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भाला फेंक: नीरज चोपड़ा को दो-दो गोल्ड जिताने वाले कोच की विदाई, इन तीन विवादों ने पूरा खेल बिगाड़ा

सार

जिस कोच ने एशियन-कॉमनवेल्थ गेम्स में जिताया गोल्ड, तकनीक का फासला बताकर नीरज चोपड़ा ने उन्हीं के साथ ट्रेनिंग करने से इनकार कर दिया। जानें, क्या रहीं उवी होह्न की विदाई की वजहें…

नीरज चोपड़ा ने उवी होह्न के कोच रहने के दौरान कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में जीते थे गोल्ड मेडल।
– फोटो : Social Media

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एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) ने सोमवार को देश के खेल इतिहास का एक बड़ा फैसला लिया। संघ ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के राष्ट्रीय कोच उवी होह्न (59) को उनके चार साल के कार्यकाल के बाद विदा कर दिया। एथलेटिक्स में जर्मनी का प्रतिनिधित्व कर चुके होह्न का नाम दुनियाभर के एथलेटिक्स जगत में काफी सम्मान से लिया जाता है। वजह यह है कि वे जैवलिन थ्रो में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भाले फेंक में 100 मीटर से ज्यादा की दूरी नाप दी थी। भारत में इस खेल को उभारने में उनका खासा योगदान रहा। ये उवी होह्न ही थे, जिनके कार्यकाल के दौरान नीरज चोपड़ा ने 88.06 मीटर भाला फेंक कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था और कई अन्य कीर्तिमान स्थापित किए।

ये उवी होह्न ही थे, जिनकी कोचिंग के दौरान नीरज चोपड़ा ने पहले 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता और फिर उसी साल एशियन गेम्स में भी स्वर्ण पदक हासिल कर इतिहास रच दिया। हालांकि, इन दो अहम मंचों पर बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद नीरज चोपड़ा ने 2019 में होह्न की कोचिंग से निकलने का फैसला कर लिया। तब एएफआई ने होह्न के हमवतन क्लाउस बार्टोनिएट्ज को नीरज चोपड़ा का कोच नियुक्त किया। हालांकि, होह्न के योगदान के लिए उन्हें टोक्यो ओलंपिक्स तक भाला फेंक में राष्ट्रीय कोच के पद पर रखा गया। 
1. तकनीक को लेकर
नीरज चोपड़ा और उवी होह्न के बीच वैसे तो कोई विवाद नहीं रहा, लेकिन तकनीक को लेकर दोनों के बीच में कुछ उलझन जरूर थी। इसका पहला सबूत मिला था 2018 में, जब नीरज चोपड़ा ने फेडरेशन कप एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 85.94 मीटर तक भाला फेंका था और अपने प्रदर्शन पर संतुष्टि जताई थी। चोपड़ा ने कहा था कि ये उनका निजी तौर पर सर्वश्रेष्ठ तो नहीं, पर वे इसे पार करने की कोशश जरूर करेंगे। हालांकि, उवी होह्न ने चोपड़ा के इस प्रदर्शन पर नाखुशी जाहिर की थी और उनकी तकनीक बदलने तक की बात कही थी। 

उवी होह्न ने कहा था कि नीरज को अपनी तकनीक में कुछ बदलाव करने की जरूरत है। अगर वे इन बदलावों को करने में सफल होते हैं तो वे कुछ ही सालों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन सकते हैं। होह्न ने यह भी कहा था कि एक नतीजे के तौर पर चोपड़ा का फेडरेशन कप का प्रदर्शन अच्छा हो सकता है, लेकिन तकनीक के तौर पर नहीं। इस तकनीक से उनकी 80-85 फीसदी ताकत ही जैवलिन तक जा रही थी। कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद हम नीरज की तकनीक में बदलाव की कोशिश में जुटेंगे। 
नवंबर 2019 में नीरज चोपड़ा ने उवी होह्न का साथ छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने आगे क्लाउस बार्टोनिएट्ज के साथ ट्रेनिंग का निर्णय लिया। क्लाउस 2018 से ही होह्न के साथ मिलकर नीरज चोपड़ा की ट्रेनिंग का काम कर रहे थे। लेकिन होह्न से अलग होने के बाद क्लाउस ने चोपड़ा को ओलंपिक 2020 के लिए ट्रेनिंग देने की पूरी जिम्मेदारी उठा ली। 

