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बच्चों के 'कवच' की बारी : अमेरिका-ब्रिटेन ने जताया भरोसा, कई देशों में बच्चों को लगाया जा रहा टीका

अमर उजाला रिसर्च टीम, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 02 Nov 2021 06:37 AM IST

सार

देश कोरोना महामारी के चंगुल से धीरे-धीरे आजाद होकर राहत की सांस लेने लगा है। भगवान धन्वंतरि की पूजा के मौके पर हम सभी का दायित्व है कि किसी तरह की लापरवाही से हम इस उम्मीद की नई किरण को धुंधलाने न दें और महामारी को फिर सिर उठाने का अवसर न दें। जरूरत है कि विशेषज्ञों की हिदायतों को ध्यान में रखकर रोशनी का यह त्योहार सामाजिक दूरी, मास्क और अन्य सभी सतर्कताओं के साथ ही मनाएं।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : Social Media

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विस्तार

देश में चले रहे दुनिया के सबसे बड़े कोरोना टीकाकरण अभियान ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। अब बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए ‘कवच’ लगाने की बारी है। भारत सरकार के विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने आंकड़ों के अध्ययन के बाद दो टीकों पर रजामंदी जाहिर की है। तो आइए जानते हैं कि देश में कौन-कौन से टीके हैं जो भविष्य में बच्चों के लिए कवच बनेंगे।

कोवाक्सिन

भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवाक्सिन को दो से 18 वर्ष के बच्चों को लगाने की सिफारिश हो चुकी है। यह देश की पहली स्वदेशी वैक्सीन होगी, जो बच्चों को लगाई जाएगी। डेल्टा वैरिएंट से बचाने में 65.2 फीसदी कारगर है।

विशेषता

  • 525 बच्चों पर हुआ है टीके का परीक्षण
  • 2 से 6 वर्ष के बच्चों पर भी हुआ परीक्षण
  • 77.8 फीसदी टीका असरदार बच्चों में
  • 28 दिन में दोनों डोज लगवानी होगी

कोवाक्सिन बच्चों का कवच

परीक्षण के नतीजे बताते हैं कि आने वाले समय में कोवाक्सिन उनके लिए सुरक्षा कवच बनेगी। खास दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है। टीका सुरक्षित व असरदार है। -डॉ. कृष्णा एल्ला, प्रबंध निदेशक, भारत बायोटेक

जायडस कैडिला

फार्मा कंपनी जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी को 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को लगाने की मंजूरी मिल गई है। ये दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है, जो आने वाले समय में बच्चों और वयस्कों दोनों को लगेगी।

विशेषता

  • 0-28-28 दिन में लगेगी तीन खुराक
  • 66 से 67 फीसदी वयस्कों में असरदार
  • 100 फीसदी असरदार है टीका बच्चों में
  • 1400 बच्चों पर हुआ है टीके का परीक्षण

बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत

जायकोव-डी टीका बच्चों में 100% असरदार और सुरक्षित है। ऐसा इसलिए क्योंकि वयस्कों की तुलना में बच्चों का रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत देखा गया है। -डॉ. शर्विल पटेल, प्रबंध निदेशक, जायडस कैडिला

कोवावैक्स

अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स के टीके का भारत में 12 से 17 वर्ष के बच्चों पर पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में परीक्षण कर रहा है। भारत में कोवावैक्स के नाम से जाना जाएगा। अमेरिका में अनुमति बाकी है।

  • दावा: नोवावैक्स का दावा है कि ये टीका बच्चों में मॉडरेट और गंभीर संक्रमण से बचाने में 100 फीसदी असरदार है। ये टीका औसतन 90.4 फीसदी असरदार है।
  • परीक्षण: मुंबई के केईएम अस्पताल और पुणे के भारती विद्यापीठ हॉस्पिटल में 100 बच्चों पर शोध जारी। दूसरे चरण के परीक्षण के नतीजों का इंतजार है।
  • बायोलॉजिकल-ई : फॉर्मा कंपनी के टीके को कॉर्बेवैक्स का दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण पांच से 18 वर्ष के बच्चों पर जारी है।
  • डोज : 30 करोड़ खुराक के लिए केंद्र सरकार ने 1500 करोड़ रुपये अग्रिम के पहले ही दे दिया है।
  • परीक्षण : 5 से 18 वर्ष के बच्चों पर टीके के परीक्षण को अनुमति मिली है। परीक्षण में बीमार बच्चों को भी शामिल होना है।

भारत में बच्चों की जनसंख्या एक नजर

  • 44  करोड़ से अधिक बच्चे दो साल से बड़े हैं देश में
  • 12 करोड़ बच्चे 12 से 17 साल के हैं देश में
  • 20 से 30 लाख बच्चे किसी न किसी रोग से ग्रसित

बीमार बच्चों को मिले प्राथमिकता

बीमार बच्चों को टीकाकरण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। ऐसे बच्चे संक्रमण की चपेट में आते हैं, तो उनकी जान मुश्किल में पड़ सकती है। स्वस्थ बच्चों को खतरा कम है, पर समय के साथ उन्हें भी टीका लगाना बेहद जरूरी है। -डॉ. गगनदीप कंग, वैज्ञानिक, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोरण्

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