इसमें कहा गया है कि व्यापार उपायों और बौद्धिक संपदा में लचीलेपन को लेकर लागू किया गया मोरेटोरियम एक निश्चित और परिभाषित दायरे में होगा और इसे कोरोना संकट के समय कायम रखा जाना चाहिए।
विषम परिस्थितियों का दिया हवाला
‘विकास और समावेश को बढ़ावा देने को लेकर डब्ल्यूटीओ को मजबूत बनाना’ शीर्षक से जारी पत्र में कहा गया है कि बौद्धिक संपदा अधिकार मामले में व्यापार उपायों को लेकर रोक और लचीलेपन के लिए चीजें बिल्कुल साफ होंगी और इसे केवल अस्थायी तौर पर कोविड संकट के दौरान ही बनाए रखने की जरूरत है। इसके अनुसार, संकट को देखते हुए यह जरूरी है कि सरकारें मानवीय त्रासदी को नियंत्रित करने को लेकर आवश्यक कदम उठा सकें।
डब्ल्यूटीओ में जमा किये गए अवधारणा पत्र में कहा गया है कि विकासशील देशों के लिए नीतिगत मामले में गुंजाइश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पास राजकोष को लेकर स्थिति तंग है। धनी देशों के विपरीत विकासशील देशों के पास संकट से पार पाने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। इसीलिए वे उपायों को लेकर ज्यादा रचनात्मक होते हैं। इसमें वे व्यापार उपाय भी शामिल हैं, जो मददगार हो सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों ने अगर अपने नागरिकों की मदद के लिए लीक व्यवस्था से हटकर कोई कदम उठाये हैं, तो उन्हें मौजूदा व्यापार व्यवस्था के तहत दंडित नहीं किया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया है, ‘‘इसलिए विकासशील देशों ने अगर महामारी से निपटने को लेकर जरूरत के अनुसार व्यापार उपायों को लागू किया है, तो उन्हें विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान निकाय में ले जाने से छूट दी जानी चाहिए।’’
इसमें यह भी कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान व्यवस्था में सुधारों की जरूरत है क्योंकि अपीलीय निकाय काम नहीं कर रहा। पत्र के अनुसार, ‘‘हालांकि यह अवधारणा पत्र है, लेकिन हमने मसलों को सामने रखा है। अगर डब्ल्यूटीओ को मजबूत बनाना है तो इसका समाधान जरूरी है।’’
उल्लेखनीय है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका पहले ही कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के कुछ प्रावधानों से छूट को लेकर डब्ल्यूटीओ में प्रस्ताव दे चुके हैं। डब्ल्यूटीओ जिनेवा स्थित 164 देशों का एक संगठन है जो वैश्विक व्यापार नियमों को ना केवल बनाता है बल्कि सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का भी फैसला करता है।
डब्ल्यूटीओ की प्रतिबद्धताएं पूरी करने में चीन विफल
अमेरिका ने चीन पर डब्ल्यूटीओ के प्रति अपनी मुक्त व्यापार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने कहा है कि वह चीन के आक्रामक व्यापार व्यवहार से निपटने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रहा है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने बुधवार को डब्ल्यूटीओ नियमों के साथ चीन के अनुपालन पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि बीजिंग अपने वादों को पूरा नहीं कर रहा है।
चीन पर वादे पूरे नहीं करने के आरोप
चीन ने 2001 में डब्ल्यूटीओ में शामिल होने के वक्त विदेशी प्रतिस्पर्धा के लिए अपने बाजारों को खोलने का वादा किया था। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने कहा, ‘चीन ने इसके बजाय इकोनमी और व्यापार के लिए अपने सरकारी नेतृत्व वाले गैर-बाजार नजरिये को बरकरार रखा है और इसे आगे बढ़ाया है।