Desh

दाह संस्कार से प्रदूषण : एनजीटी ने कहा- बिजली, पीएनजी चालित श्मशान केंद्रों की संभावना तलाशें राज्य

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 18 Apr 2022 04:34 AM IST

सार

पीठ ने कहा कि उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए उपचारात्मक कदमों पर विचार करने और लोगों को शिक्षित करने एवं दाह संस्कार के पर्यावरण अनुकूल तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है।

ख़बर सुनें

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दाह संस्कार के पर्यावरण अनुकूल तरीकों को अपनाने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी से वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए लकड़ी के साथ बिजली या पीएनजी चालित श्मशान केंद्रों को बनाने पर विचार करने को कहा है। 

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दाह संस्कार के चलते वायु प्रदूषण होता है और लकड़ी आधारित दाह संस्कार के विकल्प के रूप में बिजली/पीएनजी चालित श्मशान केंद्रों की स्थापना की जा सकती है।

पीठ ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार आग से दाह संस्कार की विधि को पवित्र माना जाता है और एक श्मशान में 350-450 किलोग्राम लकड़ी खुले में जला दी जाती है। हालांकि पीठ ने यह भी साफ किया कि उसका किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत या चोट पहुंचाने का कोई मकसद नहीं है।

पीठ ने कहा कि उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए उपचारात्मक कदमों पर विचार करने और लोगों को शिक्षित करने एवं दाह संस्कार के पर्यावरण अनुकूल तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है।

एनजीटी ने कहा कि शुरुआत में, लकड़ी आधारित श्मशान के विकल्प के रूप में बिजली/पीएनजी चालित श्मशान की स्थापना की जा सकती है और अगर लोगों को ऐसा करने के लिए राजी किया जाता है, तो लकड़ी पर आधारित श्मशान को हटाया जा सकता है।

रिपोर्ट यह दिखाते हैं कि इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। एनजीटी गाजियाबाद के इंदिरापुरम के शक्ति खंड-4 में संचालित श्मशान में दाह संस्कार के दौरान धूल और उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित रियल एंकर्स डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

एनजीटी ने गाजियाबाद नगर निगम को वैज्ञानिक तरीके से पुराने कचरे की उपचारात्मक प्रक्रिया में तेजी लाने और वर्तमान कचरे के त्वरित प्रबंधन और निपटान को सुनिश्चित करने, अपशिष्ट प्रसंस्करण के संदर्भ में प्रबंधन की स्थिति का पता लगाने का भी निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि जीडीए और गाजियाबाद नगर निगम को अगली सुनवाई से पहले अपनी रिपोर्ट ईमेल के जरिये भी जमा कर सकते हैं।

विस्तार

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दाह संस्कार के पर्यावरण अनुकूल तरीकों को अपनाने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी से वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए लकड़ी के साथ बिजली या पीएनजी चालित श्मशान केंद्रों को बनाने पर विचार करने को कहा है। 

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दाह संस्कार के चलते वायु प्रदूषण होता है और लकड़ी आधारित दाह संस्कार के विकल्प के रूप में बिजली/पीएनजी चालित श्मशान केंद्रों की स्थापना की जा सकती है।

पीठ ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार आग से दाह संस्कार की विधि को पवित्र माना जाता है और एक श्मशान में 350-450 किलोग्राम लकड़ी खुले में जला दी जाती है। हालांकि पीठ ने यह भी साफ किया कि उसका किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत या चोट पहुंचाने का कोई मकसद नहीं है।

पीठ ने कहा कि उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए उपचारात्मक कदमों पर विचार करने और लोगों को शिक्षित करने एवं दाह संस्कार के पर्यावरण अनुकूल तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है।

एनजीटी ने कहा कि शुरुआत में, लकड़ी आधारित श्मशान के विकल्प के रूप में बिजली/पीएनजी चालित श्मशान की स्थापना की जा सकती है और अगर लोगों को ऐसा करने के लिए राजी किया जाता है, तो लकड़ी पर आधारित श्मशान को हटाया जा सकता है।

रिपोर्ट यह दिखाते हैं कि इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। एनजीटी गाजियाबाद के इंदिरापुरम के शक्ति खंड-4 में संचालित श्मशान में दाह संस्कार के दौरान धूल और उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित रियल एंकर्स डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

एनजीटी ने गाजियाबाद नगर निगम को वैज्ञानिक तरीके से पुराने कचरे की उपचारात्मक प्रक्रिया में तेजी लाने और वर्तमान कचरे के त्वरित प्रबंधन और निपटान को सुनिश्चित करने, अपशिष्ट प्रसंस्करण के संदर्भ में प्रबंधन की स्थिति का पता लगाने का भी निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि जीडीए और गाजियाबाद नगर निगम को अगली सुनवाई से पहले अपनी रिपोर्ट ईमेल के जरिये भी जमा कर सकते हैं।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

9
videsh

Russia Ukraine War Live: रूसी हमले में यूक्रेन को भी बड़ा नुकसान, जेलेंस्की बोले- 3000 से ज्यादा सैनिकों की मौत व 10 हजार घायल

9
Desh

पढ़ें 16 अप्रैल के मुख्य और ताजा समाचार – लाइव ब्रेकिंग न्यूज़

9
Desh

सुप्रीम कोर्ट का साफ निर्देश : एनसीआर के ईंट-भट्ठों की औचक जांच करें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नियमानुसार हो उत्पादन

To Top
%d bloggers like this: