वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sun, 20 Feb 2022 03:27 PM IST
सार
पाकिस्तान में औरत मार्च के आयोजन की शुरुआत 2018 में हुई थी। उस वर्ष भी आठ मार्च को देश के अलग-अलग शहरों और कस्बों में महिलाओं ने जुलूस निकाले थे। उनका मकसद महिलाओँ से जुड़े मुद्दों की तरफ देश का ध्यान खींचना था।
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विस्तार
जेयूआई (एफ) की इस्लामाबाद शाखा के प्रमुख अब्दुल माजिद हजारवी ने कहा है कि अगर औरत मार्च के दौरान किसी तरह की अश्लीलता हुई, तो हम उसकी निंदा करेंगे। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस सिलसिले में जमीयत के दोमुंहेपन की तरफ इशारा किया है। हजारवी ने ये बातें उस प्रदर्शन के मौके पर कहीं, जो भारत के हिजाब विवाद के खिलाफ आयोजित किया गया था। महिला कार्यकर्ताओं ने कहा है कि जमीयत एक तरफ भारत में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने के अधिकार का पक्ष ले रहा है, दूसरी तरफ पाकिस्तान की महिलाओं की आजादी को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
जेयूआई (एफ) के अध्यक्ष फजलुर रहमान इस समय विपक्षी दलों के मोर्चे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस के अध्यक्ष भी हैँ। इस लिहाज से उनकी पार्टी के ताजा रुख से पूरे विपक्ष पर सवाल उठने की संभावना जताई जा रही है। हजारवी ने कहा- ‘महिला अधिकार के नाम पर अश्लीलता फैलाई जा रही है। हम इसे रोकने के लिए डंडों का इस्तेमाल करेंगे।’
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान में औरत मार्च के आयोजन की शुरुआत 2018 में हुई थी। उस वर्ष भी आठ मार्च को देश के अलग-अलग शहरों और कस्बों में महिलाओं ने जुलूस निकाले थे। उनका मकसद महिलाओँ से जुड़े मुद्दों की तरफ देश का ध्यान खींचना था। 2019 से ये आयोजन कट्टरपंथी समूहों के निशाने पर आ गया। उस वर्ष इस्लामाबाद में जुलूस में शामिल महिलाओं पर जामिया हफ्सा कॉलेज के पुरुष छात्रों ने हमला कर दिया था। उन्होंने महिला संगठनों के टेंट उखाड़ दिए और उन पर पथराव किया।
पिछले साल औरत मार्च पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाहौर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। लेकिन कोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पाकिस्तान के संविधान के तहत शांतिपूर्ण ढंग से सभा करने का अधिकार सबको मिला हुआ है।
अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सबसे पहले औरत मार्च को मुद्दा बनाया। इमरान खान सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री नुरुल हक कादरी ने इसी हफ्ते प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन इस्लाम विरोधी नारों को रोका जाना चाहिए। लेकिन सूचना मंत्री फव्वाद चौधरी ने कहा है कि सरकार किसी क विचार, पहनावे आदि की निगरानी नहीं कर सकती। साथ ही प्रतिबंध सिर्फ वहीं लगाए जाने चाहिए, जहां हिंसा का अंदेशा हो।
इस बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनटर शेरी रहमान ने कहा है कि कुछ राजनेता इस मुद्दे पर नकारात्मक प्रचार कर रहे हैँ। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने भी उनका समर्थन किया है। इन दोनों शख्सियतों को पाकिस्तान में महिला अधिकारों का समर्थन माना जाता है।