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एनडीएमए : पूर्व उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने सभी एयरपोर्ट पर फ्लड ऑडिट कराने की दी सलाह 

दिल्ली एयरपोर्ट पर जलभराव को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिरण (एनडीएमए) के पूर्व उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने गंभीर चिंता जताई है। इससे पहले शनिवार को दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के प्रवक्ता ने बताया था कि एयरपोर्ट संचालक की तरफ से कई वर्ष से राज्य व केंद्र सरकार से टर्मिनल थ्री से नजफगढ़ के बीच बने भूमिगत नालों को चौड़ा कराने की मांग की जा रही है। 11 सितंबर को अचानक आई तेज बारिश से टर्मिनल थ्री के सामने के मैदान में पानी भर गया, हालांकि यह कुछ मिनट बाद ही निकल भी गया था।

केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर दिल्ली एयरपोर्ट के नाले चौड़े कराने को कहा
वहीं, इस संबंध में रेड्डि ने केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर देशभर के सभी एयरपोर्ट पर फ्लड ऑडिट कराने की मांग की है।  उन्होंने पत्र में लिखा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि विश्व स्तरीय एयरपोर्ट पर पानी भरने से बाढ़ जैसे हालात बन गए, जिसकी वजह से करीब सौ फ्लाइट देरी से उड़ीं और पांच को डायवर्ट करना पड़ा। जबकि, एयरपोर्ट पर इस तरह पानी का भरना रोका जा सकता था।

एनएच आठ की ढाल से भरता है एयरपोर्ट पर पानी
उन्होंने बताया कि एनएच- 8 और टर्मिनल थ्री के बीच 17-मीटर खड़ी ढाल है जिससे एयरपोर्ट का इलाका जलभराव क्षेत्र बन जाता है। आमतौर पर यह पानी तुरंत ही नालों से बहकर निकल जाता है, लेकिन 11 सितंबर को यह ठीक से नहीं हो पाया। रेड्डी ने 2011 में 15 सितंबर को हुई बारिश का जिक्र करते हुए लिखा कि तब तीन घंटे में 117 एमएम बारिश हुई थी, जिसकी वजह से बैगेज बेल्ट एरिया में भी पानी भर गया था।

उस समय दिल्ली एयरपोर्ट के संचालक ने करीब 70 लाख रुपये में इस समस्या का हल ढूंढ़ने के लिए सलाहकार नियुक्त किया था, सलाहकार ने नालों को चौड़ा करने की सलाह दी थी, जिस पर आजतक अमल नहीं हुआ है। इसी का नतीजा है कि इस बार 2011 की तुलना में आधी से भी कम बारिश के बाद भी एयरपोर्ट पर पानी भर गया। 2010-2014 के बीच एनडीएमए के उपाध्यक्ष रहे रेड्डी ने दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री से नजफगढ़ के बीच नालों को चौड़ा करने की सलाह भी दी, ताकि बाढ़ से निपटा जा सके।

पूरे देश में फ्लड ऑडिट जरूरी
रेड्डी ने पत्र में लिखा कि देश के सभी एरयपोर्ट पर तुरंत फ्लड ऑडिट कराने की जरूरत है, ताकि इससे प्रभावित होने की आशंका वाले एयरपोर्ट को चिह्नित किया जा सके और एहतियाती कदम उठाए जा सकें। रेड्डी ने बताया कि बारिश की वजह से मुंबई, चेन्नई, विजाग, कोलकाता व लेह में भी उड़ानें प्रभावित हो गई थीं। इसी तरह के हालात के कारण 2006 में विशाखापटनम एयरपोर्ट दस दिन बंद रहा। वहीं, 2015 में चेन्नई एयरपोर्ट भी कई दिन बंद रहा। लिहाजा, यह पूरे देश की समस्या है, जिसपर तुरंत गौर किया जाना चाहिए।

उन्होंने पत्र में शहरी बाढ़ प्रबंधन से जुड़े एनडीएमए के कुछ दिशानिर्देशों का भी उल्लेख करते हुए लिखा कि एयरपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, ऐसे में उन्हें बाढ़ से सुरक्षित बनाया जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए एयरपोर्ट पर जल निकासी का सक्षम बंदोबस्त होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने पत्र में लिखा कि अरबन हीट आइलैंड इफेक्ट की वजह से कई शहरी क्षेत्रों में बारिश का चलन बदल गया है, जिससे 50 से 150 फीसद बारिश ज्यादा हो रही है, जिससे भूआबद्घ क्षेत्रों में एयरपोर्ट जैसे ढांचों के लिए खतरा हो सकता है। वहीं, ग्लोबल वार्मिंग के चलते समुद्रों का जलस्तर भी बढ़ रहा है जो तटवर्ती क्षेत्रों के सभी एयरपोर्ट के लिए बड़ा खतरा है।

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