एजेंसी, ग्लासगो
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sun, 14 Nov 2021 12:11 AM IST
सार
ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में चल रही वार्ता में जलवायु मुद्दे पर अमेरिका-चीन का साथ आना अहम रहा लेकिन कोयला, बिजली और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी के मुद्दे अभी भी वार्ता की मेज पर विचाराधीन हैं। इस वार्ता की अध्यक्षता कर रहे ब्रिटेन के मंत्री और भारतवंशी आलोक शर्मा ने कहा कि उन्हें ग्लासगो में एक महत्वाकांक्षी समझौते की उम्मीद है।
ब्रिटेन के मंत्री और भारतवंशी आलोक शर्मा
– फोटो : twitter
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विस्तार
ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में चल रही वार्ता में जलवायु मुद्दे पर अमेरिका-चीन का साथ आना अहम रहा लेकिन कोयला बिजली और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी के मुद्दे अभी भी वार्ता की मेज पर विचाराधीन हैं।
वार्ता की अध्यक्षता कर रहे ब्रिटेन के मंत्री और भारतवंशी आलोक शर्मा ने कहा कि उन्हें ग्लासगो में एक महत्वाकांक्षी समझौते की उम्मीद है। उन्होंने कहा, मुझे पूरी उम्मीद है कि साथी देश इस मौके का फायदा उठाएंगे। हालांकि कुछ अभियान समूहों ने कहा कि मौजूदा प्रस्ताव पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं हैं।
यहां ग्लासगो में दुनिया के सबसे गरीब देश सबसे ज्यादा खतरा महसूस कर रहे हैं। इस संबंध में ऑक्सफेम के ट्रेसी कार्टी ने कहा कि अभी जो कुछ मेज पर है वह अपर्याप्त है लेकिन अगले कुछ घंटों में हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं उसे बदल सकते हैं और उसे बदलना भी चाहिए।
कुछ नए लक्ष्य भी रखे गए
प्रस्तावित समझौते में 2015 के पेरिस समझौते के अनुरूप वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड लाने के लक्ष्य को पाना जरूरी बताया गया है। साथ ही एक अन्य प्रस्ताव में देशों को 2025 तक 2035 के लिए उत्सर्जन घटाने के लिए और 2030 तक 2040 के लिए पांच साल के चक्र की स्थापना का नया लक्ष्य रखा गया है। पहले, विकासशील देशों से केवल हर 10 साल में ऐसा करने की उम्मीद की जाती थी।
वार्ताकारों को अच्छे नजीजे की उम्मीद
वार्ताकार शनिवार सुबह इस उम्मीद के साथ आयोजन स्थल पर पहुंचे कि उन्हें अब नए समझौते पर मुहर लगाने में मदद मिलेगी। ब्रिटिश अधिकारियों ने शुक्रवार देर रात लगभग 200 देशों के वार्ताकारों को कुछ आराम करने के लिए कहा था। अब भारतीय समयानुसार रविवार तड़के तक वार्ता के महत्वाकांक्षी नतीजों की उम्मीद की जा रही है।
इन मुद्दों पर बंटे हैं देश
वार्ता में शामिल देश तीन जिन मुख्य विषयों पर बंटे हैं उनमें गरीब राष्ट्रों के लिए वित्तीय सहायता, कोयले के इस्तेमाल को खत्म करना और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करना शामिल है। इसमें यह सवाल भी कि शामिल है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए राष्ट्रों को कितनी जल्दी नए लक्ष्यों के साथ वापस आना होगा।