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केरल: कूडलमानिक्यम मंदिर में नृत्यांगना को कला का प्रदर्शन करने की नहीं मिली अनुमति, जानें पूरा मामला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, त्रिशूर
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Mon, 28 Mar 2022 11:16 PM IST

सार

शास्त्रीय नृत्यांगना मानसिया ने बताया कि अगर उन्होंने मुझसे कहा होता कि मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था, तो मुझे खुशी होती क्योंकि केरल कलाकारों के साथ ऐसा व्यवहार करता है।इससे पहले मानसिया को इस्लामी समुदाय से परेशानियों का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने और उनकी बहन ने शास्त्रीय नृत्य सीखा था। 

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केरल के त्रिशूर में इरिंजालकुडा के प्रसिद्ध कुडलमानिक्यम मंदिर में आगामी उत्सव के लिए मंदिर में गैर-हिंदू नृत्यांगना को अपनी कला का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई। भरतनाट्यम नृत्यांगना और शास्त्रीय नृत्य में पीएचडी शोधार्थी डांसर मानसिया वी पी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर ये आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मंदिर के अधिकारियों ने कार्यक्रम नोटिस में उनका नाम छापने के बावजूद उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी। वहीं, मंदिर के अधिकारियों ने दावा किया कि मंदिर की परंपरा किसी गैर-हिंदू को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देती है। इसलिए उन्हें अनुमति नहीं दी गई।

गौरतलब है कि मुस्लिम मूल की महिला मानसिया को मंदिर में 15 से 25 अप्रैल तक आयोजित होने वाले 10 दिवसीय राष्ट्रीय नृत्य और संगीत समारोह में प्रस्तुति देनी थी। इस उत्सव के दौरान मंदिर में लगभग 800 कलाकारों के प्रदर्शन की उम्मीद है।

मानसिया ने बताया कि आयोजकों ने मुझे फोन किया और कहा कि वे प्रदर्शन नहीं कर सकती, जब पूछा गया कि क्यों, इस पर उन्होंने कहा कि मंदिर में गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस पर मैंने कहा कि यह एक राष्ट्रीय नृत्य उत्सव है। 

शास्त्रीय नृत्यांगना मानसिया ने बताया कि अगर उन्होंने मुझसे कहा होता कि मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था, तो मुझे खुशी होती क्योंकि केरल कलाकारों के साथ ऐसा व्यवहार करता है। लेकिन ऐसा नहीं था। मैंने कई जगहों पर प्रदर्शन किया है और उनमें से ज्यादातर मंदिरों में किए हैं।

इस बीच, कुडलमानिक्यम देवस्थानम के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने कहा कि यह निर्णय मंदिर की परंपरा का पालन कर रहा है।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम मंदिर परिसर के अंदर हो रहा है, इसलिए मंदिर की परंपरा का पालन करते हुए निर्णय लिया गया। मौजूदा मंदिर परंपरा के अनुसार, गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। यहां तक कि कार्यक्रम के विज्ञापन में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल हिंदू ही मंदिर में प्रदर्शन करने के लिए आवेदन करें।

उन्होंने कहा कि मंदिर के अधिकारी कलाकार का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें भी परंपरा का पालन करना होता है। मेनन ने कहा कि हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। वह महान कलाकार हैं, लेकिन हम मंदिर की परंपरा का पालन करने के लिए बाध्य हैं। इससे पहले मानसिया को इस्लामी समुदाय से परेशानियों का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने और उनकी बहन ने शास्त्रीय नृत्य सीखा था।

विस्तार

केरल के त्रिशूर में इरिंजालकुडा के प्रसिद्ध कुडलमानिक्यम मंदिर में आगामी उत्सव के लिए मंदिर में गैर-हिंदू नृत्यांगना को अपनी कला का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई। भरतनाट्यम नृत्यांगना और शास्त्रीय नृत्य में पीएचडी शोधार्थी डांसर मानसिया वी पी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर ये आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मंदिर के अधिकारियों ने कार्यक्रम नोटिस में उनका नाम छापने के बावजूद उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी। वहीं, मंदिर के अधिकारियों ने दावा किया कि मंदिर की परंपरा किसी गैर-हिंदू को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देती है। इसलिए उन्हें अनुमति नहीं दी गई।

गौरतलब है कि मुस्लिम मूल की महिला मानसिया को मंदिर में 15 से 25 अप्रैल तक आयोजित होने वाले 10 दिवसीय राष्ट्रीय नृत्य और संगीत समारोह में प्रस्तुति देनी थी। इस उत्सव के दौरान मंदिर में लगभग 800 कलाकारों के प्रदर्शन की उम्मीद है।

मानसिया ने बताया कि आयोजकों ने मुझे फोन किया और कहा कि वे प्रदर्शन नहीं कर सकती, जब पूछा गया कि क्यों, इस पर उन्होंने कहा कि मंदिर में गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस पर मैंने कहा कि यह एक राष्ट्रीय नृत्य उत्सव है। 

शास्त्रीय नृत्यांगना मानसिया ने बताया कि अगर उन्होंने मुझसे कहा होता कि मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था, तो मुझे खुशी होती क्योंकि केरल कलाकारों के साथ ऐसा व्यवहार करता है। लेकिन ऐसा नहीं था। मैंने कई जगहों पर प्रदर्शन किया है और उनमें से ज्यादातर मंदिरों में किए हैं।

इस बीच, कुडलमानिक्यम देवस्थानम के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने कहा कि यह निर्णय मंदिर की परंपरा का पालन कर रहा है।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम मंदिर परिसर के अंदर हो रहा है, इसलिए मंदिर की परंपरा का पालन करते हुए निर्णय लिया गया। मौजूदा मंदिर परंपरा के अनुसार, गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। यहां तक कि कार्यक्रम के विज्ञापन में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल हिंदू ही मंदिर में प्रदर्शन करने के लिए आवेदन करें।

उन्होंने कहा कि मंदिर के अधिकारी कलाकार का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें भी परंपरा का पालन करना होता है। मेनन ने कहा कि हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। वह महान कलाकार हैं, लेकिन हम मंदिर की परंपरा का पालन करने के लिए बाध्य हैं। इससे पहले मानसिया को इस्लामी समुदाय से परेशानियों का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने और उनकी बहन ने शास्त्रीय नृत्य सीखा था।

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