Desh

कुरुक्षेत्र: कपिल सिब्बल बन सकते हैं कांग्रेस और विपक्ष की एकता के सूत्रधार

सार

सिब्बल ने बैठक को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में अमर उजाला से कहा कि वह राजनीति में हैं और निष्क्रिय होकर घर नहीं बैठ सकते। राजनीति में कुछ न कुछ करते रहना जरूरी है।

ख़बर सुनें

कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार करे या कोई गैर गांधी, विपक्षी नेताओं को इससे मतलब नहीं है। उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की रीति नीति और कार्यशैली में बदलाव और सुधार होना चाहिए। सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के आवास पर बुलाई गई विपक्षी दलों की रात्रिभोज बैठक का लब्बोलुआब यही है। साथ ही इस बैठक का एक और संदेश है कि कांग्रेस को सभी विपक्षी दलों के बीच सर्वस्वीकार्य बनाने में कपिल सिब्बल एक ऐसी कड़ी हो सकते हैं जिसके जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता कोई सर्वमान्य फार्मूला और रास्ता निकल सकता है।

बैठक में शामिल एक नेता के मुताबिक जब शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कांग्रेस को गांधी परिवार के नेतृत्व से मुक्त होने की सलाह दी तो उसका समर्थन किसी भी नेता ने नहीं किया। बल्कि कुछ नेताओं ने कहा कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है कि उसका नेतृत्व कौन करे। लेकिन बैठक में मौजूद सभी नेताओं की आम राय थी कि कांग्रेस को अपने नेतृत्व के सवाल को जल्दी से जल्दी हल कर लेना चाहिए, जिससे पूरा विपक्ष एकजुट होकर नरेंद्र मोदी सरकार का डटकर मुकाबला संसद और सड़क दोनों जगह कर सके। बैठक में मौजूद जी-23 के नेता आंनद शर्मा, शशि थरूर और जी-23 से बाहर रहे पी. चिदंबरम ने भी इससे सहमति जाहिर की और कहा कि जल्दी ही पार्टी संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।

नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की अगर मानी जाए तो उनके घर हुई विपक्षी नेताओं की बैठक कांग्रेस में कोई अलग गुट बनाने की कोशिश नहीं बल्कि विपक्षी दलों और कांग्रेस के बीच निरंतर संवाद बनाए रखने और दूरियां पाटने की एक कोशिश है। सिब्बल ने बैठक को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में अमर उजाला से कहा कि वह राजनीति में हैं और निष्क्रिय होकर घर नहीं बैठ सकते। राजनीति में कुछ न कुछ करते रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2024 में अगर मोदी सरकार को हराना है तो उसकी व्यूह रचना अभी से करनी होगी। इसके लिए जरूरी है कि समान विचार और मुद्दों के लिए संघर्ष करने वाले दलों और उनके नेताओं के साथ निरंतर संवाद होता रहे। इस तरह के संवाद से ही परस्पर सहमति और समझदारी बनेगी। वैचारिक स्तर पर भी हम एक दूसरे के नजदीक आएंगे और व्यक्तिगत स्तर पर भी रिश्ते बनेंगे। तब जाकर 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर कोई कारगर रणनीति बन पाएगी। उन्होंने कहा कि जनता बार-बार विपक्षी एकता और मोदी के विकल्प को लेकर सवाल करती है। इन दोनों सवालों के जवाब इस तरह की निरंतर बैठकों और संवाद से ही निकलेंगे।

सिब्बल ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सरकार के खिलाफ सिर्फ फौरी गठबंधन या सीटों के तालमेल भर से काम चलने वाला नही है। इसके लिए सभी दलों के बीच जो दूरियां हैं, जो टकराव के बिंदु और मुद्दे हैं उन पर मिल बैठकर बात करनी जरूरी है। तभी ऐसा रास्ता निकलेगा जो सबको स्वीकार हो और सबके राजनीतिक हित भी सुरक्षित रहें। जब इस तरह की समझदारी बनेगी तभी एक समान कार्यक्रम भी बन सकेगा जिसके आधार पर 2024 के लोकसभा चुनावो में एकजुट होकर मोदी सरकार और भाजपा को हराया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मैंने एक शुरुआत की है जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है और इस तरह की सद्भाव बैठकें रात्रिभोज ,दोपहर भोज या चाय पर दूसरे नेताओं को भी आगे आयोजित करनी चाहिए। कपिल सिब्बल ने कहा कि वह पार्टी को कमजोर करने का नहीं बल्कि मजबूत करने और उसे अन्य दलों के बीच स्वीकार्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

