सार
ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया कि देशव्यापी हड़ताल से ग्राहकों, निवेशकों और अन्य हितधारकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। 37,000 करोड़ रुपये के 39 लाख चेक अटक गए।
ख़बर सुनें
विस्तार
ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया कि देशव्यापी हड़ताल से ग्राहकों, निवेशकों और अन्य हितधारकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। 37,000 करोड़ रुपये के 39 लाख चेक अटक गए। वहीं, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) की महासचिव सौम्या दत्ता ने बताया कि सरकार के बैंकों के निजीकरण के फैसले के विरोध में सरकारी बैंकों के करीब सात लाख कर्मचारी हड़ताल में हुए। देशभर में बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की एक लाख से ज्यादा शाखाएं बंद रहीं। हालांकि, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य रहा। अंतर-बैंक चेक मंजूरी जरूर प्रभावित हुई। हड़ताल के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को भी बैंकों में कामकाज ठप रहने की आशंका है।
इन राज्यों में भी दिखा असर
- महाराष्ट्र : राज्यभर में विभिन्न बैंकों के करीब 60,000 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। इससे बैंकों के ग्राहकों को काफी परेशानी हुई। यूएफबीयू के महाराष्ट्र के कन्वेनर देवीदास तुलजपुरकर ने बताया कि निजीकरण से विभिन्न सरकारी योजनाओं को नुकसान होगा।
- झारखंड : 40,000 से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों ने हड़ताल किया। राज्य में विभिन्न बैंकों की 3,200 शाखाएं बंद रहीं। 3,300 में अधिकांश एटीएम बंद रहे। 3,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित हुआ।
- पश्चिम बंगाल : राज्यभर में सरकारी बैंकों की 8,590 शाखाएं बंद रहीं। अधिकांश एटीएम में नकदी नहीं होने से लोगों को काफी असुविधा हुई।
- तमिलनाडु : विभिन्न सरकारी बैंकों के हजारों अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। बैंक शाखाओं के साथ अधिकांश एटीएम भी बंद रहे।
कांग्रेस समेत कई पार्टियों का समर्थन
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) की अगुवाई में एआईबीओसी, एआईबीईए, बैंक इंप्लाई फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नेशनल बैंक इंप्लाईज फेडरेशन, इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस, नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स समेत 9 बैंक यूनियन इस दो दिवसीय हड़ताल में शामिल हैं। एआईबीईए ने बताया कि हड़ताल को कांग्रेस, डीएमके, सीपीआई, सीपीएम, टीएमसी, एनसीपी और शिवसेना समेत कई पार्टियों का समर्थन मिला।
आर्थिक विकास में पीएसबी की अहम भूमिका
वेंकटचलम ने कहा कि यह हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ है, जो राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देश के आर्थिक विकास में उत्प्रेरक का काम करते हैं। इनकी कृषि, छोटे कारोबार, लघु व्यवसाय, परिवहन और समाज के पिछड़े एवं कमजोर वर्गों के उत्थान में अहम भूमिका रही है। ऐसे में सरकार का निजीकरण का यह फैसला किसी भी प्रकार से देशहित में नहीं है।
हड़ताल के बजाय अन्य तरीके अपनाए यूनियन
बैंकिंग क्षेत्र के जानकार अश्विनी राणा का कहना है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण का फैसला देशहित में नहीं है। इसके बावजूद बार-बार हड़ताल करना कोई समाधान नहीं है। अन्य वैकल्पिक सुविधाओं की वजह से हड़ताल का कोई खास असर नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार से अपनी मांग पूरी कराने के लिए यूनियनों को अन्य तरीकों पर विचार करना चाहिए। हमारी लड़ाई सरकार से है, ग्राहकों से नहीं। ऐसे में बार-बार हड़ताल से सबसे ज्यादा ग्राहकों को ही परेशानी झेलनी पड़ती है।
इन बैंकों ने की थी हड़ताल वापस लेने की अपील
- एसबीआई ने अपने कर्मचारियों से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और ग्राहकों, निवेशकों एवं बैंक के हित में हड़ताल में शामिल नहीं होने की अपील की थी। कहा था, महामारी की स्थिति को देखते हुए हड़ताल का सहारा लेने से हितधारको को असुविधा होगी।
- यूको बैंक ने भी अपनी यूनियनों से देशव्यापी हड़ताल को वापस लेने का अनुरोध किया था।
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने ग्राहकों के हित में यूनियनों से हड़ताल में शामिल नहीं होने की अपील की थी।