एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 03 Sep 2021 07:49 AM IST
ख़बर सुनें
विस्तार
इसी प्रकार की शिकायत पिछले वर्ष यूरोपीय संघ में भी की गई थी, जिसके बाद प्रतिस्पर्धा नियामक एजेंसियों ने एपल की जांच शुरू की है। शिकायत में बताया गया था कि एपल डिजिटल कंटेंट के लिए यह पैसा लेता है और कई प्रकार की पाबंदियां लगाता है।
वहीं भारत में हुई शिकायत के अनुसार 30 प्रतिशत कमीशन लेने का सीधा असर ऐसे डेवलपर्स पर होता है जो यह भार वहन नहीं कर सकते। नतीजा, उनके इनोवेशन मार्केट में पहुंच ही नहीं पा रहे। यह नई तकनीकों का विकास प्रभावित करने जैसा है, जिसमें उपभोक्ताओं का सबसे ज्यादा नुकसान है।
एपल ने नियम ढीले करने शुरू किए
एपल ने बुधवार को नेटफिलिक्स सहित कई प्रकार के कंटेंट मुहैया करवाने वाली कंपनियों को यूजर्स के लिए अपनी वेबसाइट्स पर भुगतान का लिंक देने की अनुमति दी। जापान के प्रतिस्पर्धा नियामक आयोग में इसे लेकर जारी मुकदमा बंद करने के लिए हुए समझौते के तहत यह कदम उठाया गया।
शिकायत
शिकायतकर्ता संगठन ‘टूगेदर वी फाइट सोसाइटी’ राजस्थान का है। उसके अनुसार भारतीय स्टार्टअप्स और यूजर्स के हितों के संरक्षण के लिए यह शिकायत की गई है। सोसाइटी के अनुसार देश में जब अधिकतर भुगतान व्यवस्थाएं 1 से 5 प्रतिशत ही कमीशन लेती हैं, एपल कई मामलों में 30 प्रतिशत तक कमीशन ले रहा है। एपल के एप डेवलपर्स अपने यूजर्स को भुगतान के वैकल्पिक माध्यमों के बारे में बता भी नहीं सकते।
आगे क्या होगा
- सीसीआई शिकायत पर विचार करेगा। इस दौरान देखेगा कि क्या एपल ने प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाया या कोई कानून तोड़ा?
- सीसीआई इस शिकायत को गैरवाजिब पाते हुए नकार भी सकता है।
- भारत में पिछले वर्ष गूगल के खिलाफ भी ऐसी ही शिकायत की जांच के आदेश सीसीआई ने दिए थे।
- मोबाइल गेम फोर्टनाइट बनाने वाली कंपनी एपिक गेम्स ने भी एपल की इसी नीति पर मुकदमा दायर किया हुआ है।
- एपल ने एपिक के मुकदमे को देख हाल में कुछ एप डवलपर्स को यह छूट दी कि वे सीधे अपने यूजर्स को ई-मेल भेज कर भुगतान के लिए वैकल्पिक माध्यम प्रदान कर सकते हैं ।