 

बैठक में शामिल एक अन्य विपक्षी नेता ने बताया कि ज्यादातर नेताओं की राय यही थी कि कांग्रेस को अपनी रीति नीति सुधारनी होगी और विपक्ष के साथ निरंतर संवाद और सहयोग बढ़ाना होगा। अब वह समय नहीं है जब पूरे देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी। अब उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, प.बंगाल जैसे राज्यों में कांग्रेस का जनाधार बहुत सीमित हो गया है और कई जगह तो उसका सफाया हो गया है। जबकि दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी कांग्रेस पहले जैसी मजबूत हालत में नहीं है। कई राज्यों में क्षेत्रीय दल उससे ज्यादा मजबूत हैं। इसलिए कांग्रेस को जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए भाजपा के खिलाफ उन सारी ताकतों को जगह देनी होगी जो अपने अपने प्रभाव क्षेत्र में भाजपा को मजबूत चुनौती दे रही हैं। राज्यसभा सांसद इस नेता के मुताबिक बैठक में इस पर चर्चा हुई।

कपिल सिब्बल के घर पर हुई बैठक को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को विश्वास में लिया गया था या नहीं, इस सवाल के जवाब में सिब्बल का कहना था कि यह कांग्रेस पार्टी का आयोजन नहीं था और उन्होंने कांग्रेस नेता की हैसियत से नहीं बल्कि अपने निजी रिश्तों के आधार पर सबको निजी दावत पर बुलाया था। लेकिन इसमें पार्टी में अलग खेमा बनाने जैसी कोशिश देखना गलत है। गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के साथ साथ कपिल सिब्बल देश के जाने माने वकील भी हैं और कांग्रेस और विपक्ष के ज्यादातर नेताओं ने उनसे कभी न कभी कानूनी लड़ाई में मदद ली है। इसलिए उनके सब नेताओं से बेहद प्रगाढ़ निजी संबंध भी हैं। इस नाते कांग्रेस अगर चाहे तो उनका उपयोग विपक्षी दलों के साथ समन्वय बनाने और दूरी पाटने के लिए भी कर सकती है। जैसे कपिल की दावत में बीजू जनता दल, अकाली दल, आम आदमी पार्टी जैसे उन दलों के नेताओं का आना जिनकी कांग्रेस से दूरी अभी भी बरकरार है, मायने रखता है। अन्ना आंदोलन से पैदा हुआ आम आदमी पार्टी के नेता सांसद संजय सिंह भी इस दावत में आए थे और अहम बात ये है कि अन्ना आंदोलन के दौरान यूपीए के वरिष्ठ मंत्री के रूप में उस आंदोलन को समाप्त कराने में कपिल सिब्बल की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। अन्ना आंदोलन के प्रथम चरण की सारी वार्ताएं कपिल सिब्बल के घर पर ही होती थीं। इस लिहाज से अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह के साथ उनका संवाद तब से है।

राजद संस्थापक लालू प्रसाद यादव के ज्यादातर मुकदमों में सिब्बल ने ही बतौर वकील पैरवी की और राजद की मदद से वह एक बार बिहार से राज्यसभा में भी रहे। इसी तरह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, बीजद नेता पिनाकी मिश्रा, अकाली नेता नरेश गुजराल आदि से भी कपिल सिब्बल के बेहद करीबी निजी रिश्ते हैं। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत लगभग सभी प्रमुख नेताओं की मित्रता सिब्बल से है। बैठक में शामिल एक अन्य नेता के मुताबिक कपिल सिब्बल की कांग्रेस को विपक्षी दलों के बीच स्वीकार्य बनाने में अहम भूमिका हो सकती है बशर्ते कांग्रेस नेतृत्व इसे समय रहते समझ ले और उनका पार्टी हित में सदुपयोग करे।

