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खुलासा: चीन में मृत्युदंड पाए लोगों के दिल निकाल लेते थे डॉक्टर, सजा मिलने से पहले ही हो जाती थी मौत

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 07 Apr 2022 03:03 PM IST

सार

अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रांसप्लांटेशन में छपी ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी की रिसर्च में इशारा किया गया है कि यह हरकत चीन के सर्जन्स की ओर से ही की गई है। यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च के लिए चीन के वैज्ञानिक जर्नल्स की 2838 रिपोर्ट्स की समीक्षा की। 

चीन में कैदियों के अंग निकाले जाने को लेकर हुआ बड़ा खुलासा।
– फोटो : Social Media

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विस्तार

चीन से एक दिल-दहला देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यहां सैकड़ों की संख्या में सर्जन्स और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों पर मौत की सजा पाए कैदियों के दिल और अहम अंग निकालने और उन्हें मरता छोड़ने के आरोप लगे हैं। एक एकेडमिक पेपर में खुलासा हुआ है कि डॉक्टर यह काम कैदी को सजा दिए जाने से पहले ही कर लेते थे। यानी फांसी या मौत के इंजेक्शन दिए जाने से पहले ही जेल में कैदी की मौत हो चुकी होती थी। 

कहां से हुआ चीन में इस गोरखधंधे का खुलासा?

अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रांसप्लांटेशन में छपी ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी की रिसर्च में इशारा किया गया है कि यह हरकत चीन के सर्जन्स की ओर से ही की गई है। यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च के लिए चीन के वैज्ञानिक जर्नल्स की 2838 रिपोर्ट्स की समीक्षा की। इसमें 71 केस स्पष्ट तौर पर ऐसे सामने आए, जहां कैदी को सजा दिए जाने से पहले ही उसके दिल या फेफड़े निकाल लिए गए और उनके ब्रेन डेड होने से पहले ही वे मौत की कगार पर पहुंच गए। 

जिन 71 केसों का इस रिसर्च में जिक्र किया गया है, वे 1980 से लेकर 2015 के बीच में सामने आए। गौरतलब है कि यही वह समय था, जब चीन ने मौत की सजा पाए कैदियों के अंग निकालने को आधिकारिक तौर पर बैन कर दिया था। इससे पहले तक माना जाता था कि चीन में होने वाले अधिकतर ऑर्गन ट्रांसप्लांट सजा पा चुके कैदियों के अंगों के जरिए ही होता था। चीनी जेलों में इस दौरान जरूरत के मुताबिक कैदियों के मरने के बाद उनके अंगों को निकाला जा सकता था। 

क्या हैं ऑर्गन ट्रांसप्लांट की अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइंस?

दुनियाभर में ऑर्गन ट्रांसप्लांट को कानूनी वैधता तभी मिलती है, जब इसके लिए पहले से अंग दान करने वाले व्यक्ति की संस्तुति ले ली जाती है। नियमों के अनुसार किसी व्यक्ति के शरीर से अंग लेने का यह काम सिर्फ उसकी मौत के बाद ही किया जा सकता है और लिए गए अंगों की पूरी जानकारी व्यक्ति के परिजनों को सौंपना जरूरी है। 

स्टडी को पब्लिश करने वाले रिसर्चरों का क्या कहना है?

इस स्टडी में शामिल रहे पीएचडी रिसर्चर मैथ्यू रॉबर्टसन के मुताबिक, चीनी सर्जन्स ने फायरिंग स्कवॉड या इंजेक्शन के जरिए मारे जाने वाले कैदियों का फायदा उठाने के लिए पहले ही उनके अहम अंगों को निकालने का काम किया, जिससे उनकी मौत सजा मिलने से पहले ही निश्चित हो जाती थी। यानी सजा देने वाले अब सरकारी संस्थांओं से जुड़े अफसरों की जगह सीधे डॉक्टर हो गए थे। और लोगों को मारने का तरीका और भी भयावह था- सीधा उनका दिल निकाल लेना। 

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