सार
संविधान के अनुच्छेद 279 ए (5) में व्यवस्था है कि जीएसटी परिषद पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाने की तारीख घोषित कर सकती है।
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विस्तार
इसका अप्रत्यक्ष असर बाकी चीजों पर भी हो सकता है। इस आशंका ने पेट्रोल-डीजल सहित विमान ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी के तहत लाने का विचार करने पर मजबूर किया है। जुलाई 2017 में जब जीएसटी लागू हुआ कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, डीजल, पेट्रोल और एटीएफ को इससे बाहर रखा गया था।
सभी को होगा फायदा
उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाना सभी के हित में बताते हैं। इससे बाकी क्षेत्रों में महंगाई रुकेगी, कंपनियां इनपुट क्रेडिट टैक्स के जरिये लाभ ले पाएंगी और बाकी उत्पादों की कीमत भी घटेंगी।
अब तक प्रयास
सितंबर 2021 में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में इसे लेकर विचार हुआ, पर काउंसिल ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर ही रखने का निर्णय लिया।
केंद्र ने कई दफा कहा, पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाने के लिए विकल्प खुले रखे हैं।
कमाई घटेगी, इसलिए सरकार भी नहीं चाहती
पेट्रोलियम उत्पाद आज केंद्र व राज्य सरकारों की आय का प्रमुख माध्यम हैं
- 2018-19 में 2.10 लाख करोड़ की केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी वसूली गई जो 2019-20 में 2.19 लाख करोड़ व 2020-21 में 3.71 लाख करोड़ हो चुकी है।
- 5 अक्तूबर 2018 में पेट्रोल पर यह ड्यूटी 19.48 रुपये प्रति लीटर थी, 4 नवंबर 2021 तक यह 27.90 रुपये तक बढ़ा दी गई।
- डीजल पर भी यह 15.33 रुपये से बढ़कर 21.80 रुपये हो चुकी है।
- जीएसटी की सबसे बड़ी स्लैब 28 प्रतिशत की है, जो आज तेल पर वसूले जा रहे 50 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स के मुकाबले बहुत कम है।
राज्यों के मतभेद
जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है। महाराष्ट्र, केरल व कर्नाटक जैसे राज्यों ने तेल को जीएसटी के तहत लाने का विरोध किया है। वे मानते हैं कि ऐसा करने से उनके राजस्व संग्रह पर बुरा असर होगा।
राजस्व घटेगा तो महंगाई भी घटेगी
विशेषज्ञों के अनुसार राजस्व घटेगा, लेकिन महंगाई भी घटेगी। पूरे देश में इनके एक ही दाम होंगे तो खर्च कम करने में मदद मिलेगी।