वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 07 Feb 2022 04:46 PM IST
सार
पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है कि उसने सीमा पार से हुई फायरिंग का माकूल जवाब दिया, जिस कारण काफी संख्या आतंकवादी हताहत हुए। लेकिन असल में सीमा पार कितने दहशतगर्द हताहत हुए इस बारे में पक्की जानकारी नहीं मिल सकी है। पाक सेना के बयान में पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन के इस्तेमाल की कड़ी निंदा गई…
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच अब खुले टकराव की हालत बनती जा रही है। पाकिस्तान में जारी आतंकवादी हमलों के बीच देश में ये धारणा गहराती जा रही है कि अफगान तालिबान अपने इस वादे को निभाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होने देगा। पाकिस्तान सरकार और सेना दोनों का आकलन है कि देश में हाल में हुए आतंकवादी हमलों की साजिश अफगानिस्तान की जमीन से रची गई।
पाक सैनिकों पर फायरिंग
रविवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के आरपार से हुई गोलीबारी के बाद पाकिस्तान में गुस्सा कुछ ज्यादा ही भड़क गया है। इस घटना में पाकिस्तान के पांच सैनिक मारे गए। इसके बारे पाकिस्तान की सेना के जनसंपर्क विभाग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि खुर्रम जिले में सीमा पार से आतंकवादियों ने पाक सैनिकों पर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद पाकिस्तान के अखबारों में सरकारी सूत्रों के हवाले से छपी खबरों में कहा गया है कि अब अफगान तालिबान के प्रति पाकिस्तान का सब्र टूट रहा है।
पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है कि उसने सीमा पार से हुई फायरिंग का माकूल जवाब दिया, जिस कारण काफी संख्या आतंकवादी हताहत हुए। लेकिन असल में सीमा पार कितने दहशतगर्द हताहत हुए इस बारे में पक्की जानकारी नहीं मिल सकी है। पाक सेना के बयान में पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन के इस्तेमाल की कड़ी निंदा गई। उसमें कहा गया- ‘पाकिस्तान यह अपेक्षा करता है कि अंतरिम अफगान सरकार भविष्य में पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी गतिविधियों की इजाजत नहीं देगी। आतंकवाद के खतरे से अपनी सीमा की रक्षा के लिए पाकिस्तान कृत संकल्प है।’
डूरंड रेखा पर बाड़ में रुकावट
पर्यवेक्षकों के मुताबिक ये पहला मौका है, जब पाकिस्तान ने तालिबान शासन के तहत आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की जमीन के इस्तेमाल की खुली निंदा की है। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि इसके पहले जब कभी ऐसी घटनाएं हुईं, पाकिस्तान ने उन पर ज्यादा जोर नहीं डाला। यहां तक कि जब तालिबान लड़ाकों ने सीमा पर बाड़ लगाने में रुकावट डाली, तब भी पाकिस्तान ने अपने औपचारिक बयान में उसे ज्यादा अहमियत नहीं दी थी। तब उसने उसे ‘एक स्थानीय घटना’ भर कहा था।
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में एक बताया गया है कि तालिबान ने बार-बार ये भरोसा दिया है कि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे खिलाफ नहीं होने देगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि ऐसी घटनाएं जारी हैं, इसलिए अब पाकिस्तान सरकार का सब्र टूट रहा है। लेकिन पाकिस्तान इस पर क्या कदम उठाएगा, इस बारे में पाकिस्तानी मीडिया में कोई संकेत नहीं दिया गया है।
रविवार की घटना से ठीक पहले पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के नौशकी और पेंगुर में आतंकवादी हमले हुए थे। तब पाकिस्तान सेना ने दावा किया कि उसने आतंकवादियों के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड की है, जिसमें उनके और अफगानिस्तान स्थित उनके संचालकों के बीच बात हो रही थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने इस बारे में तालिबान को सख्त संदेश भेजा है। उधर विश्लेषकों का कहना है कि अफगान तालिबान पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहता है ताकि वह आतंकवादी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से फिर बातचीत शुरू करे।
विस्तार
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच अब खुले टकराव की हालत बनती जा रही है। पाकिस्तान में जारी आतंकवादी हमलों के बीच देश में ये धारणा गहराती जा रही है कि अफगान तालिबान अपने इस वादे को निभाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होने देगा। पाकिस्तान सरकार और सेना दोनों का आकलन है कि देश में हाल में हुए आतंकवादी हमलों की साजिश अफगानिस्तान की जमीन से रची गई।
पाक सैनिकों पर फायरिंग
रविवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के आरपार से हुई गोलीबारी के बाद पाकिस्तान में गुस्सा कुछ ज्यादा ही भड़क गया है। इस घटना में पाकिस्तान के पांच सैनिक मारे गए। इसके बारे पाकिस्तान की सेना के जनसंपर्क विभाग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि खुर्रम जिले में सीमा पार से आतंकवादियों ने पाक सैनिकों पर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद पाकिस्तान के अखबारों में सरकारी सूत्रों के हवाले से छपी खबरों में कहा गया है कि अब अफगान तालिबान के प्रति पाकिस्तान का सब्र टूट रहा है।
पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है कि उसने सीमा पार से हुई फायरिंग का माकूल जवाब दिया, जिस कारण काफी संख्या आतंकवादी हताहत हुए। लेकिन असल में सीमा पार कितने दहशतगर्द हताहत हुए इस बारे में पक्की जानकारी नहीं मिल सकी है। पाक सेना के बयान में पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन के इस्तेमाल की कड़ी निंदा गई। उसमें कहा गया- ‘पाकिस्तान यह अपेक्षा करता है कि अंतरिम अफगान सरकार भविष्य में पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी गतिविधियों की इजाजत नहीं देगी। आतंकवाद के खतरे से अपनी सीमा की रक्षा के लिए पाकिस्तान कृत संकल्प है।’
डूरंड रेखा पर बाड़ में रुकावट
पर्यवेक्षकों के मुताबिक ये पहला मौका है, जब पाकिस्तान ने तालिबान शासन के तहत आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की जमीन के इस्तेमाल की खुली निंदा की है। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि इसके पहले जब कभी ऐसी घटनाएं हुईं, पाकिस्तान ने उन पर ज्यादा जोर नहीं डाला। यहां तक कि जब तालिबान लड़ाकों ने सीमा पर बाड़ लगाने में रुकावट डाली, तब भी पाकिस्तान ने अपने औपचारिक बयान में उसे ज्यादा अहमियत नहीं दी थी। तब उसने उसे ‘एक स्थानीय घटना’ भर कहा था।
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में एक बताया गया है कि तालिबान ने बार-बार ये भरोसा दिया है कि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे खिलाफ नहीं होने देगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि ऐसी घटनाएं जारी हैं, इसलिए अब पाकिस्तान सरकार का सब्र टूट रहा है। लेकिन पाकिस्तान इस पर क्या कदम उठाएगा, इस बारे में पाकिस्तानी मीडिया में कोई संकेत नहीं दिया गया है।
रविवार की घटना से ठीक पहले पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के नौशकी और पेंगुर में आतंकवादी हमले हुए थे। तब पाकिस्तान सेना ने दावा किया कि उसने आतंकवादियों के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड की है, जिसमें उनके और अफगानिस्तान स्थित उनके संचालकों के बीच बात हो रही थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने इस बारे में तालिबान को सख्त संदेश भेजा है। उधर विश्लेषकों का कहना है कि अफगान तालिबान पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहता है ताकि वह आतंकवादी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से फिर बातचीत शुरू करे।
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