वर्ल्ड डेस्क, अमर अजाला, बीजिंग
Published by: सुभाष कुमार
Updated Tue, 07 Dec 2021 06:47 AM IST
सार
शी ने कानून के शासन के बारे में गहन प्रचार और शिक्षा का प्रसार आवश्यक बताया। उन्होंने विकासशील धर्मों के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए चीनी संदर्भ जरूरी बताया।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग।
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश में राष्ट्रीय सुरक्षा की खातिर धार्मिक मामलों पर सरकारी नियंत्रण को और सख्त करने का आह्वान किया। इस सख्ती में धार्मिक आस्था को गलत ठहराना भी शामिल है जिसका व्यापक अर्थ है कि उन लोगों को भी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के अनुरूप ढालना जो धर्म पर भरोसा करते हैं।
बता दें कि 2019 में जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में कहा गया है कि चीन में करीब 20 करोड़ लोग धर्म पर विश्वास करते हैं। इन लोगों में तिब्बत के अधिकांश बौद्ध शामिल थे। अन्य में दो करोड़ मुस्लिम, 3.8 करोड़ प्रोटेस्टेंट ईसाई और 60 लाख कैथोलिक ईसाई शामिल थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के प्रमुख 68 वर्षीय शी जिनपिंग देश के एक शक्तिशाली नेता और सैन्य मुखिया भी हैं। वे सत्ता में रहते हुए धर्मों का गलत ठहराने का आह्वान करते रहे हैं। उन्होंने अपने आह्वान को दोहराते हुए एक राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, धर्मगुरुओं को लोकतांत्रिक पर्यवेक्षण में सुधार करना और धार्मिक कार्यों में कानून के शासन पर जोर देना जरूरी है। शी ने कानून के शासन के बारे में गहन प्रचार और शिक्षा का प्रसार आवश्यक बताया। उन्होंने विकासशील धर्मों के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए चीनी संदर्भ जरूरी बताया।
पार्टी-सरकार के बीच पुल का काम करें धार्मिक समूह
शी ने कहा कि धार्मिक आस्था की आजादी पर पार्टी की नीति को पूरी तरह और ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए। जबकि धार्मिक समूहों को एक पुल के रूप में पार्टी और सरकार के बीच में खड़े होना चाहिए। हांगकांग स्थित साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह संबोधन चीन में मुस्लिमों व ईसाइयों पर दमनकतारी नियंत्रण के आरोपों और धर्मों पर देश की बड़ती सख्त निगरानी के बीच हुआ।