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केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी: हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी को शराब की दुकानों के बाहर पंक्तियों में न लगना पड़े

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोच्चि
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Thu, 25 Nov 2021 11:02 PM IST

सार

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि हमने राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव के संदर्भ में न तो किसी भी तरह की अनुमति दी है और न ही सरकार पर कोई प्रतिबंध लगाया है।

केरल उच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई (फाइल)

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केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी को शराब की दुकानों के बाहर लंबी पंक्तियों में न खड़े होना पड़े। कोर्ट ने कहा कि हमने राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव के संदर्भ में न तो किसी भी तरह की कोई अनुमति दी है और न ही सरकार पर कोई प्रतिबंध लगाया है।

न्यायाधीश देवन रामचंद्रन ने कहा, ‘हमें आने वाली पीढ़ी को बचाना होगा। मैं नहीं चाहता कि उन्हें इस तरह से पंक्तियों में खड़े रहना पड़े।’ उन्होंने कहा कि मैं इसीलिए सरकार से बार-बार कह रहा हूं कि शराब की दुकानों में आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। हम इन दुकानों के बाहर लंबी पंक्तियां लगने की और व्यवस्था बिगड़ने नहीं दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इस तरह के स्थानों के आस-पास से लोगों को, खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को निकलने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही केरल हाईकोर्ट ने दो पुनरीक्षण याचिकाओं का निपटारा भी कर दिया। इनमें से एक याचिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीएम सुधीरन की ओर से दाखिल की गई थी।

केरल विधानसभा के पूर्व स्पीकर सुधाकरन ने आबकारी आयुक्त एवं पेय पदार्थ निगम (बेवको) की ओर से प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या को बढ़ाने के सुझाव का विरोध किया था। दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य में शराब की दुकानों से संबंधित हाईकोर्ट के 2017 के फैसले की अलग तरीके से व्याख्या करने की कोशिश की जा रही है।

हालांकि, उच्च अदालत ने कहा कि दोनों ही याचिकाएं सुनवाई के योग्य नहीं हैं। हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यह फैसला सुनाए चार साल बीत चुके हैं और जब कोविड-19 महामारी के दौरान शराब की दुकानों के बाहर भारी भीड़ लग रही थी तब इसकी शिकायत करने के लिए कोई भी पक्ष यह समस्या लेकर अदालत के पास नहीं आया था।

विस्तार

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी को शराब की दुकानों के बाहर लंबी पंक्तियों में न खड़े होना पड़े। कोर्ट ने कहा कि हमने राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव के संदर्भ में न तो किसी भी तरह की कोई अनुमति दी है और न ही सरकार पर कोई प्रतिबंध लगाया है।

न्यायाधीश देवन रामचंद्रन ने कहा, ‘हमें आने वाली पीढ़ी को बचाना होगा। मैं नहीं चाहता कि उन्हें इस तरह से पंक्तियों में खड़े रहना पड़े।’ उन्होंने कहा कि मैं इसीलिए सरकार से बार-बार कह रहा हूं कि शराब की दुकानों में आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। हम इन दुकानों के बाहर लंबी पंक्तियां लगने की और व्यवस्था बिगड़ने नहीं दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इस तरह के स्थानों के आस-पास से लोगों को, खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को निकलने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही केरल हाईकोर्ट ने दो पुनरीक्षण याचिकाओं का निपटारा भी कर दिया। इनमें से एक याचिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीएम सुधीरन की ओर से दाखिल की गई थी।

केरल विधानसभा के पूर्व स्पीकर सुधाकरन ने आबकारी आयुक्त एवं पेय पदार्थ निगम (बेवको) की ओर से प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या को बढ़ाने के सुझाव का विरोध किया था। दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य में शराब की दुकानों से संबंधित हाईकोर्ट के 2017 के फैसले की अलग तरीके से व्याख्या करने की कोशिश की जा रही है।

हालांकि, उच्च अदालत ने कहा कि दोनों ही याचिकाएं सुनवाई के योग्य नहीं हैं। हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यह फैसला सुनाए चार साल बीत चुके हैं और जब कोविड-19 महामारी के दौरान शराब की दुकानों के बाहर भारी भीड़ लग रही थी तब इसकी शिकायत करने के लिए कोई भी पक्ष यह समस्या लेकर अदालत के पास नहीं आया था।

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