न्यूज डेस्क, अमर अजाला, मुंबई
Published by: सुभाष कुमार
Updated Fri, 10 Dec 2021 07:02 AM IST
सार
सुधा भारद्वाज को तीन साल पहले भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था, इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक दिसंबर को उन्हें डिफॉल्ट जमानत दे दी थी।
भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तीन साल बाद मुंबई की बाइकुला जेल से बृहस्पतिवार को रिहाई मिल गई। स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बुधवार को सुधा को 50 हजार रुपये के कैश बेल बॉन्ड पर जमानत दी।
हालांकि, बॉन्ड के अलावा भी उन्हें कई शर्तों का पालन करना पड़ेगा। कोर्ट की शर्तों के अनुसार सुधा को मुंबई में ही रहना होगा। हाजिरी की तय तारीखों पर उन्हें कोर्ट में पेश होना होगा। वह मीडिया से केस से जुड़ी किसी तरह की बात नहीं कर सकती हैं। इसके साथ उन्हें अपने पासपोर्ट भी जमा करने होंगे।
सुधा भारद्वाज को तीन साल पहले भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था, इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक दिसंबर को उन्हें डिफॉल्ट जमानत दे दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले को एनआईए ने दो दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था और जमानत बरकरार रखी थी।
विस्तार
भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तीन साल बाद मुंबई की बाइकुला जेल से बृहस्पतिवार को रिहाई मिल गई। स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बुधवार को सुधा को 50 हजार रुपये के कैश बेल बॉन्ड पर जमानत दी।
हालांकि, बॉन्ड के अलावा भी उन्हें कई शर्तों का पालन करना पड़ेगा। कोर्ट की शर्तों के अनुसार सुधा को मुंबई में ही रहना होगा। हाजिरी की तय तारीखों पर उन्हें कोर्ट में पेश होना होगा। वह मीडिया से केस से जुड़ी किसी तरह की बात नहीं कर सकती हैं। इसके साथ उन्हें अपने पासपोर्ट भी जमा करने होंगे।
सुधा भारद्वाज को तीन साल पहले भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था, इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक दिसंबर को उन्हें डिफॉल्ट जमानत दे दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले को एनआईए ने दो दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था और जमानत बरकरार रखी थी।
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