सार
रूस-यूक्रेन के बीच तनाव के कारण एक सप्ताह में थोक में खाद्य तेलों के दामों में 15 रुपये लीटर तक उछाल आया है। पिछले दो दिन में कीमत 10 से 12 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ी हैं। दोनों देशों के बीच हालात ऐसे ही रहे या और बिगड़े तो कीमतों में अभी और बढ़ोतरी का अनुमान तेल कारोबारी लगा रहे हैं…
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग का असर अब भारतीय बाजार पर भी पड़ने लगा लगा है। आने वाले दिनों में भी अगर दोनों देशों के बीच इसी तरह का टकराव जारी रहता है, तो भारतीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिले सकता है। फिलहाल देश में अप्रैल मध्य तक का ही सूरजमुखी तेल का भंडार मौजूद है। बढ़ते तनाव के कारण पिछले दो दिन में तेल की कीमत 10 से 12 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई है।
दरअसल, भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इनमें 90 फीसदी हिस्सा रूस और यूक्रेन से आता है। क्योंकि यह दोनों देश ही तेल के बड़े निर्यातक हैं। पाम और सोयाबीन तेल के बाद देश में सूरजमुखी तीसरा ऐसा खाद्य तेल है, जिसका बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है।
भारत में है हर साल 2.3 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के पदाधिकारियों ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि देश में तिलहन उत्पादन नाकाफी रहने से भारत को खाद्य तेल की कुल मांग का 60 फीसदी हिस्सा बाहर से मंगवाना पड़ता है। देश में सालाना करीब 2.3 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग है। अगर रूस और यूक्रेन में सैन्य संघर्ष लंबे समय तक जारी रहा तो बंदरगाहों पर व्यापारिक गतिविधियां कम हो सकती हैं। इससे तेल और सोयाबीन तेल पर निर्भरता बढ़ सकती है। इधर, पहले ही इन दोनों तेलों की आपूर्ति कमजोर स्थिति में है।
कच्चे सोयाबीन तेल के भाव पिछले साल की तुलना में 54 फीसदी अधिक
इस व्यापार से जुड़े लोगों का अमर उजाला से कहना है कि भारत प्रत्येक महीने औसतन 2.0-2.5 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इनका करीब 70 फीसदी हिस्सा यूक्रेन और 20 फीसदी हिस्सा रूस से आता है। शेष 10 फीसदी हिस्से का अर्जेंटीना से आयात किया जाता है। पिछले एक वर्ष के दौरान कच्चे सूरजमुखी तेल के दाम में 14.4 फीसदी से अधिक इजाफा हो चुका है।
पाम और सोयाबीन तेल की कीमतों में तो इससे भी अधिक तेजी देखी गई है। इंडोनेशिया में पाबंदी और देश के बड़े उत्पादक राज्यों में श्रमिकों की कमी सहित अन्य कारणों से पाम तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस वजह से पिछले एक साल के दौरान इसके दामों में भारी इजाफा हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो 25 फरवरी को बाहर से आए कच्चे पाम तेल की कीमतें पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में करीब 63 फीसदी अधिक थीं, जबकि पिछले साल की तुलना में कच्चे सोयाबीन तेल का भाव करीब 54 फीसदी अधिक था।
अप्रैल तक सूरजमुखी तेल का है पर्याप्त भंडार
इस उद्योग से जुड़े लोगों ने अमर उजाला से कहा कि फिलहाल तो यूक्रेन में बंदरगाह बंद हो चुके हैं और जहाजों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। अगर रूस और यूक्रेन में लड़ाई इसी तरह जारी रही तो मार्च के अंत तक सूरजमुखी तेल की उपलब्धता कम हो सकती है। फिलहाल देश में मार्च अप्रैल मध्य तक सूरजमुखी तेल का पर्याप्त भंडार मौजूद है। लेकिन दोनों के बीच हालत नहीं सुधरे तो उपभोक्ता सोयाबीन सहित दूसरे वैकल्पिक तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उनके दामों में भी इजाफा देखने को मिलेगा। गुरुवार से खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ कमी दर्ज की गई और उम्मीद है कि आने वाले सप्ताह में हालात बेहतर हो जाएंगे। लेकिन अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो केंद्र को एक बार फिर शुल्कों में कटौती करनी पड़ सकती है।
बढ़ने लगे तेल के दाम
रूस-यूक्रेन के बीच तनाव के कारण एक सप्ताह में थोक में खाद्य तेलों के दामों में 15 रुपये लीटर तक उछाल आया है। पिछले दो दिन में कीमत 10 से 12 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ी हैं। दोनों देशों के बीच हालात ऐसे ही रहे या और बिगड़े तो कीमतों में अभी और बढ़ोतरी का अनुमान तेल कारोबारी लगा रहे हैं।
अमर उजाला से चर्चा में खाद्य तेल यूनियन का कहना है कि भारत में खाद्य तेल विदेश से आता है। इन दिनों यूक्रेन से सनफ्लावर, इंडोनेशिया, मलेशिया से पाम, अर्जेंटीना व ब्राजील से सोया तेल की आवक कम हो गई है। इसी कारण पिछले सात दिन में तेल की कीमतों में 15 रुपये लीटर तक तथा दो दिन में सर्वाधिक 12 रुपये लीटर तक वृद्धि हो चुकी है। इसी तरह सूरजमुखी के तेल की कीमत एक दिन में 10 रुपये बढ़कर 167 से 168 प्रति लीटर पर पहुंच गईं। सात दिन पहले इसके दाम 150 रुपये प्रति लीटर थे।
