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तैयारी: एक अक्तूबर, 2022 से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू होंगे नियम, एनबीएफसी पर सख्ती, रिजर्व बैंक ने बनाया पीसीए ढांचा

तैयारी: एक अक्तूबर, 2022 से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू होंगे नियम, एनबीएफसी पर सख्ती, रिजर्व बैंक ने बनाया पीसीए ढांचा

सार

आरबीआई के अनुसार, छोटे आकार के कारण करीब 10 हजार एनबीएफसी नए पीसीए ढांचे से बाहर रहेंगी और कुछ ही इसके दायरे में आएंगी। एनबीएफसी का आकार तेजी से बढ़ रहा है और ये वित्तीय तंत्र में मजबूती से जुड़ी हैं।

आरबीआई (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया

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बैंकों की तर्ज पर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर भी आरबीआई ने सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी है। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एनबीएफसी के लिए भी त्वरित समाधान कार्रवाई (पीसीए) ढांचा पेश किया। नया नियम 1 अक्तूबर, 2022 से लागू होगा। 2002 में बैंकों के लिए पीसीए ढांचा बनाया गया था।

आरबीआई के अनुसार, छोटे आकार के कारण करीब 10 हजार एनबीएफसी नए पीसीए ढांचे से बाहर रहेंगी और कुछ ही इसके दायरे में आएंगी। एनबीएफसी का आकार तेजी से बढ़ रहा है और ये वित्तीय तंत्र में मजबूती से जुड़ी हैं। लिहाजा इन पर निगरानी बढ़ाने के लिए मजबूत तंत्र की जरूरत है, जिसे पीसीए ढांचे के जरिये लागू किया जाएगा।

नया ढांचा सरकारी कंपनियों को छोड़कर जमा लेने वाली अन्य सभी एनबीएफसी और मिडिल, अपर व टॉप लेयर्स की जमा नहीं लेने वाली एनबीएफसी पर भी लागू होगा। इसमें निवेश व कर्ज बांटने वाली कंपनियां, इन्फ्रा डेट फंड, इन्फ्रा फाइनेंस कंपनियां और सूक्ष्म वित्तीय कंपनियां भी आएंगी। पीसीए ढांचे की हर तीन साल में समीक्षा होगी। इसका मकसद वित्तीय बाजार में एनबीएफसी के कामकाज पर नजर रखने के साथ उनकी सेहत में सुधार करना है। एजेंसी

मार्च की स्थिति से होगी गणना
आरबीआई ने कहा है कि 31 मार्च, 2022 तक या उसके बाद एनबीएफसी की वित्तीय स्थिति के आधार पर ही पीसीए ढांचा लागू किया जाएगा। अगर कोई एनबीएफसी जोखिम नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर पीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके जरिये रिजर्व बैंक बाजार में अनुशासन बनाए रखने और एनबीएफसी के खिलाफ समय रहते प्रतिबंध लागू करने में सक्षम होगा।

इन मानकों से चूके तो कार्रवाई

  • यदि संपत्ति के अनुपात में जोखिम पूंजी न्यूनतम 3 फीसदी से नीचे जाती है।
  • यदि टियर-1 (कोर) पूंजी अनुपात तय मानक से 2 फीसदी से नीचे जाता है।
  • यदि एनपीए अनुपात 6 फीसदी से ऊपर जाता है।

ऐसे लगेंगे प्रतिबंध
पीसीए में आने वाली एनबीएफसी पर लाभांश बांटने पर रोक लग जाएगी। गारंटी जारी करने व आकस्मिक देनदारियों पर भी रोक लगेगी। नया कर्ज बांटने, शाखा खोलने, नियुक्ति करने व पूंजीगत खर्च पर रोक लगा दी जाएगी। संबंधित एनबीएफसी के बोर्ड को भंग कर रिजर्व बैंक अपने हाथ में लेगा और दिवालिया समाधान के लिए एनसीएलटी में ले जाएगा।

विस्तार

बैंकों की तर्ज पर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर भी आरबीआई ने सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी है। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एनबीएफसी के लिए भी त्वरित समाधान कार्रवाई (पीसीए) ढांचा पेश किया। नया नियम 1 अक्तूबर, 2022 से लागू होगा। 2002 में बैंकों के लिए पीसीए ढांचा बनाया गया था।

आरबीआई के अनुसार, छोटे आकार के कारण करीब 10 हजार एनबीएफसी नए पीसीए ढांचे से बाहर रहेंगी और कुछ ही इसके दायरे में आएंगी। एनबीएफसी का आकार तेजी से बढ़ रहा है और ये वित्तीय तंत्र में मजबूती से जुड़ी हैं। लिहाजा इन पर निगरानी बढ़ाने के लिए मजबूत तंत्र की जरूरत है, जिसे पीसीए ढांचे के जरिये लागू किया जाएगा।

नया ढांचा सरकारी कंपनियों को छोड़कर जमा लेने वाली अन्य सभी एनबीएफसी और मिडिल, अपर व टॉप लेयर्स की जमा नहीं लेने वाली एनबीएफसी पर भी लागू होगा। इसमें निवेश व कर्ज बांटने वाली कंपनियां, इन्फ्रा डेट फंड, इन्फ्रा फाइनेंस कंपनियां और सूक्ष्म वित्तीय कंपनियां भी आएंगी। पीसीए ढांचे की हर तीन साल में समीक्षा होगी। इसका मकसद वित्तीय बाजार में एनबीएफसी के कामकाज पर नजर रखने के साथ उनकी सेहत में सुधार करना है। एजेंसी

मार्च की स्थिति से होगी गणना

आरबीआई ने कहा है कि 31 मार्च, 2022 तक या उसके बाद एनबीएफसी की वित्तीय स्थिति के आधार पर ही पीसीए ढांचा लागू किया जाएगा। अगर कोई एनबीएफसी जोखिम नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर पीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके जरिये रिजर्व बैंक बाजार में अनुशासन बनाए रखने और एनबीएफसी के खिलाफ समय रहते प्रतिबंध लागू करने में सक्षम होगा।

इन मानकों से चूके तो कार्रवाई

  • यदि संपत्ति के अनुपात में जोखिम पूंजी न्यूनतम 3 फीसदी से नीचे जाती है।
  • यदि टियर-1 (कोर) पूंजी अनुपात तय मानक से 2 फीसदी से नीचे जाता है।
  • यदि एनपीए अनुपात 6 फीसदी से ऊपर जाता है।


ऐसे लगेंगे प्रतिबंध

पीसीए में आने वाली एनबीएफसी पर लाभांश बांटने पर रोक लग जाएगी। गारंटी जारी करने व आकस्मिक देनदारियों पर भी रोक लगेगी। नया कर्ज बांटने, शाखा खोलने, नियुक्ति करने व पूंजीगत खर्च पर रोक लगा दी जाएगी। संबंधित एनबीएफसी के बोर्ड को भंग कर रिजर्व बैंक अपने हाथ में लेगा और दिवालिया समाधान के लिए एनसीएलटी में ले जाएगा।

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