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महासंकट: अपनी 'लड़ाई' खुद लड़े अफगानिस्तान, अमेरिका ने किसी भी तरह की मदद से किया इंकार

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 11 Aug 2021 10:30 AM IST

सार

अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमले के कारण स्थिति खतरनाक होती जा रही है। यहां के नागरिकों में दहशत का माहौल है। ऐसे में अफगानिस्तान को अमेरिका से मदद की सबसे अधिक उम्मीद थी लेकिन अब राष्ट्रपति बाइडन ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है।

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अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमले के कारण स्थिति खतरनाक होती जा रही है। यहां के नागरिकों में दहशत का माहौल है। ऐसे में अफगानिस्तान को अमेरिका से मदद की सबसे अधिक उम्मीद थी लेकिन अब राष्ट्रपति बाइडन ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। दरअसल जो बाइडन अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर तालिबान के बढ़ते नियंत्रण के बावजूद अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की स्वदेश वापसी के फैसले पर अडिग हैं और वे इसमें किसी भी तरह से बदलाव के मूड में नहीं हैं।

व्हाइट हाउस के अनुसार राष्ट्रपति बाइडन ने 11 सितंबर तक अफगानिस्तान के युद्धग्रस्त क्षेत्र से अपने सभी बचे सैनिकों को वापस बुलाने के आदेश दिए हैं। हालांकि  अब तक 90 फीसदी से अधिक अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो  चुकी है।  

बाइडन ने अपने इस फैसले पर कहा कि देखिए, हमने 20 वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए हैं। हमने 300,000 से अधिक अफगान बलों को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया। हमने हजारों अमेरिकी सैनिकों को खो दिए। अफगानिस्तान को अब  अपने देश के लिए खुद लड़ना होगा और इसके लिए अफगान नेताओं को साथ आना होगा।

वहीं इससे पहले, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए अफगानिस्तान गया था, जिन्होंने 11 सितंबर को उन पर हमला किया था, ताकि संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करने वाले आतंकवादियों का खात्मा किया जा सके। हमने कुछ साल पहले उन उद्देश्यों को हासिल किया। 

बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के हमले से हर दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। देश में तालिबानी लड़ाकों का कब्ज़ा बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार तालिबान ने अब तक अफगानिस्तान के पांच प्रांत की राजधानियों पर अपना कब्जा जमा लिया है जिसके कारण लोगों के बीच दहशत का माहौल है। वहीं भारतीय दूतावास सुरक्षा के मद्देनजर अपने नागरिकों से भारत लौटने की अपील कर रहा है।

विस्तार

अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमले के कारण स्थिति खतरनाक होती जा रही है। यहां के नागरिकों में दहशत का माहौल है। ऐसे में अफगानिस्तान को अमेरिका से मदद की सबसे अधिक उम्मीद थी लेकिन अब राष्ट्रपति बाइडन ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। दरअसल जो बाइडन अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर तालिबान के बढ़ते नियंत्रण के बावजूद अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की स्वदेश वापसी के फैसले पर अडिग हैं और वे इसमें किसी भी तरह से बदलाव के मूड में नहीं हैं।

व्हाइट हाउस के अनुसार राष्ट्रपति बाइडन ने 11 सितंबर तक अफगानिस्तान के युद्धग्रस्त क्षेत्र से अपने सभी बचे सैनिकों को वापस बुलाने के आदेश दिए हैं। हालांकि  अब तक 90 फीसदी से अधिक अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो  चुकी है।  

बाइडन ने अपने इस फैसले पर कहा कि देखिए, हमने 20 वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए हैं। हमने 300,000 से अधिक अफगान बलों को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया। हमने हजारों अमेरिकी सैनिकों को खो दिए। अफगानिस्तान को अब  अपने देश के लिए खुद लड़ना होगा और इसके लिए अफगान नेताओं को साथ आना होगा।

वहीं इससे पहले, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए अफगानिस्तान गया था, जिन्होंने 11 सितंबर को उन पर हमला किया था, ताकि संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करने वाले आतंकवादियों का खात्मा किया जा सके। हमने कुछ साल पहले उन उद्देश्यों को हासिल किया। 

बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के हमले से हर दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। देश में तालिबानी लड़ाकों का कब्ज़ा बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार तालिबान ने अब तक अफगानिस्तान के पांच प्रांत की राजधानियों पर अपना कब्जा जमा लिया है जिसके कारण लोगों के बीच दहशत का माहौल है। वहीं भारतीय दूतावास सुरक्षा के मद्देनजर अपने नागरिकों से भारत लौटने की अपील कर रहा है।

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