सार
इस विवाद का कारण ब्रिटेन का एक नियम है। जो नॉम-डोमेसाइल्ड सिटिजन को विदेश में होने वाली कमाई पर टैक्स नहीं देने की छूट देता है। दरअसल अक्षता अभी भी भारतीय नागरिक हैं।
ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों की जांच करने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखा है। दरअसल सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी हैं। अक्षता के पास भारतीय नागरिकता है। ब्रिटेन में उन्हें नॉन-डोमेसाइल स्टेटस मिला हुआ है। इस स्टेटस की वजह से उन्हें मिलने वाली टैक्स कर विवाद का कारण बन गई है। सुनक पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।
आखिर पूरा विवाद क्या है? क्या अक्षता के भारतीय होने का विवाद से कोई रिश्ता है? जिस नॉन-डोमेसाइल स्टेटस की वजह से पूरा विवाद हो रहा है वो क्या होता है? अक्षता ने क्या कोई कानून तोड़ा है? अक्षता कई साल से ब्रिटेन में हैं फिर अभी क्यों ये विवाद सामने आया है? इस पूरे मामले में सुनक और अक्षता का क्या कहना है? आइये जानते हैं…
पूरा विवाद क्या है?
भारतीय मूल के ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक उन नेताओं में गिने जाते हैं जो बोरिस जॉनसन की जगह ले सकते हैं। यानी, भविष्य में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। इस विवाद के बाद ब्रिटिश मीडिया का मानना है कि अब सुनक के लिए 10 डाउनिंग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री आवास) दूर हो गया है।
हाल ही में ये खुलासा हुआ कि सुनक की पत्नी अक्षता ने करीब 20 मिलियन पाउन्ड (197 करोड़ रुपये) का कर नहीं दिया है। दरअसल, अक्षता के पास अपने पिता नारायण मूर्ति की कंपनी इन्फोसिस में 0.93 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक अपनी हिस्सेदारी से अक्षता सालाना करीब 11.65 करोड़ रुपये का डिविडेंट पाती हैं। इस कमाई पर ही कर नहीं देने का आरोप अक्षता पर है। यही विवाद की जड़ है।
क्या अक्षता के भारतीय होने का कर विवाद से कोई रिश्ता है?
इस विवाद का कारण ब्रिटेन का एक नियम है। जो नॉम-डोमेसाइल्ड सिटिजन को विदेश में होने वाली कमाई पर कर नहीं देने की छूट देता है। दरअसल अक्षता अभी भी भारतीय नागरिक हैं। भारत उन देशों में शामिल है जो दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देते हैं। इस वजह से अक्षता ब्रिटेन के कानून के मुताबिक नॉन-डोमेसाइल्ड यानी गैर अधिवासित नागरिक हैं।
द गार्डियन की एक रिपोर्ट है। इसके मुताबिक अक्षता को इन्फोसिस के डिविडेंट से करीब 538 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। गैर अधिवासित नागरिक होने की वजह से इस डिविडेंट पर लगने वाले करीब 197 करोड़ रुपये का कर उन्हें नहीं देना पड़ा।
खास बात ये है कि वित्त मंत्री सुनक ने हाल ही में ब्रिटेन के नागरिकों के लिए डिविडेंट पर लगने वाले कर को 30.7 फीसदी से बढ़ाकर 39.35 फीसदी कर दिया है। जिस मिनी-बजट में इसका एलान किया गया उसकी वजह से भी सुनक आलोचकों के निशाने पर हैं।
उपनिवेशिक दौर में ये कानून उन लोगों के लिए बना था जो रहते तो ब्रिटेन में थे लेकिन, उनका स्थायी घर देश के बाहर था। इस तरह के लोगों को कर निवासी के तौर पर पंजीकृत किया जाता था। इस तरह के लोगों को ब्रिटेन में होने वाली कमाई पर कर देना पड़ता था। ये लोग ब्रिटेन के बाहर होने वाली कमाई पर कर देने के लिए उत्तरदायी नहीं होते थे।
1799 में बने इस कानून में विदेशी नागरिकों को नॉन-डोमेसाइल स्टेटस पाने के लिए अर्जी देनी होती है। इसके बाद ही उन्हें विदेश में होने वाली कमाई पर से कर में छूट मिलती है। यही वो शर्त है जिसकी वजह से अक्षता मूर्ति आलोचकों के निशाने पर हैं।
एक और बात ब्रिटेन में नॉन-डोमेसाइल स्टेटस पाना इतना सस्ता भी नहीं है। ऐसे लोग जो बीते नौ में सात साल ब्रिटेन में रहे हैं उन्हें ये नॉन-डोम स्टेटस पाने के लिए करीब 30 लाख रुपये हर साल के हिसाब से सरकार को देने पड़ते हैं। ब्रिटेन के नियमों के मुताबिक अगर कोई नॉन-डोमेसाइल नागरिक 15 साल तक देश में रहता है तो वह ब्रिटेन का अधिवासी मान लिया जाता है।
तो क्या अक्षता ने कोई कानून तोड़ा है?
ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट के मुताबिक नॉन-डोमेसाइल स्टेटस चुनना वैकल्पिक है। हालांकि, वहां ये किसी तरह से गैर कानूनी नहीं है। यानी, तकनीकि तौर पर अक्षता ने कुछ भी गलत नहीं किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक 2018 में जब अक्षता के पति ऋषि सुनक कैबिनेट मंत्री बने तब उन्होंने अपनी पत्नी के टैक्स स्टेटस के बारे में जानकारी दी थी। वित्त मंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद भी उन्होंने ये जानकारी दी थी।
अक्षता तो वर्षों से ब्रिटेन में रह रही हैं फिर अचानक ये विवाद क्यों?
वित्त मंत्री सुनक इस वक्त आलोचकों के निशाने पर हैं। हाल में पेश किए गए उनके मिनी-बजट की जमकर आलोचना हो रही है। बढ़ती तेल और बिजली की कीमतों, कोरोना जैसे मुद्दो पर कोई खास राहत नहीं देना इसका कारण है। वहीं, दूसरी ओर यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच उनके ससुर की कंपनी का रूस में काम जारी रखना भी इसकी एक वजह है।
इसी कंपनी के डिविडेंट से होने वाली कमाई विवाद की वजह बन गई। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि इन्फोसिस जल्द ही रूस में अपना काम बंद कर सकती है।
इस मामले में सुनक और अक्षता का क्या कहना है?
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सुनक ने कहा है कि प्रधानमंत्री इस बात की समीक्षा कराएं कि क्या उन्होंने अपने वित्तीय हितों को ठीक से घोषित किया है या नहीं। सुनक के कदम को अपने ऊपर लगातार बढ़ते दबाव को कम करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
उन्होंने ट्विटर पर कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस तरह की समीक्षा से स्पष्टता आएगी। मैंने हमेशा नियमों को पालन किया है। सुनक को समीक्षा के बाद क्लीन चिट मिलने की उम्मीद है। वहीं, दूसरी ओर अक्षता ने ब्रिटेन के बाहर हुई कमाई पर भी ब्रिटेन में कर देने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि मैं अब ब्रिटेन के बाहर हुई कमाई पर भी ब्रिटेन में कर दूंगी। मैं ऐसा इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं ऐसा चाहती हूं, ना कि नियम मुझे ऐसा करने को कहते हैं। यह व्यवस्था हाल ही में खत्म हुए पिछले वित्तीय वर्ष पर लागू होगी।
विस्तार
ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों की जांच करने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखा है। दरअसल सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी हैं। अक्षता के पास भारतीय नागरिकता है। ब्रिटेन में उन्हें नॉन-डोमेसाइल स्टेटस मिला हुआ है। इस स्टेटस की वजह से उन्हें मिलने वाली टैक्स कर विवाद का कारण बन गई है। सुनक पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।
आखिर पूरा विवाद क्या है? क्या अक्षता के भारतीय होने का विवाद से कोई रिश्ता है? जिस नॉन-डोमेसाइल स्टेटस की वजह से पूरा विवाद हो रहा है वो क्या होता है? अक्षता ने क्या कोई कानून तोड़ा है? अक्षता कई साल से ब्रिटेन में हैं फिर अभी क्यों ये विवाद सामने आया है? इस पूरे मामले में सुनक और अक्षता का क्या कहना है? आइये जानते हैं…
पूरा विवाद क्या है?
भारतीय मूल के ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनक उन नेताओं में गिने जाते हैं जो बोरिस जॉनसन की जगह ले सकते हैं। यानी, भविष्य में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। इस विवाद के बाद ब्रिटिश मीडिया का मानना है कि अब सुनक के लिए 10 डाउनिंग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री आवास) दूर हो गया है।
हाल ही में ये खुलासा हुआ कि सुनक की पत्नी अक्षता ने करीब 20 मिलियन पाउन्ड (197 करोड़ रुपये) का कर नहीं दिया है। दरअसल, अक्षता के पास अपने पिता नारायण मूर्ति की कंपनी इन्फोसिस में 0.93 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक अपनी हिस्सेदारी से अक्षता सालाना करीब 11.65 करोड़ रुपये का डिविडेंट पाती हैं। इस कमाई पर ही कर नहीं देने का आरोप अक्षता पर है। यही विवाद की जड़ है।
क्या अक्षता के भारतीय होने का कर विवाद से कोई रिश्ता है?
इस विवाद का कारण ब्रिटेन का एक नियम है। जो नॉम-डोमेसाइल्ड सिटिजन को विदेश में होने वाली कमाई पर कर नहीं देने की छूट देता है। दरअसल अक्षता अभी भी भारतीय नागरिक हैं। भारत उन देशों में शामिल है जो दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देते हैं। इस वजह से अक्षता ब्रिटेन के कानून के मुताबिक नॉन-डोमेसाइल्ड यानी गैर अधिवासित नागरिक हैं।
द गार्डियन की एक रिपोर्ट है। इसके मुताबिक अक्षता को इन्फोसिस के डिविडेंट से करीब 538 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। गैर अधिवासित नागरिक होने की वजह से इस डिविडेंट पर लगने वाले करीब 197 करोड़ रुपये का कर उन्हें नहीं देना पड़ा।
खास बात ये है कि वित्त मंत्री सुनक ने हाल ही में ब्रिटेन के नागरिकों के लिए डिविडेंट पर लगने वाले कर को 30.7 फीसदी से बढ़ाकर 39.35 फीसदी कर दिया है। जिस मिनी-बजट में इसका एलान किया गया उसकी वजह से भी सुनक आलोचकों के निशाने पर हैं।
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