एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 12 Nov 2021 06:05 AM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों के खिलाफ राजस्थान सरकार की याचिका पर फैसले में यह टिप्पणी की। साथ ही, माफियाओं पर लगाई गई जुर्माना राशि को अपर्याप्त बताया।
सर्वोच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों के खिलाफ राजस्थान सरकार की याचिका पर फैसले में यह टिप्पणी की। साथ ही, माफियाओं पर लगाई गई जुर्माना राशि को अपर्याप्त बताया। सीईसी ने प्रति वाहन 10 लाख रुपये और पांच लाख रुपये प्रति क्यूबिक मीटर रेत के जुर्माने की सिफारिश की थी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा, कोर्ट ने पाया कि प्रदूषक मूल राशि का भुगतान करता है। इसका मतलब साफ है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में जुर्माने में सिर्फ पीड़ित को दिए जाने वाले हर्जाने को ही नहीं, बल्कि पर्यावरण को हुए नुकसान की दोबारा बहाली की लागत भी शामिल करनी होगी। इस नुकसान को दुरुस्त करना सतत विकास की ही प्रक्रिया है, इसलिए इसका भुगतान भी खनन माफियाओं को करना होगा।
बेरोकटोक अवैध खनन से रेत माफियाओं का अपराधीकरण बढ़ा
पीठ ने कहा, बेरोकटोक अवैध खनन से नए नए रेत माफिया तैयार हुए और इनका अपराधीकरण बढ़ा। स्थानीय लोगों, पत्रकारों, प्रवर्तन अधिकारियों पर इन लोगों ने जानलेवा हमला करना शुरू किया। इनका विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी डराया धमकाया गया। राजस्थान सरकार के आंकड़े देखें तो अवैध खनन के कारण अपराध बढ़े हैं।