उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता गिरीश महाजन द्वारा जमा किए गए 10 लाख रुपये और जनक व्यास द्वारा 2 लाख रुपये सहित 12 लाख रुपये की राशि जब्त कर ली गई है। यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यपाल जल्द ही अध्यक्ष के चुनाव और विधान परिषद के लिए 12 सदस्यों के लंबित नामांकन के बारे में फैसला करेंगे।
विभिन्न मुद्दों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल बी एस कोश्यारी के बीच मतभेदों का उल्लेख करते हुए उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के दो सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारियों ने एक-दूसरे पर भरोसा नहीं किया।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के लिए एक साथ बैठना और मतभेदों को सुलझाना उचित होगा।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद महाजन और व्यास द्वारा दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस दौरान उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सुनवाई की शुरुआत में गिरीश महाजन द्वारा जमा किए गए 10 लाख रुपये और जनक व्यास द्वारा प्रस्तुत किए गए 2 लाख रुपये सहित 12 लाख रुपये की राशि जब्त कर ली गई।
नाना पटोले ने भाजपा विधायकों का मुद्दा उठाया
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को सदन में पिछले साल निलंबित किए गए भाजपा के 12 विधायकों को विधानसभा में अनुमति दिए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा कि किस नियम के तहत इन विधायकों को विधानसभा में अनुमति दी गई है।
दरअसल, विधायक संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जयकुमार रावल, नारायण कुचे, राम सतपुते और कीर्तिकुमार भंगड़िया को 5 जुलाई 2021 को विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। राज्य सरकार ने उन पर अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि जुलाई 2021 में हुए शेष सत्र की अवधि से परे इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक और तर्कहीन था। जिसके बाद हाई कोर्ट ने 12 भाजपा विधायकों के एक साल के निलंबन को रद्द कर दिया था.