ख़बर सुनें
विस्तार
पार्क गोपीचंद अकादमी में भारतीय टीम के कोच थे, लेकिन सिंधू की गुहार पर पार्क को अकेले उनके साथ जोड़ दिया गया। थोड़े ही समय में पार्क ने सिंधू को किम की कमी का न सिर्फ अहसास खत्म करा दिया बल्कि ओलंपिक का एक और पदक उनकी झोली में डलवा दिया।
सिंधू को टोक्यो में नए अवतार में उतारा
यह पार्क ही हैं जिन्होंने सिंधू के टोक्यो में नए अवतार के लिए एक नहीं कई रणनीतियों पर काम किया। टोक्यो जाने से पहले पार्क की चिंता का सबसे बड़ा विषय उनका दुनिया की टॉप शटलर ताई जू यिंग, चेन यू फेई, कैरोलिना मारिन, हे बिंग जियाओ, नाजोमी ओकुहारा के खिलाफ सिंधू की हार-जीत का खराब रिकार्ड था।
इसी को ध्यान में रखते हुए पार्क ने सिंधू को टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के लिए इन दिग्गजों के खिलाफ सिंधू की कमियों और उनके मजबूत पक्षों पर जमकर काम कराया। सिंधू के इन शटलरों के खिलाफ मैचों के वीडियो देखकर पार्क ने टोक्यो के लिए रणनीति बुनीं।
सिंधू नेट पर कमी दूर की ताकत और बनाया मजबूत
सिंधू की लंबाई होने की वजह से उनकी नेट पर कमजोरी को सभी जानते हैं, लेकिन पार्क ने उनकी इस कमजोरी पर खूब काम किया। अकाने यामागुची हों या फिर हे बिंग जियाओ, दोनों टोक्यो में सिंधू के खिलाफ उनकी नेट पर कमजोरी का फायदा नहीं उठा पाईं बल्कि नेट पर दिखाए गए खेल की बदौलत ही उन्हें जीत हासिल करने में मदद मिली।
यही नहीं पार्क ने सिंधू के मजबूत पक्ष उनके आक्रामक खेल और ज्यादा आक्रामक कराया। उनके मजबूत स्मैशों में और ज्यादा आक्रामकता पैदा की। उनके वजन पर भी उन्होंने काम किया।
जूनियर लड़कों के साथ कराई प्रैक्टिस
सिंधू के खेल में और अधिक तेजी लाने के लिए पार्क ने उन्हें जूनियर लड़कों के साथ भी ट्रेनिंग कराई।