एजेंसी, ग्वादर
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 04 Jan 2022 02:03 AM IST
सार
यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के अनुसार, पाकिस्तानी दमनकारी सत्ता के खिलाफ ग्वादर के लोग लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं लेकिन इमरान खान की सरकार उन्हें दूर करने में नाकाम रही है।
पाकिस्तान के बड़े दावों के बावजूद ग्वादर के स्थानीय निवासियों की अब भी क्षेत्र में चीनी मौजूदगी और निवेश के चलते उनके जीवन को बेहतर बनाने की बहुत कम कोशिशों की शिकायतें जारी हैं। डॉन न्यूज ने बताया कि इनमें पानी की कमी और नौकरियों की संख्या सरकारी दावों के ठीक विपरीत हैं। जबकि चीन का निवेश इस क्षेत्र में लगातार बढ़ने पर विरोध जारी है।
यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के अनुसार, पाकिस्तानी दमनकारी सत्ता के खिलाफ ग्वादर के लोग लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं लेकिन इमरान खान की सरकार उन्हें दूर करने में नाकाम रही है। ग्वादर के लोगों की मांग थी कि क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना के चलते न तो अवैध ट्रॉलर (अन्य देशों के मछली पकड़ने की नौकाएं) बंद हुए हैं और न ही उन्हें रोजगार के लिए कोई पहल की गई है। सरकार ने अवैध ट्रॉलरों के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन उस पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बल्कि सरकार ने चीनी ट्रॉलरों को लाइसेंस जारी कर दिए हैं।
पाक वित्तमंत्री ने नाजुक अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ का दबाव स्वीकार किया
पाकिस्तान के संघीय वित्तमंत्री शौकत तारिन ने स्वीकार किया कि सरकार द्वारा किए गए फैसले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा लागू दबाव का नतीजा रहे हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद आईएमएफ से छह अरब डॉलर की विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) की बहाली पर बातचीत आसान नहीं थी। पाकिस्तानी वित्तमंत्री कई मुद्दों पर बोल रहे थे जिनमें पूरक वित्त विधेयक, स्टेट बैंक संशोधन विधेयक, मुद्रास्फीति आदि शामिल थे। इन विधेयकों को लेकर शौकत तारिन ने कहा कि ये बिल आसानी से नेशनल असेंबली में 12 जनवरी से पूर्व पारित हो जाएंगे।
विस्तार
पाकिस्तान के बड़े दावों के बावजूद ग्वादर के स्थानीय निवासियों की अब भी क्षेत्र में चीनी मौजूदगी और निवेश के चलते उनके जीवन को बेहतर बनाने की बहुत कम कोशिशों की शिकायतें जारी हैं। डॉन न्यूज ने बताया कि इनमें पानी की कमी और नौकरियों की संख्या सरकारी दावों के ठीक विपरीत हैं। जबकि चीन का निवेश इस क्षेत्र में लगातार बढ़ने पर विरोध जारी है।
यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के अनुसार, पाकिस्तानी दमनकारी सत्ता के खिलाफ ग्वादर के लोग लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं लेकिन इमरान खान की सरकार उन्हें दूर करने में नाकाम रही है। ग्वादर के लोगों की मांग थी कि क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना के चलते न तो अवैध ट्रॉलर (अन्य देशों के मछली पकड़ने की नौकाएं) बंद हुए हैं और न ही उन्हें रोजगार के लिए कोई पहल की गई है। सरकार ने अवैध ट्रॉलरों के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन उस पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बल्कि सरकार ने चीनी ट्रॉलरों को लाइसेंस जारी कर दिए हैं।
पाक वित्तमंत्री ने नाजुक अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ का दबाव स्वीकार किया
पाकिस्तान के संघीय वित्तमंत्री शौकत तारिन ने स्वीकार किया कि सरकार द्वारा किए गए फैसले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा लागू दबाव का नतीजा रहे हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद आईएमएफ से छह अरब डॉलर की विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) की बहाली पर बातचीत आसान नहीं थी। पाकिस्तानी वित्तमंत्री कई मुद्दों पर बोल रहे थे जिनमें पूरक वित्त विधेयक, स्टेट बैंक संशोधन विधेयक, मुद्रास्फीति आदि शामिल थे। इन विधेयकों को लेकर शौकत तारिन ने कहा कि ये बिल आसानी से नेशनल असेंबली में 12 जनवरी से पूर्व पारित हो जाएंगे।
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