सार
चार महीने से ज्यादा समय बाद आखिरकार उम्मीद के मुताबिक, मंगलवार को पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े गए। तेल कंपनियों ने डीजल के दामों में 76 से 86 पैसे की बढ़ोतरी की, जबकि पेट्रोल के दामों में 76 से 84 पैसों की बढ़ोतरी हुई है। पूर्व रिपोर्टों पर नजर डालें तो विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ब्रेंट क्रूड के दाम में और इजाफा होगा, जिसके चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्रमश: 15 से 22 रुपये तक बढ़ सकती हैं।
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विस्तार
चार नवंबर 2021 के बाद बढ़े दाम
गौरतलब है कि देश में पेट्रोल और डीजल के दाम बीती चार नवंबर 2021 से स्थिर बने हुए थे। पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि कच्चे तेल के दाम में भारी उछाल के बावजूद ईंधन की कीमतों चार माह से स्थिरता पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों की वजह से है और हुआ भी वही। बीते दिनों चुनाव परिणाम आए और अब लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम में तेजी का दौर भी शुरू हो गया। पहले तेल कंपनियों ने थोक ग्राहकों के लिए डीजल के दाम में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि करते हुए 25 रुपये का इजाफा किया, तो अब पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले फ्यूल के दामों में भी बढ़ोतरी कर दी। डीजल के दामों में 76 से 86 पैसे की बढोतरी हुई है। तो वहीं पेट्रोल के दामों में 76 से 84 पैसों की बढ़ोतरी हुई है।
15 रुपये महंगा हो सकता है पेट्रोल
पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर पूर्व में आई रिपोर्टों पर नजर डालें तो विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालातों के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में क्रमश: 15 से 22 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू तेल कंपनियों को सिर्फ लागत की भरपाई के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतें 12.1 रुपये प्रति लीटर बढ़ानी होंगी। मार्जिन (लाभ) को भी जोड़ लें तो उन्हें 15.1 रुपये प्रति लीटर तक दाम में इजाफा करना होगा। जाहिर है कि अगर तेल कंपनियां ये बढ़ोतरी करती हैं तो देश के आम लोगों के लिए ये एक बड़ा झटका होगा।
धीमे-धीमे पड़ेगी महंगाई की मार
रिपोर्ट में पेट्रोल और डीजल के दाम क्रमश: 15 और 22 रुपये बढ़ने की संभावना जताते हुए रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा था कि तेल विपणन कंपनियां एक दम से इतनी बढ़ोतरी नहीं करेंगी, बल्कि रुक-रुककर, थोड़ी-थोड़ी कीमतें बढ़ाएंगी। इसका सिलसिला मंगलवार से शुरू हो गया। यहां बता दें कि विशेषज्ञों ने आने वाले समय में कच्चे तेल की कीमत 185 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। अगर ऐसा होता है तो दुनियाभर में तेल के दामों में भारी इजाफा होगा और भारत में पेट्रोल-डीजल खरीदने के लिए लोगों को ज्यादा खर्च करना होगा।
घाटे में चल रहीं तेल कंपनियां
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव पिछले एक दशक के उच्च स्तर पर 117 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, हालांकि शुक्रवार को इसमें कुछ नरमी जरूर आई, लेकिन इसके बावजूद भी यह उच्च स्तर पर बना हुआ है। कच्चे तेल की कीमतों के इजाफे के बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल के दाम बीते चार महीनों से यथावत बने हुए हैं। ऐसे में तेल कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में घरेलू तेल कंपनियों के बढ़ रहे घाटे पर कहा है कि पिछले दो महीनों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ने के कारण सरकार के स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है और अब कंपनियां इसे कम करने के लिए देश की जनता पर बोझ डालने की तैयारी कर रही हैं।
दाम बढ़ने के पीछे रूस-यूक्रेन युद्ध
