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जलवायु परिवर्तन का असर: अमेरिका के जंगलों की आग से लेकर भारत में भीषण बाढ़ तक, 2021 में हर महीने दिखीं बड़ी आपदाएं

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन/बीजिंग/नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 30 Dec 2021 09:49 AM IST

सार

वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तेजी से दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन की घटनाएं सामने आ रही हैं, उस लिहाज से आने वाले साल में धरती को और बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। 

जलवायु परिवर्तन के चलते पूरी दुनिया ने देखा आपदाओं का साल।
– फोटो : Social Media

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विस्तार

साल 2021 खत्म होने की कगार पर है। कोरोनावायरस महामारी की वजह से 2021 को 2020 से भी खतरनाक करार दिया जाता है। इस वैश्विक महामारी को मानव इतिहास की सबसे बड़ी आपदाओं में भी गिना जाए तो गलत नहीं होगा। हालांकि, कुछ और आपदाओं ने भी लोगों की समस्याओं को बढ़ाने का काम किया। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश हो, जहां जलवायु परिवर्तन के असर से कोई भयानक आपदा न आई हो। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तेजी से दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन की घटनाएं सामने आ रही हैं, उस लिहाज से आने वाले साल में धरती को और बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के पिछले 20 सालों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सामने आता है कि इस दौरान कुल 7438 आपदाएं रिकॉर्ड की गईं। इनमें करीब 12 लाख से ज्यादा जानें चली गईं। अकेले चीन में ही 577 आपदाएं आईं, जबकि दूसरे नंबर पर अमेरिका का नाम है, जहां 467 आपदाएं रिकॉर्ड की गईं। भारत में पिछले 20 सालों में 321 आपदाएं दर्ज हुई हैं। 

साल भर में क्या हुईं बड़ी घटनाएं?

पृथ्वी के इसी बिगड़ते हालात से आगाह करने के लिए अमर उजाला आपको 2021 के हर महीने में जलवायु परिवर्तन की वजह से आई बड़ी आपदाओं के बारे में बता रहा है। 

फरवरी: अमेरिका के सबसे गर्म राज्यों में से एक टेक्सास में जबरदस्त शीतलहर रिकॉर्ड हुई। इसमें 125 लोगों की मौत हुई। जबरदस्त ठंड के बीच लाखों लोगों को बिना बिजली के रहने को मजबूर होना पड़ा। वैज्ञानिकों को शुरुआत में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि आखिर टेक्सास में मौसम अचानक क्यों बदला। हालांकि, अब यह सामने आया है कि आर्कटिक में गर्मी बढ़ने की वजह से दुनियाभर में मौसम पर अजीब प्रभाव पड़ रहा है। 

मार्च: चीन की राजधानी बीजिंग में अचानक ही धूलभरे गुबार में सबकुछ ढक गया। आलम यह था कि यहां से उड़ने वाली सभी फ्लाइट्स को तुरंत रोकना पड़ा। वैज्ञानिकों ने इसे पूरे दशक की सबसे खराब आंधी करार दिया था। 

अप्रैल: असम में 28 अप्रैल 2021 को 6.4 तीव्रता के भूकंप ने जबरदस्त तबाही मचाई। इस प्राकृति आपदा की वजह से दो मौतें हुईं, जबकि 12-13 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए। 

मई: भारत के लिए ये महीना काफी चुनौतीभरा रहा। इस महीने देश को दो-दो चक्रवाती तूफानों का सामना करना पड़ा। पहला चक्रवाती तूफान ‘ताउते’ 14 मई 2020 को अरब सागर में आया था और इससे गुजरात बुरी तरह प्रबावित हुआ। ताउते की वजह से करीब 174 लोगों की जान गई, जबकि 80 लोग अब तक लापता हैं। इसके अलावा दो लाख लोगों को अपने घर छोड़कर कैंपों में रहना पड़ा। 

दूसरा चक्रवाती तूफान ‘यास’ रहा, जिसने पश्चिम बंगाल को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया। 23 मई 2021 को यास ओडिशा से टकराया और बंगाल से होता हुआ बांग्लादेश पहुंच गया। दोनों देशों में इसकी वजह से करीब 20 लोगों की मौत हुई। 

जून: अमेरिका और कनाडा में यह साल भयानक गर्मी का रहा। इस दौरान दोनों देशों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक गया। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को अहम वजह करार दिया था। भीषण गर्मी की वजह से दोनों देशों में सैकड़ों लोगों की जान गई थी। इतना ही नहीं अमेरिका में तो बिजली के तार तक गल गए थे और सड़कें टूटने लगीं। कई शहरों में इस दौरान कूलिंग सेंटर्स खोले गए, जहां लोगों को गर्मी से बचाने के इंतजाम किए गए थे। 