उस दौरान एएफआई के एक अधिकारी ने बताया था कि नीरज चोपड़ा ने होह्न को छोड़ने का फैसला ही इसलिए किया, ताकि वे उन तरीकों को बदल सकें, जिनसे उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इस अफसर ने कहा था- “चोपड़ा को लगा कि वे उस वर्कलोड को नहीं झेल पाएंगे, जो होह्न उन पर डालना चाहते थे। उन्होंने दो साल तक होह्न के साथ ट्रेनिंग की और अब इसमें कुछ भी गलत नहीं अगर वे बार्टोनिएट्ज के साथ ट्रेनिंग लें।”
एक दिन पहले ही जब एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उवी होह्न को हटाने का एलान किया, तो कहा गया कि हम उनके प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। उनका प्रदर्शन इतना बेहतर नहीं रहा। फेडरेशन के योजना प्रमुख ललित भनोट ने तो यहां तक कह दिया कि ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में हिस्सा लेने वाले दो और खिलाड़ी शिवपाल सिंह और अन्नू रानी भी होह्न के साथ ट्रेनिंग नहीं करना चाहते। ये दोनों उवी होह्न की ट्रेनिंग में थे। हमारे लिए अच्छे कोच ढूंढना कोई आसान काम नहीं, लेकिन हम आगे भी अच्छे कोच ढूंढने की कोशिश करेंगे। 
इसी साल जून में उवी होह्न ने भारत की खेल प्रणाली को लेकर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) और एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि इन लोगों के साथ काम करना काफी मुश्किल है। होह्न ने इन संघों की ओलंपिक की तैयारियों को लेकर भी हमला बोला था। 

तब होह्न ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था- “जब मैं यहां आया, तब मुझे लगा कि मैं कुछ बदल सकता हूं। लेकिन शायद साई और एएफआई के लोगों के साथ काम करना खासा मुश्किल है। मुझे नहीं पता कि ये उनके ज्ञान की कमी है या सिर्फ अनभिज्ञता है। कैंप्स और प्रतियोगिताओं के अलावा जब भी हम अपने खिलाड़ियों के लिए जरूरी स्पलिमेंट्स मांगते हैं, तो हमें सही चीजें नहीं मिलतीं। टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) यानी खेल मंत्रालय की ओर से चुने गए मेडल ला सकने वाले खिलाड़ियों के लिए भी यही स्थिति थी। अगर हमें कुछ मिल जाता था, तो हम काफी खुश होते थे।”
उवी होह्न ने अपने कॉन्ट्रैक्ट में रखी गई शर्तों को पूरा न करने को लेकर भी खेल संघों को आड़े हाथ लिया था। उन्होंने कहा था- “मैं अपने नए कॉन्ट्रैक्ट, जिसे अप्रैल में साइन कराया गया, उससे बिल्कुल खुश नहीं हूं। हमें (मुझे और बार्टियोनेट्ज) को इस पर हस्ताक्षर न करने पर तनख्वाह न देने की धमकी भी दी गई। उन्होंने कहा था कि वे हमारी कोचिंग को लेकर अप्रैल में समीक्षा करेंगे और इसके बाद हमारी सैलरी बढ़ाएंगे। लेकिन पिछले सभी वादों की तरह ये भी महज खाली शब्द ही थे। ये उन कोचों के साथ काम करने का तरीका नहीं है, जो भारत के खिलाड़ियों को उनकी सर्वोच्च क्षमता तक पहुंचाना चाहते हैं।”

विस्तार

एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) ने सोमवार को देश के खेल इतिहास का एक बड़ा फैसला लिया। संघ ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के राष्ट्रीय कोच उवी होह्न (59) को उनके चार साल के कार्यकाल के बाद विदा कर दिया। एथलेटिक्स में जर्मनी का प्रतिनिधित्व कर चुके होह्न का नाम दुनियाभर के एथलेटिक्स जगत में काफी सम्मान से लिया जाता है। वजह यह है कि वे जैवलिन थ्रो में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भाले फेंक में 100 मीटर से ज्यादा की दूरी नाप दी थी। भारत में इस खेल को उभारने में उनका खासा योगदान रहा। ये उवी होह्न ही थे, जिनके कार्यकाल के दौरान नीरज चोपड़ा ने 88.06 मीटर भाला फेंक कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था और कई अन्य कीर्तिमान स्थापित किए।

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