बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 18 Feb 2022 10:41 PM IST
सार
अमेरिका और चीन के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार है। यूएई में भारतीय मूल के लगभग 35 लाख लोग भी निवास करते हैं।
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विस्तार
यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबूधाबी के प्रिंस व यूएई के सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के बीच हुई डिजिटल बैठक के बाद हुआ। समझौते पर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयव और यूएई के आर्थिक मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मारी ने दस्तखत किए। मोदी और शेख मोहम्मद ने एक संयुक्त दृष्टि पत्र ‘भारत और यूएई समग्र सामरिक गठजोड़ में प्रगति: नए मोर्चे, नया मील का पत्थर’ जारी किया।
पीयूष गोयल ने इसे लेकर कहा कि पहली बार संयुक्त अरब अमीरात ने हमारे अनुरोध को स्वीकार किया है कि एक बार कोई भारतीय चिकित्सा उत्पाद यूनाइटेड किंगडम (यूके), अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की ओर से स्वीकार कर लिया जाता है, और इन देशों की कठोर नियामक प्रक्रिया से गुजरता है, तो ऐसे उत्पादों को यूएई के बाजार में पहुंच और 90 दिनों के समयबद्ध तरीके से विपणन के लिए विनियामक अनुमोदन प्राप्त हो जाएगा।
इस संबंध में जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि सीईपीए विस्तारित बाजार बहुंच और कम शुल्क समेत दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार के लिए खासा लाभकारी होगा। उम्मीद है कि सीईपीए से अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ कर 100 अरब डॉलर हो सकता है जो वर्तमान में 60 अरब डॉलर है। पीएम मोदी ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों की मित्रता, साझा दृष्टिकोण और विश्वास को दर्शाता है। इससे हमारे आर्थिक संबंधों में नया युग शुरू होगा।
गोयल ने कहा कि भारत के लिए यह सौदा रत्न व आभूषण, टेक्सटाइल, चमड़ा, फुटवियर, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पादों, फार्मा व चिकित्सकीय उपकरणों, ऑटोमोबाइल्स और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में लाभदायक होगा। यह दोनों पक्षों के लिये व्यापार के व्यापक अवसर खोलता है। समझौता हमारे द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने में मदद करेगा। भारत ने यूएई को सोने के निर्यात में शुल्क में कमी की है और यूएई ने आभूषणों पर शुल्क घटाया है।