इसी महीने अमेरिका भीषण सूखे का भी सामना कर रहा था। 2020 की शुरुआत में पानी की कमी से पैदा हुई स्थिति जून की भीषण गर्मी में और गंभीर हो गई। किसानों ने बचाव के लिए अपनी फसलों को छोड़ दिया। अधिकारियों ने भी हूवर बांध में पानी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर जाने की वजह से आपातकाल का एलान कर दिया था। 

जुलाई: 2021 का यह महीना भी दुनिया के लिए भारी साबित हुआ। भारत के महाराष्ट्र में बारिश का सीजन कई चुनौतियां लेकर आया। 22 जुलाई को राज्य में भारी बारिश हुई, जिससे शहरों में जलजमाव की स्थिति पैदा हो गई। वहीं कुछ और ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ भी देखी गई। महाराष्ट्र में इस आपदा में 251 लोगों की मौत हुई, जबकि 100 लोग लापता थे। गोवा में भी जबरदस्त बारिश की वजह से दशकों में सबसे खराब बाढ़ रिकॉर्ड हुई। 

उधर चीन के हेनान प्रांत में भी जबरदस्त बारिश और उसके चलते आई बाढ़ में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। चीन के मौसम विबाग के मुताबिक, जुलाई के तीन दिनों में ही इतनी बारिश हुई, जितनी एक साल में होती है। इसका असर यह हुआ कि मेट्रो में सफर कर रहे यात्री भी पानी के बीच फंसे नजर आए।

इसके अलावा यूरोप के जर्मनी, बेल्जियम और नीदरलैंड्स में जबरदस्त बारिश से बाढ़ की स्थिति बनी रही। इन तीन देशों में 200 से ज्यादा की मौत हुई। वैज्ञानिकों का कहना था कि जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाले समय में ऐसी घटनाओं के 20 फीसदी तक ज्यादा होने के आसार हैं। 

जहां आधी दुनिया जुलाई में बारिश से प्रभावित थी, वहीं अमेरिका के कैलिफोर्निया और ओरेगॉन के जंगलों में लगीं दो बड़ी आग इन राज्यों के इतिहास की सबसे बड़ी वाइल्डफायर साबित हुईं। इसके अलावा दक्षिण अमेरिकी देश चिली ने इस दौरान ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते दशकों लंबे सूखे का एक और साल देखा। ब्राजील के लिए भी यह साल सदी के सबसे सूखे वर्षों में रहे हैं 

अगस्त: इस महीने मेडिटेरेनियम के तीन देश अल्जीरिया, ग्रीस और तुर्की जंगलों में लगी आग से जूझते दिखे। जहां ग्रीस में दो लोगों की मौत हो गई, तो वहीं अल्जीरिया में 65 की जान गई। उधर अगस्त के अंत तक एल्प्स की पहाड़ियों पर जमी बर्फ गर्म होते तापमान की वजह से पिघलना शुरू हो गई। बर्फ को बचाने के लिए स्विट्जरलैंड के रिसॉर्ट कर्मचारियों को माउंट टिटलिस पर कंबल तक डालते देखा गया था। 

सितंबर: भारत के लिए ये चक्रवाती तूफान से जूझने का एक और महीना रहा। बंगाल की खाड़ी में उठा ‘गुलाब’ चक्रवात 24 सितंबर को रफ्तार पकड़ने के बाद 26 सितंबर को आंध्र प्रदेश से टकराया था। हालांकि, इसके बाद यह कमजोर पड़ता चला गया। सुरक्षा कारणों से करीब 56 हजार लोगों को कैंपों में ले जाया गया था। 

भारत के अलावा अमेरिका में भी चक्रवाती तूफान ईडा ने तबाही मचाई। यह लूजियाना से टकराने के दौरान कैटेगरी 4 का तूफान था। इसकी चपेट में आकर लूजियाना में ही 100 लोगों की मौत हुई थी। आगे बढ़ने के बाद कई और जानें गईं। साथ ही पूरे देश में जबरदस्त बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति भी पैदा हुई। 

नवंबर: भारत में नवंबर की शुरुआत ही एक आपदा के साथ हुई। एक नवंबर को तमिलनाडु में शुरू हुई जबरदस्त बारिश ने बाढ़ का रूप ले लिया। इसमें 41 लोगों की जान चली गई और 11 हजार लोग विस्थापित हो गए। 

इसी दौरान दक्षिणी सूडान में 60 साल में सबसे खतरनाक बाढ़ देखी गई। इससे 7 लाख 80 हजार लोग प्रभावित हुए। यानी हर 14 में से एक नागरिक। जलवायु परिवर्तन की वजह से दक्षिणी सूडान में भारी बारिश लगातार तीन सालों से बाढ़ का रूप ले रही है। इसके अलावा कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में भी नवंबर में जबरदस्त बारिश ने तबाही मचाई। यह कनाडा के पूरे इतिहास में सबसे महंगी प्राकृतिक आपदा रही। 

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