विस्तार

कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार करे या कोई गैर गांधी, विपक्षी नेताओं को इससे मतलब नहीं है। उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की रीति नीति और कार्यशैली में बदलाव और सुधार होना चाहिए। सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के आवास पर बुलाई गई विपक्षी दलों की रात्रिभोज बैठक का लब्बोलुआब यही है। साथ ही इस बैठक का एक और संदेश है कि कांग्रेस को सभी विपक्षी दलों के बीच सर्वस्वीकार्य बनाने में कपिल सिब्बल एक ऐसी कड़ी हो सकते हैं जिसके जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता कोई सर्वमान्य फार्मूला और रास्ता निकल सकता है।

बैठक में शामिल एक नेता के मुताबिक जब शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कांग्रेस को गांधी परिवार के नेतृत्व से मुक्त होने की सलाह दी तो उसका समर्थन किसी भी नेता ने नहीं किया। बल्कि कुछ नेताओं ने कहा कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है कि उसका नेतृत्व कौन करे। लेकिन बैठक में मौजूद सभी नेताओं की आम राय थी कि कांग्रेस को अपने नेतृत्व के सवाल को जल्दी से जल्दी हल कर लेना चाहिए, जिससे पूरा विपक्ष एकजुट होकर नरेंद्र मोदी सरकार का डटकर मुकाबला संसद और सड़क दोनों जगह कर सके। बैठक में मौजूद जी-23 के नेता आंनद शर्मा, शशि थरूर और जी-23 से बाहर रहे पी. चिदंबरम ने भी इससे सहमति जाहिर की और कहा कि जल्दी ही पार्टी संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।

नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की अगर मानी जाए तो उनके घर हुई विपक्षी नेताओं की बैठक कांग्रेस में कोई अलग गुट बनाने की कोशिश नहीं बल्कि विपक्षी दलों और कांग्रेस के बीच निरंतर संवाद बनाए रखने और दूरियां पाटने की एक कोशिश है। सिब्बल ने बैठक को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में अमर उजाला से कहा कि वह राजनीति में हैं और निष्क्रिय होकर घर नहीं बैठ सकते। राजनीति में कुछ न कुछ करते रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2024 में अगर मोदी सरकार को हराना है तो उसकी व्यूह रचना अभी से करनी होगी। इसके लिए जरूरी है कि समान विचार और मुद्दों के लिए संघर्ष करने वाले दलों और उनके नेताओं के साथ निरंतर संवाद होता रहे। इस तरह के संवाद से ही परस्पर सहमति और समझदारी बनेगी। वैचारिक स्तर पर भी हम एक दूसरे के नजदीक आएंगे और व्यक्तिगत स्तर पर भी रिश्ते बनेंगे। तब जाकर 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर कोई कारगर रणनीति बन पाएगी। उन्होंने कहा कि जनता बार-बार विपक्षी एकता और मोदी के विकल्प को लेकर सवाल करती है। इन दोनों सवालों के जवाब इस तरह की निरंतर बैठकों और संवाद से ही निकलेंगे।

सिब्बल ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सरकार के खिलाफ सिर्फ फौरी गठबंधन या सीटों के तालमेल भर से काम चलने वाला नही है। इसके लिए सभी दलों के बीच जो दूरियां हैं, जो टकराव के बिंदु और मुद्दे हैं उन पर मिल बैठकर बात करनी जरूरी है। तभी ऐसा रास्ता निकलेगा जो सबको स्वीकार हो और सबके राजनीतिक हित भी सुरक्षित रहें। जब इस तरह की समझदारी बनेगी तभी एक समान कार्यक्रम भी बन सकेगा जिसके आधार पर 2024 के लोकसभा चुनावो में एकजुट होकर मोदी सरकार और भाजपा को हराया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मैंने एक शुरुआत की है जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है और इस तरह की सद्भाव बैठकें रात्रिभोज ,दोपहर भोज या चाय पर दूसरे नेताओं को भी आगे आयोजित करनी चाहिए। कपिल सिब्बल ने कहा कि वह पार्टी को कमजोर करने का नहीं बल्कि मजबूत करने और उसे अन्य दलों के बीच स्वीकार्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

13
Desh

Delta Variant: दिल्ली सरकार द्वारा जीनोम सिक्वेंसिंग लिए भेजे गए 80 फीसदी नमूनों में मिला डेल्टा वैरिएंट

To Top
%d bloggers like this: