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फ्रांस: पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में संदिग्ध सऊदी अरब का पूर्व शाही गार्ड गिरफ्तार

वर्ल्ड डेस्क, अमर अजाला, पेरिस
Published by: सुभाष कुमार
Updated Wed, 08 Dec 2021 03:09 AM IST

सार

पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद तुर्की ने कुल 26 वांटेड लोगों की एस सूची जारी की थी। गिरफ्तार किया गया  पूर्व शाही गार्ड खालिद भी इन्हीं में से एक है।

जमाल खाशोज्जी की हत्या साल 2018 में की गई थी।
– फोटो : ANI

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फ्रांस में सउदी अरब के एक पूर्व शाही गार्ड को गिरफ्तार किया गया है। गार्ड का नाम ख़ालिद एध अल ओतैबी है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि वह 2018 में सऊदी अरब के शाही परिवार के आलोचक पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में शामिल था। खालिद को मंगलवार को फ्रांस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर के न्यायिक हिरासत में रखा गया है। 

पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद तुर्की ने कुल 26 वांटेड लोगों की एक सूची जारी की थी। 33 साल का खालिद भी इन्हीं में से एक है। 59 वर्षीय जमाल खशोगी की हत्या साल 2018 में तुर्की में स्थित सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास में कर दी गई थी। वह वहां अपने कुछ जरूरी दस्तावेज लेने गए थे। सऊदी अरब ने इसे एक ऑपरेशन के दौरान हुई घटना बताया था, जिसमे कुछ एजेंटों को खशोगी को वापस देश लाने के लिए भेजा गया था। हालांकि, तुर्की ने कहा था एजेंटों ने खशोगी की हत्या सऊदी सरकार के कहने पर ही की थी।  

क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान पर उठे थे सवाल
इस हत्या के बाद पूरी दुनिया में सऊदी सरकार के खिलाफ विरोध हुआ था। इससे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की छवि काफी खराब हुई थी। हालांकि, उन्होंने इस हत्या में अपना कोई भी हाथ होने से साफ तौर पर इंकार किया था। खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी की अदालत ने आठ लोगों को सजा सुनाई थी। 

विस्तार

फ्रांस में सउदी अरब के एक पूर्व शाही गार्ड को गिरफ्तार किया गया है। गार्ड का नाम ख़ालिद एध अल ओतैबी है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि वह 2018 में सऊदी अरब के शाही परिवार के आलोचक पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में शामिल था। खालिद को मंगलवार को फ्रांस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर के न्यायिक हिरासत में रखा गया है। 

पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद तुर्की ने कुल 26 वांटेड लोगों की एक सूची जारी की थी। 33 साल का खालिद भी इन्हीं में से एक है। 59 वर्षीय जमाल खशोगी की हत्या साल 2018 में तुर्की में स्थित सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास में कर दी गई थी। वह वहां अपने कुछ जरूरी दस्तावेज लेने गए थे। सऊदी अरब ने इसे एक ऑपरेशन के दौरान हुई घटना बताया था, जिसमे कुछ एजेंटों को खशोगी को वापस देश लाने के लिए भेजा गया था। हालांकि, तुर्की ने कहा था एजेंटों ने खशोगी की हत्या सऊदी सरकार के कहने पर ही की थी।  

क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान पर उठे थे सवाल

इस हत्या के बाद पूरी दुनिया में सऊदी सरकार के खिलाफ विरोध हुआ था। इससे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की छवि काफी खराब हुई थी। हालांकि, उन्होंने इस हत्या में अपना कोई भी हाथ होने से साफ तौर पर इंकार किया था। खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी की अदालत ने आठ लोगों को सजा सुनाई थी। 

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