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 40 फीसदी तक का उछाल आ गया है। जिससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए ईंधन का दाम बढ़ाना जरूरी हो गया था और इसी वजह से मंगलवार की सुबह से पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ गए। बता दें कि बीते दिनों कच्चे तेल ने अपने 14 साल के शिखर को पाया था। ब्रेंट क्रूड साल 2008 के बाद 139 डॉलर प्रति बैरल के शिखर पर पहुंच गया था। इसका असर दुनियाभर समेत भारत पर भी देखने को मिला था। वहीं जापानी रिसर्च एजेंसी नोमुरा ने भी अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया था कि रूस और यूक्रेन युद्ध का पूरे एशिया में सबसे ज्यादा असर भारत में देखने को मिलेगा।
प्रमुख महानगरों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें
शहर | पेट्रोल (रुपये/लीटर) | डीजल (रुपये/लीटर) |
दिल्ली | 96.21 | 87.47 |
मुंबई | 110.82 | 95.00 |
कोलकाता | 105.51 | 90.62 |
चेन्नई | 102.16 | 92.19 |
पटना | 105.90 | 91.09 |
भोपाल | 107.23 | 90.87 |
जयपुर | 107.06 | 90.70 |
दूसरे देशों में भी पेट्रोल-डीजल पर असर
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में जो बदलाव देखने को मिल रहा है। उसका असर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के देशों में देखने को मिल रहा है। इस बीच भारत के पड़ोसी देशों पर नजर डालें तो दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके श्रीलंका में कुछ दिन पहले पेट्रोल 254 रुपये लीटर हो गया था। इसके अलावा पाकिस्तान में पेट्रोल 159 रुपये, जबकि बांग्लादेश में 108 रुपये प्रति लीटर के भाव से बिक रहा है।
ऐसे असर डालता है क्रूड ऑयल
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध और आगे बढ़ता है तो क्रूड ऑयल के दाम 185 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। यहां आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है। ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में तेजी आना तय है और उम्मीद है कि कच्चा तेल 150 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15 से 22 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि तेल के दाम में होने वाली ये बढ़ोतरी एक बार में नहीं, थोड़ी-थोड़ी करके कई दिनों में की जा सकती है।
85 फीसदी कच्चे तेल का आयात
गौरतलब है कि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं यानी ईंधन महंगे होने लगते हैं। अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंच सकता है।
महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ेगा
गौरतबल है देश में खुदरा महंगाई पहले से ही उच्च स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी इसमें और इजाफा करने वाली साबित होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में कहा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चुनौती होने वाली है। दरअसल, कच्चा तेल महंगा हुआ्, तो देश में पेट्रोल-डीजल और गैस पर पड़ने वाला है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई पर खर्च बढ़ेगा और सब्जी-फल समेत रोजमर्रा के सामनों पर महंगाई बढ़ेगी जो कि आपकी जेब पर सीधा असर डालेगी।
ऐसे निर्धारित होती हैं कीमतें
बता दें कि तेल वितरण कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं। साल 2014 तक कीमतों के निर्धारण का काम सरकार के कंधों पर था और हर 15 दिनों में इनकी कीमतें बदलती थीं। लेकिन जून 2014 के बाद ये काम तेल कंपनियों को सौंप दिया गया था। बात करें पेट्रोल-डीजल के दाम की तो इनमें आखिरी बार दिवाली से पहले बदलाव किया गया था, तब से लेकर अब तक इनकी कीमतें स्थिर हैं।
सरकार ऐसे दे सकती है राहत
आने वाले दिनों में चुनाव परिणामों के बाद अगर पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा होता है तो सरकार की भी कोशिश रहेगी कि पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता को ऐसी स्थिति में लोगों को कैसे राहत दी जाए। सरकार के पास इसके लिए विकल्प यह होगा कि वह पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाकर कीमतों को संतुलित कर सकती है। लेकिन इससे सरकार के कर राजस्व पर बड़ा असर पड़ेगा। देखना दिलचस्प होगा कि अगर ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार जनता को राहत देने के लिए क्या कदम उठाती है।