एजेंसी, मुंबई।
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 05 Jan 2022 04:12 AM IST
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एसआईबी के तहत आने वालों बैंकों को महत्वपूर्ण माना जाता है। इन बैंकों के लिए संकट के समय सरकार से समर्थन की उम्मीद होती है। इस धारणा के कारण इन बैंकों को वित्तपोषण बाजार में कुछ लाभ मिलते हैं।
इन बैंकों को ऐसा बैंक भी माना जाता है, जिनका असफल होना इतना नुकसानदेह हो सकता है कि नीति बनाने वाले इनके विफल होने का कोई भी जोखिम नहीं उठा सकते। ऐसे में नीतियों का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि इन महत्वपूर्ण बैंको के लिए जोखिमों को कम-से-कम किया जा सके।
2015 में एसबीआई हुआ था शामिल
आरबीआई ने कहा कि यह 2020 की डी-एसआईबी की सूची के समान संरचना के तहत है। डी-एसआईबी के लिए अतिरिक्त साझा इक्विटी पूंजी (टियर-1) जरूरत को एक अप्रैल, 2016 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया और एक अप्रैल, 2019 से प्रभावी हो गया। केंद्रीय बैंक ने 2015 में एसबीआई और 2016 में आईसीआईसीआई बैंक को इस श्रेणी में शामिल किया था। मार्च, 2017 की स्थिति के अनुसार, एचडीएफसी बैंक को भी डी-एसआईबी श्रेणी में शामिल किया गया।