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पाकिस्तान: इमरान खान की रूस यात्रा में अवसर हैं, तो जोखिम भी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 08 Feb 2022 05:20 PM IST

सार

पाकिस्तान के कूटनीतिक विशेषज्ञों ने कहा है कि इमरान खान की रूस यात्रा से अमेरिका को इस बात का साफ संदेश मिल जाएगा कि पाकिस्तान अमेरिका को अपने यहां सैनिक अड्डे मुहैया नहीं कराएगा। अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के बाद पाकिस्तान से सैनिक अड्डे के लिए जगह मांगी थी…

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पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की अगली रूस यात्रा को लेकर गहरी दिलचस्पी देखने को मिल रही है। जिस समय रूस से अमेरिका का टकराव बढ़ता जा रहा है, इमरान खान के रूस जाने का फैसला कितना वाजिब है, इस सवाल पर देश में चर्चा चल रही है। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक इमरान खान 23 से 25 फरवरी तक मास्को की यात्रा करेंगे।

किसी पाक पीएम की पहली रूस यात्रा

विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी सरकार लगातार पाकिस्तान को अमेरिका विरोधी खेमे से जोड़ती जा रही है। बीते हफ्ते ही इमरान खान ने बीजिंग की यात्रा की। वे वहां विंटर (शीतकालीन) ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए, जबकि अमेरिका ने इस समारोह के बहिष्कार की अपील की थी। जब खान बीजिंग में थे, तभी एलान हुआ था कि वे रूस की भी यात्रा करेंगे। सोमवार को यहां पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने खान की मास्को यात्रा के कार्यक्रम की पुष्टि कर दी। दो दशकों में यह किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पहली रूस यात्रा होगी।

पाकिस्तान के कूटनीतिक विशेषज्ञों ने कहा है कि इमरान खान की रूस यात्रा से अमेरिका को इस बात का साफ संदेश मिल जाएगा कि पाकिस्तान अमेरिका को अपने यहां सैनिक अड्डे मुहैया नहीं कराएगा। अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के बाद पाकिस्तान से सैनिक अड्डे के लिए जगह मांगी थी। इसीलिए कूटनीति के जानकारों ने इस मौके पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की रूस यात्रा करने को बेहद अहम माना है।

पश्चिमी देशों के निशाने पर आ सकता है पाक

बताया गया है कि मास्को में इमरान खान की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत होगी। इसके पहले पिछले 17 जनवरी को पुतिन और इमरान खान के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। उस दौरान खान ने कहा था कि दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं, जिसमें खास ध्यान व्यापार, आर्थिक संबंधों और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर है। तब पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान के मुताबिक पुतिन ने इमरान खान से अफगानिस्तान मुद्दे पर निकट संपर्क बनाए रखने और दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय विचार-विमर्श की संख्या बढ़ाने की अपील की थी।

जानकारों का कहना है कि यूक्रेन के सवाल पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से बढ़ रहे टकराव के बीच रूस अपने लिए नए दोस्तों की तलाश में है। वह नए व्यापार संबंध कायम करना चाहता है, ताकि पश्चिमी देशों से लगने वाले प्रतिबंधों का सामना कर सके। वह उन देशों से व्यापार बढ़ाने की ताक में है, जो भुगतान के लिए बिना अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल किए उसके साथ आयात-निर्यात करना चाहते हों। इसी कोशिश में पुतिन ने हाल में बीजिंग की यात्रा की। वहां रूस और चीन के बीच ऊर्जा सहयोग समेत कई महत्त्वपूर्ण समझौतों पर दस्तखत हुए।

विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही चीन के साथ मजबूत संबंध बना चुका है। अब वह रूस के साथ भी नए रिश्ते गढ़ने की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन इसमें जोखिम यह है कि अब वह भी पश्चिमी देशों के निशाने पर आ सकता है। इसका नुकसान उसे भुगतना पड़ेगा।

विस्तार

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की अगली रूस यात्रा को लेकर गहरी दिलचस्पी देखने को मिल रही है। जिस समय रूस से अमेरिका का टकराव बढ़ता जा रहा है, इमरान खान के रूस जाने का फैसला कितना वाजिब है, इस सवाल पर देश में चर्चा चल रही है। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक इमरान खान 23 से 25 फरवरी तक मास्को की यात्रा करेंगे।

किसी पाक पीएम की पहली रूस यात्रा

विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी सरकार लगातार पाकिस्तान को अमेरिका विरोधी खेमे से जोड़ती जा रही है। बीते हफ्ते ही इमरान खान ने बीजिंग की यात्रा की। वे वहां विंटर (शीतकालीन) ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए, जबकि अमेरिका ने इस समारोह के बहिष्कार की अपील की थी। जब खान बीजिंग में थे, तभी एलान हुआ था कि वे रूस की भी यात्रा करेंगे। सोमवार को यहां पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने खान की मास्को यात्रा के कार्यक्रम की पुष्टि कर दी। दो दशकों में यह किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पहली रूस यात्रा होगी।

पाकिस्तान के कूटनीतिक विशेषज्ञों ने कहा है कि इमरान खान की रूस यात्रा से अमेरिका को इस बात का साफ संदेश मिल जाएगा कि पाकिस्तान अमेरिका को अपने यहां सैनिक अड्डे मुहैया नहीं कराएगा। अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के बाद पाकिस्तान से सैनिक अड्डे के लिए जगह मांगी थी। इसीलिए कूटनीति के जानकारों ने इस मौके पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की रूस यात्रा करने को बेहद अहम माना है।

पश्चिमी देशों के निशाने पर आ सकता है पाक

बताया गया है कि मास्को में इमरान खान की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत होगी। इसके पहले पिछले 17 जनवरी को पुतिन और इमरान खान के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। उस दौरान खान ने कहा था कि दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं, जिसमें खास ध्यान व्यापार, आर्थिक संबंधों और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर है। तब पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान के मुताबिक पुतिन ने इमरान खान से अफगानिस्तान मुद्दे पर निकट संपर्क बनाए रखने और दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय विचार-विमर्श की संख्या बढ़ाने की अपील की थी।

जानकारों का कहना है कि यूक्रेन के सवाल पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से बढ़ रहे टकराव के बीच रूस अपने लिए नए दोस्तों की तलाश में है। वह नए व्यापार संबंध कायम करना चाहता है, ताकि पश्चिमी देशों से लगने वाले प्रतिबंधों का सामना कर सके। वह उन देशों से व्यापार बढ़ाने की ताक में है, जो भुगतान के लिए बिना अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल किए उसके साथ आयात-निर्यात करना चाहते हों। इसी कोशिश में पुतिन ने हाल में बीजिंग की यात्रा की। वहां रूस और चीन के बीच ऊर्जा सहयोग समेत कई महत्त्वपूर्ण समझौतों पर दस्तखत हुए।

विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही चीन के साथ मजबूत संबंध बना चुका है। अब वह रूस के साथ भी नए रिश्ते गढ़ने की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन इसमें जोखिम यह है कि अब वह भी पश्चिमी देशों के निशाने पर आ सकता है। इसका नुकसान उसे भुगतना पड़ेगा।

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