विस्तार
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग का असर अब भारतीय बाजार पर भी पड़ने लगा लगा है। आने वाले दिनों में भी अगर दोनों देशों के बीच इसी तरह का टकराव जारी रहता है, तो भारतीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिले सकता है। फिलहाल देश में अप्रैल मध्य तक का ही सूरजमुखी तेल का भंडार मौजूद है। बढ़ते तनाव के कारण पिछले दो दिन में तेल की कीमत 10 से 12 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई है।
दरअसल, भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इनमें 90 फीसदी हिस्सा रूस और यूक्रेन से आता है। क्योंकि यह दोनों देश ही तेल के बड़े निर्यातक हैं। पाम और सोयाबीन तेल के बाद देश में सूरजमुखी तीसरा ऐसा खाद्य तेल है, जिसका बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है।
भारत में है हर साल 2.3 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के पदाधिकारियों ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि देश में तिलहन उत्पादन नाकाफी रहने से भारत को खाद्य तेल की कुल मांग का 60 फीसदी हिस्सा बाहर से मंगवाना पड़ता है। देश में सालाना करीब 2.3 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग है। अगर रूस और यूक्रेन में सैन्य संघर्ष लंबे समय तक जारी रहा तो बंदरगाहों पर व्यापारिक गतिविधियां कम हो सकती हैं। इससे तेल और सोयाबीन तेल पर निर्भरता बढ़ सकती है। इधर, पहले ही इन दोनों तेलों की आपूर्ति कमजोर स्थिति में है।
कच्चे सोयाबीन तेल के भाव पिछले साल की तुलना में 54 फीसदी अधिक
इस व्यापार से जुड़े लोगों का अमर उजाला से कहना है कि भारत प्रत्येक महीने औसतन 2.0-2.5 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इनका करीब 70 फीसदी हिस्सा यूक्रेन और 20 फीसदी हिस्सा रूस से आता है। शेष 10 फीसदी हिस्से का अर्जेंटीना से आयात किया जाता है। पिछले एक वर्ष के दौरान कच्चे सूरजमुखी तेल के दाम में 14.4 फीसदी से अधिक इजाफा हो चुका है।
पाम और सोयाबीन तेल की कीमतों में तो इससे भी अधिक तेजी देखी गई है। इंडोनेशिया में पाबंदी और देश के बड़े उत्पादक राज्यों में श्रमिकों की कमी सहित अन्य कारणों से पाम तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस वजह से पिछले एक साल के दौरान इसके दामों में भारी इजाफा हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो 25 फरवरी को बाहर से आए कच्चे पाम तेल की कीमतें पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में करीब 63 फीसदी अधिक थीं, जबकि पिछले साल की तुलना में कच्चे सोयाबीन तेल का भाव करीब 54 फीसदी अधिक था।
अप्रैल तक सूरजमुखी तेल का है पर्याप्त भंडार
इस उद्योग से जुड़े लोगों ने अमर उजाला से कहा कि फिलहाल तो यूक्रेन में बंदरगाह बंद हो चुके हैं और जहाजों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। अगर रूस और यूक्रेन में लड़ाई इसी तरह जारी रही तो मार्च के अंत तक सूरजमुखी तेल की उपलब्धता कम हो सकती है। फिलहाल देश में मार्च अप्रैल मध्य तक सूरजमुखी तेल का पर्याप्त भंडार मौजूद है। लेकिन दोनों के बीच हालत नहीं सुधरे तो उपभोक्ता सोयाबीन सहित दूसरे वैकल्पिक तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उनके दामों में भी इजाफा देखने को मिलेगा। गुरुवार से खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ कमी दर्ज की गई और उम्मीद है कि आने वाले सप्ताह में हालात बेहतर हो जाएंगे। लेकिन अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो केंद्र को एक बार फिर शुल्कों में कटौती करनी पड़ सकती है।
बढ़ने लगे तेल के दाम
रूस-यूक्रेन के बीच तनाव के कारण एक सप्ताह में थोक में खाद्य तेलों के दामों में 15 रुपये लीटर तक उछाल आया है। पिछले दो दिन में कीमत 10 से 12 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ी हैं। दोनों देशों के बीच हालात ऐसे ही रहे या और बिगड़े तो कीमतों में अभी और बढ़ोतरी का अनुमान तेल कारोबारी लगा रहे हैं।
अमर उजाला से चर्चा में खाद्य तेल यूनियन का कहना है कि भारत में खाद्य तेल विदेश से आता है। इन दिनों यूक्रेन से सनफ्लावर, इंडोनेशिया, मलेशिया से पाम, अर्जेंटीना व ब्राजील से सोया तेल की आवक कम हो गई है। इसी कारण पिछले सात दिन में तेल की कीमतों में 15 रुपये लीटर तक तथा दो दिन में सर्वाधिक 12 रुपये लीटर तक वृद्धि हो चुकी है। इसी तरह सूरजमुखी के तेल की कीमत एक दिन में 10 रुपये बढ़कर 167 से 168 प्रति लीटर पर पहुंच गईं। सात दिन पहले इसके दाम 150 रुपये प्रति लीटर थे।
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