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पानी बचाने की कवायद: जर्मन-सिंगापुर की कंपनियां भारत में ‘नेट 0’ वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाएंगी

एजेंसी, सिंगापुर।

Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 09 Mar 2022 05:34 AM IST

सार

नेट जीरो वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर का मतलब ऐसे निर्माण से है जिनमें पानी का उपभोग कम हो, इसका बहु-उपयोग किया जाए और इमारत या निर्माण स्थल में उपयोग किए गए पानी का समुचित प्रबंधन किया जाए।

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सिंगापुर के माइनहार्ट ग्रुप और जर्मनी के स्कायन वॉटर ने भारत में पानी की कम खपत करने वाले नेट जीरो वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और पानी से कार्बन निकालने पर काम करने का निर्णय लिया है। वे प्रमुख शहरों में कार्बन उत्सर्जन घटाने में भी मदद करेंगी।

इन कंपनियों ने मंगलवार को बताया कि भारत में बड़े स्तर पर पर्यावरण प्रबंधन प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है, वे भी इनमें भागीदार बनने के लिए उत्साहित हैं। माइनहार्ट के सीईओ उमर शहजाद के अनुसार भारत में विश्व की 16 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन ताजा पानी का चार प्रतिशत भाग ही मौजूद है। उनकी कंपनी 20 साल से भारत में इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है।

तकनीक: स्कायन वाटर पानी को साफ करने की तकनीक पर काम करने वाली कंपनी है जो शहरी निकायों से लेकर उद्योगों को सेवाएं दे रही है। दोनों कंपनियां पानी से कार्बन निकाल कर कैल्शियम कार्बोनेट बनाती हैं, जिसका उपयोग सीमेंट उद्योग कर सकता है।

वाटर इंफ्रा: ऐसे निर्माण जिनमें पानी का उपभोग कम हो, इसका बहु-उपयोग किया जाए और इमारत या निर्माण स्थल में उपयोग किए गए पानी का समुचित प्रबंधन किया जाए।

भारत से 2040 तक 400 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन: सालाना करीब 280 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन देश से हो रहा है। 10 साल में यह 100 करोड़ टन बढ़ा है। 2030 तक 400 करोड़ टन पहुंच सकता है।

विस्तार

सिंगापुर के माइनहार्ट ग्रुप और जर्मनी के स्कायन वॉटर ने भारत में पानी की कम खपत करने वाले नेट जीरो वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और पानी से कार्बन निकालने पर काम करने का निर्णय लिया है। वे प्रमुख शहरों में कार्बन उत्सर्जन घटाने में भी मदद करेंगी।

इन कंपनियों ने मंगलवार को बताया कि भारत में बड़े स्तर पर पर्यावरण प्रबंधन प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है, वे भी इनमें भागीदार बनने के लिए उत्साहित हैं। माइनहार्ट के सीईओ उमर शहजाद के अनुसार भारत में विश्व की 16 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन ताजा पानी का चार प्रतिशत भाग ही मौजूद है। उनकी कंपनी 20 साल से भारत में इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है।

तकनीक: स्कायन वाटर पानी को साफ करने की तकनीक पर काम करने वाली कंपनी है जो शहरी निकायों से लेकर उद्योगों को सेवाएं दे रही है। दोनों कंपनियां पानी से कार्बन निकाल कर कैल्शियम कार्बोनेट बनाती हैं, जिसका उपयोग सीमेंट उद्योग कर सकता है।

वाटर इंफ्रा: ऐसे निर्माण जिनमें पानी का उपभोग कम हो, इसका बहु-उपयोग किया जाए और इमारत या निर्माण स्थल में उपयोग किए गए पानी का समुचित प्रबंधन किया जाए।

भारत से 2040 तक 400 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन: सालाना करीब 280 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन देश से हो रहा है। 10 साल में यह 100 करोड़ टन बढ़ा है। 2030 तक 400 करोड़ टन पहुंच सकता है।

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