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नासा मिशन: दुनिया का सबसे शक्तिशाली स्पेस टेलीस्कोप पूरी तरह से अंतरिक्ष में तैनात, जानिए कितना कठिन था प्रॉजेक्ट

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 08 Jan 2022 11:36 PM IST

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप
– फोटो : Istock

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए अब तक के सबसे शक्तिशाली जेम्स वेब टेलिस्कोप की तैनाती हो चुकी है। जेम्स वेब टेलिस्कोप की अंतिम सनशील्ड शनिवार को पूरी तरह से खुल गई। नासा ने इसकी जानकारी ट्विटर पर साझा की। वहीं नासा का यह टेलिस्कोप जल्द ही अपना काम शुरू कर देगा।

नासा ने ट्वीट कर जानकारी दी कि टीम ने  इस टेलिस्कोप के अंतिम विंग सेट करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। टीम ने इस विंग को सही जगह लगाने के लिए कई घंटों तक चलने वाली इस प्रक्रिया पर काम किया। 

सबसे ज्यादा कठिन प्रोजक्ट में से एक
टेलीस्कोप को लॉन्चिंग रॉकेट के अंदर फिट करना काफी चुनौतीपूर्ण काम था, टेलीस्कोप काफी बड़ा होने की वजह से इसे फोल्ड कर अंतरिक्ष में पहुंचाया गया। नासा ने कहा कि  टेलिस्कोप को खोलना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य रहा। यह अब तक के सबसे कठिन प्रोजक्ट में से एक है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप  अंतरिक्ष में नासा की आंख कहे जाने वाले हबल की जगह लेगा। 

10 लाख किमी दूर से भेजेगा डाटा महीने भर तक चलेगी तैनाती
जेम्स वेब की पूर्ण तैनाती इंजीनियरों को मिलने वाले डाटा पर निर्भर करेगी। पूरी प्रक्रिया एक महीने चलेगी। इसके बाद धरती से करीब 10 लाख किमी दूर से यह टेलिस्कोप अंतरिक्ष से जुड़ी अहम जानकारियां भेजने लगेगा। सौर कचरों और उल्कापिंडों को इस टेलिस्कोप के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है।

ये आई थी दिक्कत
शील्ड के प्रथम स्तर को कसने से पहले इंजीनियरों ने वेब के पावर सबसिस्टम को समझने में एक अतिरिक्त दिन खर्च किया। इस दौरान उन्हें दो परेशानियां आईं। पहली, समस्या सनशील्ड को कसने के लिए इस्तेमाल होने वाली छह मोटरों से जुड़ी थी। सूर्य की किरणों के कारण मोटरों का तापमान ज्यादा बढ़ गया था। इसके चलते इंजीनियरों ने इन्हें छांव में किया। दूसरी अड़चन सौर पैनल को लेकर थी,जो वेब की ऊर्जा को प्रभावित कर रहा था। टेलिस्कोप पर पांच सौर पैनल लगाए गए हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए अब तक के सबसे शक्तिशाली जेम्स वेब टेलिस्कोप की तैनाती हो चुकी है। जेम्स वेब टेलिस्कोप की अंतिम सनशील्ड शनिवार को पूरी तरह से खुल गई। नासा ने इसकी जानकारी ट्विटर पर साझा की। वहीं नासा का यह टेलिस्कोप जल्द ही अपना काम शुरू कर देगा।

नासा ने ट्वीट कर जानकारी दी कि टीम ने  इस टेलिस्कोप के अंतिम विंग सेट करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। टीम ने इस विंग को सही जगह लगाने के लिए कई घंटों तक चलने वाली इस प्रक्रिया पर काम किया। 

सबसे ज्यादा कठिन प्रोजक्ट में से एक

टेलीस्कोप को लॉन्चिंग रॉकेट के अंदर फिट करना काफी चुनौतीपूर्ण काम था, टेलीस्कोप काफी बड़ा होने की वजह से इसे फोल्ड कर अंतरिक्ष में पहुंचाया गया। नासा ने कहा कि  टेलिस्कोप को खोलना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य रहा। यह अब तक के सबसे कठिन प्रोजक्ट में से एक है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप  अंतरिक्ष में नासा की आंख कहे जाने वाले हबल की जगह लेगा। 

10 लाख किमी दूर से भेजेगा डाटा महीने भर तक चलेगी तैनाती

जेम्स वेब की पूर्ण तैनाती इंजीनियरों को मिलने वाले डाटा पर निर्भर करेगी। पूरी प्रक्रिया एक महीने चलेगी। इसके बाद धरती से करीब 10 लाख किमी दूर से यह टेलिस्कोप अंतरिक्ष से जुड़ी अहम जानकारियां भेजने लगेगा। सौर कचरों और उल्कापिंडों को इस टेलिस्कोप के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है।

ये आई थी दिक्कत

शील्ड के प्रथम स्तर को कसने से पहले इंजीनियरों ने वेब के पावर सबसिस्टम को समझने में एक अतिरिक्त दिन खर्च किया। इस दौरान उन्हें दो परेशानियां आईं। पहली, समस्या सनशील्ड को कसने के लिए इस्तेमाल होने वाली छह मोटरों से जुड़ी थी। सूर्य की किरणों के कारण मोटरों का तापमान ज्यादा बढ़ गया था। इसके चलते इंजीनियरों ने इन्हें छांव में किया। दूसरी अड़चन सौर पैनल को लेकर थी,जो वेब की ऊर्जा को प्रभावित कर रहा था। टेलिस्कोप पर पांच सौर पैनल लगाए गए हैं।

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