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जानकारी: ऑनलाइन कंटेंट से भारत की जनता को प्रभावित करता है पाकिस्तान? सरकार को क्यों बंद करने पड़े यूट्यूब चैनल-साइट्स, जानें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 22 Dec 2021 11:33 AM IST

सार

यह जानना काफी अहम है कि आखिर पाकिस्तान की तरफ से किस तरह ऑनलाइन कंटेंट भारत में प्रमोट किए जाते हैं और कैसे यूजर्स को फेक न्यूज और गलत जानकारी वाली सामग्री पर भरोसा दिलाया जाता है, जिससे कई बार भारत में फर्जी जानकारियां ही सार्वजनिक बहस का मुद्दा बन जाती हैं।

सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनल्स का इस्तेमाल बॉर्डर पार गलत जानकारी फैलाने के लिए भी किया जा रहा है।
– फोटो : Social Media

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विस्तार

केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि उसने भारत के खिलाफ प्रोपेगंडा और फेक न्यूज फैलाने वाले 20 यूट्यूब चैनल और दो वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। बताया गया है कि इन चैनलों और वेबसाइट्स पर जम्मू-कश्मीर से लेकर राम मंदिर और जनरल बिपिन रावत के खिलाफ कई फर्जी खबरें चलाई जा रही थीं, जिनका मकसद बंटवारा पैदा करने के साथ हिंसा भड़काने से जुड़ा था। 

इस बीच केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने खुलासा किया कि ब्लॉक किए गए यूट्यूब चैनल और वेबसाइट्स एक पाकिस्तानी नेटवर्क का हिस्सा थे और इनकी पहचान करने के लिए खुफिया एजेंसियों ने भी मंत्रालय का सहयोग किया। ऐसे में यह जानना काफी अहम है कि आखिर पाकिस्तान की तरफ से किस तरह ऑनलाइन कंटेंट भारत में प्रमोट किए जाते हैं और कैसे यूजर्स को फेक न्यूज और गलत जानकारी वाली सामग्री पर भरोसा दिलाया जाता है, जिससे कई बार भारत में फर्जी जानकारियां ही सार्वजनिक बहस का मुद्दा बन जाती हैं।

 

पाकिस्तान से कैसे ऑपरेट होता है एंटी-इंडिया कंटेंट?

इस बात को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान फेसबुक ने पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले करीब 453 फेसबुक अकाउंट्स, 103 पेज, 78 ग्रुप्स और 107 इंस्टाग्राम अकाउंट्स हटा दिए थे। तब इस सोशल मीडिया कंपनी ने कहा था कि उसने यह कदम ‘कूटनीतिक मकसद से सार्वजनिक बहस को प्रभावित करने की समन्वित कोशिशों’ को रोकने के लिए उठाए हैं।’ 

फेसबुक का कहना था कि उसने अपनी सुरक्षा नीति के तहत पाकिस्तान से संचालित होने वाले समूहों को भारत में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों से जुड़े पोस्ट करते पकड़ा। इन पोस्ट्स में यह ग्रुप्स पाकिस्तानी सरकार और आईएसआई की तारीफ कर रहे थे, जबकि भारत और उसकी नीतियों की आलोचना। चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान से संचालित जो अकाउंट्स यह काम कर रहे थे, उनके नाम नकली थे और उनमें से कुछ को भारत के नागरिक की तरह दर्शाने की भरपूर कोशिश की गई थी। 

भारत की आबादी के बीच कैसे प्रभाव बनाते हैं ये चैनल?

स्टैनफोर्ड इंटरनेट ऑब्जर्वेटरी के साइबर पॉलिसी सेंटर के रिसर्चर्स ने तब इन हटाए गए अकाउंट्स की जांच की थी। इसमें सामने आया था कि यही सोशल मीडिया अकाउंट्स पाकिस्तानी सरकार, उसकी सेना और इस्लाम के खिलाफ पोस्ट करने वाले अकाउंट्स को रिपोर्ट करने का काम भी कर रहे थे। इस जांच में एक परेशान करने वाला तथ्य यह भी था कि इन अकाउंट्स के कुल 11 लाख 80 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स थे। यानी इन अकाउंट्स को भारत में ऐसे पेश करने की कोशिश की गई थी, जैसे कोई भारतीय नागरिक अपने ही देश की आलोचना में जुटा है और उसके हजारों फॉलोअर्स उसके असल व्यक्ति होने की पुष्टि भी कर रहे थे। डिजिटल दुनिया में इस तरह सम्मिलित तरीके से लोगों को प्रभावित करने के तरीके को कोऑर्डिनेटेड इनऑथेंटिक बिहेवियर (CIB) कहते हैं। 

क्या है कोऑर्डिनेटेड इनऑथेंटिक बिहेवियर, इसे पकड़ना मुश्किल क्यों?

साइबर विशेषज्ञों की मानें तो सीआईबी के जरिए आजकल हर देश अपने दुश्मन के खिलाफ जबरदस्त तरीके से दुष्प्रचार करने में जुटे हैं। कोऑर्डिनेटेड इनऑथेंटिक बिहेवियर को आसान भाषा में कुछ इस तरह समझा जा सकता है- “जब कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स या पेजेज का एक समूह गलत जानकारी फैलाने के लिए साथ काम करें और अपनी जानकारी- जैसे वे कौन हैं और क्या कर रहे हैं छिपा लें, तो इसे ही सीआईबी के तहत आने वाली गतिविधि कहा जाता है।”

आमतौर पर कोऑर्डिनेटेड इनऑथेंटिक बिहेवियर के तहत सोशल मीडिया के ट्रेंड्स को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। इसके तहत झूठे कंटेंट को प्रसारित करने के लिए फेक यूजर्स उन्हें बार-बार शेयर या रिट्वीट करते हैं। इसके लिए कुछ हैशटैग भी तय होते हैं और इन्हें ऐसे अकाउंट्स से पोस्ट किया जाता है, जिनकी पहचान भारतीय या विदेश के किसी व्यक्ति की लगे। आम लोगों के लिए इनकी पहचान भी मुश्किल होती है, क्योंकि इनके नकली फॉलोअर्स की संख्या भी हजारों-लाखों में होती है। ऐसे में लोग इनकी तरफ से साझा किए गए कंटेंट से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं।

खुफिया एजेंसियां कैसे पकड़ती हैं यह फेक ट्रेंड्स?

खुफिया एजेंसियां इन फर्जी ट्रेंड्स को पकड़ने के लिए इन्हें बार-बार साझा करने वाले अकाउंट्स की जानकारी इकट्ठा करती हैं। ज्यादातर मामलों में इस तरह के पोस्ट्स किसी एक ही जियोलोकेशन से किए गए होते हैं। भारत के मामले में इस तरह के पोस्ट का सीधा जुड़ाव पाकिस्तान से होता है। इतना ही नहीं यह पोस्ट भारी मात्रा में किए जाते हैं। इसलिए खुफिया एजेंसियां सिर्फ इनका स्रोत पता कर के पूरी जानकारी इकट्ठा कर लेती हैं। 

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