पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Thu, 02 Dec 2021 12:45 PM IST
सार
साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार परिषद की स्थापना की थी। इसकी स्थापना का मकसद था दुनिया भर में मानवाधिकारों के रक्षा करना। लेकिन पिछले कुछ समय से परिषद विवादों में बना रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची
– फोटो : एएनआई
जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर प्रतिकूल टिप्पणियों के लिए भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ओएचसीएचआर पर पलटवार किया। भारत ने कहा कि यह सीमा पार आतंकवाद के कारण क्षेत्र में उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों के बारे में आपकी कम समझ को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ। बागची की यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में विशिष्ट घटनाओं पर मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रवक्ता द्वारा दिए गए एक बयान के जवाब में आई है।
ओएचसीएचआर को कश्मीर की समझ नहीं: बागची
बागची ने कहा कि ओएचसीएचआर के बयान में भारतीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों और सुरक्षा बलों के खिलाफ निराधार आरोप लगाए गए थे। यह ओएचसीएचआर की ओर से सीमा पार आतंकवाद से भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों और हमारे नागरिकों के सबसे मौलिक मानव अधिकार के बारे में पूरी तरह से समझ की कमी को भी दर्शाता है।
भारत मानवाधिकार को ध्यान में रखकर हर कदम उठाता है: बागची
बागची ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के रूप में अपने नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की प्रतिबद्धता के साथ, भारत सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हम काम करते हैं: बागची
बागची ने कहा कि भारत की संप्रभुता की रक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाए गए थे।
विस्तार
जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर प्रतिकूल टिप्पणियों के लिए भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ओएचसीएचआर पर पलटवार किया। भारत ने कहा कि यह सीमा पार आतंकवाद के कारण क्षेत्र में उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों के बारे में आपकी कम समझ को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ। बागची की यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में विशिष्ट घटनाओं पर मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रवक्ता द्वारा दिए गए एक बयान के जवाब में आई है।
ओएचसीएचआर को कश्मीर की समझ नहीं: बागची
बागची ने कहा कि ओएचसीएचआर के बयान में भारतीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों और सुरक्षा बलों के खिलाफ निराधार आरोप लगाए गए थे। यह ओएचसीएचआर की ओर से सीमा पार आतंकवाद से भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों और हमारे नागरिकों के सबसे मौलिक मानव अधिकार के बारे में पूरी तरह से समझ की कमी को भी दर्शाता है।
भारत मानवाधिकार को ध्यान में रखकर हर कदम उठाता है: बागची
बागची ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के रूप में अपने नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की प्रतिबद्धता के साथ, भारत सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हम काम करते हैं: बागची
बागची ने कहा कि भारत की संप्रभुता की रक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाए गए थे।
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