मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लाइसेंस को लेकर भले ही राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है मगर संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि मिशनरीज के अनाथालय, अस्पताल और गरीबों के लिए बने आश्रयस्थल का काम हमेशा की तरह सुचारू रूप से चल रहा है।
मदर टेरेसा द्वारा 1950 में स्थापित मिशनरीज के अधिकारियों ने कहा, मामले को सुलझाने के लिए विशेषज्ञों और ऑडिटर से परामर्श लिया जा रहा है ताकि एफसीआरए के तहत लाइसेंस का नवीनीकरण हो सके। उन्होंने कहा कि इतने सालों तक इस देश के लोगों के प्यार और समर्थन की वजह से संस्था काम करती रही है। हम लगातार गरीबों, वंचितों और बीमारों की सेवा उसी भावना और समर्पण के साथ करते रहेंगे। अधिकारी के अनुसार भारत में खर्च होने वाली अधिकांश राशि स्थानीय स्रोतों से दान के रूप में मिलती है।
हालांकि विदेश से कितनी राशि आती है, यह नहीं बताया। मिशनरीज का मुख्यालय कोलकाता में हैं और देशभर में इसके 250 बैंक खाते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को बयान में कहा था कि मिशनरीज की ओर से एफसीआरए के तहत लाइसेंस नवीनीकरण के आवेदन को कुछ खामियों की वजह से 25 दिसंबर को खारिज किया गया था। लेकिन लाइसेंस नवीनकरण पर पुनर्समीक्षा के लिए मंत्रालय के पास कोई आवेदन अब तक नहीं आया है।
मंत्रालय का यह फैसला गुजरात में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के अनाथालय के निदेशक के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद आया है। मिशनरीज के निदेशक पर धर्मांतरण की कोशिश का आरोप लगा था।
गौरतलब है, मदर टेरेसा को सितंबर, 2016 में संत घोषित किया गया था। उन्हें 1962 में रेमोन मैगसेसे शांति पुरस्कार और 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। संगठन का फिलहाल 139 से अधिक देशों में केंद्र है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजुमदार ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी विवाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि वह देश में सांप्रदायिक राजनीति को हवा देेने में असादुद्दीन ओवैसी से भी ज्यादा सक्रिय हैं।
मजुमदार ने आरोप लगाया कि ममता ने मुसलमानों को लुभाने के लिए मौलाना, मुज्जमिनों को पैसे देने की शुरुआत की। अब वह यही काम ईसाई समुदाय के साथ करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, ममता बनर्जी की यह आदत है कि वह हर मामले में केंद्र सरकार को घसीटती हैं और हर मामले को मजहबी रंग देने की कोशिश करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बनर्जी देश में अस्थिरता लाना चाहती हैं। जिससे पड़ोसी मुल्कों को फायदा होगा, जो हर समय यहां समस्याएं खड़ी करना चाहते हैं। उन्हें ऐसी आदतों से बाज आना चाहिए। ममता बनर्जी ने सोमवार को एक ट्वीट कर आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की शह पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक खाते सील कर दिए गए हैं।
कांग्रेस ने मंगलवार को मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण से इनकार करने पर मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया और आरोप लगाया कि वह अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ईसाइयों को निशाना बना रही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा, मदर टेरेसा और उनकी मिशनरीज ऑफ चैरिटी अल्पसंख्यकों के खिलाफ मोदी सरकार के दोषपूर्ण, प्रतिशोधी और घृणा से प्रेरित एजेंडे की नई शिकार है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि वर्ष 2021 के समापन के साथ, यह साफ है कि मोदी सरकार ने अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक और लक्ष्य ‘ईसाई’ पा लिया है। चिदंबरम ने गृह मंत्रालय से कहा कि वह, अपने शेरलॉक होम्स सरीखे कौशल का उपयोग सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए करे न कि ईसाई दान-पुण्य और मानवीय कार्यों को दबाने के लिए।