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जेल में बंद 'सुकेश': कैसे 32 करोड़ में 'बेईमान' हो गया तिहाड़ का हाई सिक्योरिटी सिस्टम, पढ़िये उस ‘ठग’ की कहानी  

देश की राष्ट्रीय राजधानी में स्थित हाई सिक्योरिटी जेल ‘तिहाड़’ की गजब कहानी है। ठग ‘सुकेश’ जेल में बंद है। वहां का माहौल देखकर वह भांप गया कि यहां उसका चक्कर चल सकता है। चक्कर चल भी गया। कुछ ही महीनों में आखिर कैसे हाई सिक्योरिटी जेल का सिस्टम 32 करोड़ में ‘बेईमान’ हो गया। जेल की सलाखों के पीछे से ‘सुकेश’ ने जिसका मन किया, उसका फोन ‘स्पूफ’ पर लगा दिया। सामने वाले के लिए कभी वह गृह मंत्री बना तो कभी गृह सचिव। पीएमओ अधिकारी और लॉ सेक्रेटरी भी बन गया। खुद को सुप्रीम कोर्ट का जज बताकर जूनियर जज को फोन कर दिया। 

बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस और उद्योगपति शिवेंद्र सिंह जैसे लोग उसके ‘जाल’ में फंस गए। एक जेल में बात नहीं बनी तो जेल बदल गई। ‘सेल’ ठीक नहीं लगा तो ‘सेल’ बदल गया। दिल्ली पुलिस ने जब इस केस की गुत्थी सुलझाई तो मालूम पड़ा कि आखिर किस तरह उसने ‘तिहाड़’ को अपने मन मुताबिक चलाया। जेल में सिपाही से अधीक्षक तक और सीसीटीवी को गच्चा दे दिया। आखिर उसने ये सब कैसे कर दिया, तिहाड़ में तीन दशक से अधिक समय तक तैनात रहे एक पूर्व अधिकारी कहते हैं कि मौजूदा हालात में कुछ भी संभव है।

गृह मंत्री और पीएमओ तक को नहीं छोड़ा… 
ठग सुकेश तकनीक का मास्टर रहा है। महज एक वर्ष में उसने जेल में बैठे बिठाए ही कई कारनामे कर दिए। मीडिया में भले ही ऐसी खबरें छपती रहें कि तिहाड़ जेल का सिस्टम बहुत मजबूत है। संसद के तकरीबन हर सत्र में जेलों के सिक्योरिटी सिस्टम को लेकर सवाल उठते रहते हैं। सरकार हर बार यही कहती है कि जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत किया जा रहा है। 

दूसरी तरफ सुकेश है जिसने सरकार के दावों को तार तार कर दिया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी बताते हैं कि तिहाड़ जेल के अधिकारी और कर्मचारी ‘सुकेश’ की मेहरबानी के कायल हो चुके थे। सुकेश को जेल में ही आईफोन मुहैया करा दिया। मोबाइल ऐप और मॉड्युलेशन सॉफ्टवेयर की मदद से उसने बड़े लोगों के फोन नंबर ‘स्पूफ’ कर दिए। 

इसका अर्थ है कि वह जिसे फोन कर रहा है, वहां जो नंबर दिखेगा, वह ‘सुकेश’ द्वारा तैयार किया हुआ होगा। अगर वह चाहता है कि सामने वाले को यह लगे कि फोन गृह मंत्रालय से आया है, तो ‘स्पूफ’ के जरिए वह ऐसा संभव कर देता था। सामने वाले के नंबर पर मंत्रालय के नंबर से फोन जाता था। जेल में बंद शिवेंद्र सिंह की पत्नी अदिति सिंह को उसने ‘स्पूफ’ के जरिए कई कॉल की थी। कभी प्रधानमंत्री कार्यालय तो कभी कानून मंत्रालय का सचिव बन कर बात करता था। गृहमंत्री अमित शाह एवं उनके सहयोगी और गृह सचिव जैसे बड़े ओहदे वाले अधिकारी बनकर उसने लोगों से बात की। तिहाड़ जेल में बैठकर उसने 200 करोड़ रुपये की ठगी कर दी।

जेल में ’32’ करोड़ खर्च कर की 200 करोड़ की ठगी…
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि ये काम आसान नहीं था। जेल में बंद सुकेश ने बड़ी चालाकी से काम किया। उसने पहले जेल के निचले स्टाफ को भरोसे में लिया। उनसे यह मालूम किया कि जेल में कौन से अधिकारी या जिम्मेदार कर्मी हैं जो ‘रुपये’ की खनक के आगे टूट सकते हैं। उसके बाद सुकेश ने निचले स्टाफ की मदद से ही बड़े अधिकारियों से संपर्क किया। मामला बनता चला गया। यहीं से सुकेश चंद्रशेखर की 200 करोड़ रुपये की ठगी की कहानी शुरु होती है। उसने जेल के अधिकारियों को बता दिया कि वह उन्हें कितना रुपया दे सकता है। राशि इतनी थी कि कोई भी अधिकारी लालच में फंसे बिना नहीं रह सका। 

नतीजा, दो जेल अधीक्षक, दो डिप्टी जेलर, एक सहायक जेलर और दर्जनभर दूसरे कर्मचारी गिरफ्तार हो गए। ये सारा कमाल 32 करोड़ रुपये का था। सुकेश ने स्वीकार किया है कि यह राशि जेल में बंटी है। तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता के अनुसार, तिहाड़ जैसी अति सुरक्षित जेल में ये जो कुछ हुआ है, वैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। छोटी मोटी घटनाएं तो होती रहती हैं। किसी कैदी को बाहर से कोई सामान भिजवा दिया या मोबाइल फोन बरामद हुआ है। जेल से रुपयों की मांग, ऐसी धमकी देने के केस भी हुए हैं। सुकेश का मामला सबसे बड़ा है। इस मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारी और दूसरा स्टाफ ठग सुकेश के साथ मिला हुआ था।  

हाई रिस्क वार्ड से सामान्य वार्ड में कैसे आया सुकेश … 
जांच में पता चला है कि सुकेश को जेल में मोबाइल फोन मुहैया कराया गया था। इस घटना के बाद उसे हाई रिस्क वार्ड में बंद कर दिया गया। इस वार्ड में बंद होने वालों पर हर समय नजर रखी जाती है। स्टाफ भी ज्यादा रहता है। निगरानी के लिए कैमरे भी लगे हैं। सुकेश को लगा कि अब यहां से वह मोबाइल पर बात नहीं कर सकेगा। सुकेश ने अपने जुगाड़ से खुद को हाई रिस्क वार्ड से सामान्य वार्ड में शिफ्ट करा लिया। ये सब, जेल स्टाफ की मिलीभगत के बिना संभव नहीं था। 

बतौर सुनील गुप्ता, बड़ी बात तो ये है कि सामान्य वार्ड, जहां पर लगभग दस कैदियों को रखा जाता है, वहां सुकेश को अकेला रखा गया। इसका क्या मतलब था। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली पुलिस की टीम जब सुकेश मामले की जांच पड़ताल के लिए जेल में पहुंची तो काफी देर तक उसके सेल का दरवाजा नहीं खोला गया। यह बहाना बनाया गया कि चाबी नहीं मिल रही है। तब तक सुकेश अपने मोबाइल फोन से सारा डेटा उड़ा चुका था। 

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