाम कम करने की अपील करते हुए कहा कि हम दोनों ही पक्षों से लगातार संपर्क में बने हुए हैं और नॉर्मेंडी प्रारूप के तहत यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रमों का बारीकी से पालन कर रहे हैं। इस पर एक रूसी राजनयिक ने मतदान से पहले अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहने पर चारों देशों को शुक्रिया अदा किया।

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