अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 17 Jan 2022 07:41 AM IST
सार
पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए आप प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं तो सोने के बाद रियल एस्टेट अच्छा विकल्प है। इसमें लंबी अवधि के लिए निवेश फायदेमंद होता है। हालांकि, रियल्टी में निवेश के लिए प्रॉपर्टी खरीदनी जरूरी नहीं है। बिना इसके भी रियल एस्टेट में कई तरीकों से निवेश कर सकते हैं। पूरा गणित बताती कालीचरण की रिपोर्ट…
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विस्तार
ईआईएफएल सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (रिसर्च) अनुज गुप्ता का कहना है कि अगर कोई अपने आ पोटॅफोलियो में विविधता लाने के लिए प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहता है तो सोने के बाद रियल एस्टेट अच्छा विकल्प बन सकता है। इसमें सीधे निवेश या प्रॉपर्टी में पैसा लगाना लंबी अवधि के लिए फायदेमंद है। रियल एस्टेट में निवेश करने के कई विकल्प हैं सीधे प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं या फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड खरीदकर प्रॉपर्टी में अप्रत्यक्ष निवेश कर सकते हैं। रियल एस्टेट म्यूचुअल फंड्स, रीट और फ्रैक्शनल रियल एस्टेट आदि के जरिये भी इस क्षेत्र में पैसे लगा सकते हैं।
- वह बताते हैं कि निवेश के तरीके बदलने के साथ अब कोई प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत भी नहीं है। आपके पास जितनी पूंजी है, उससे ही रियल एस्टेट में निवेश कर सकते हैं सीधे रियल एस्टेट में निवेश के बजाय अप्रत्यक्ष तरीके से पैसे लगाकर अधिक लिक्विडिटी का भी फायदा पा सकते हैं।
- इस समय आवासीय प्रॉपर्टी से किराये के रूप में कमाई कम हो रही है, लेकिन वाणिज्यिक प्रॉपर्टी से आमदनी ठीक है। अप्रत्यक्ष रूप से रियल एस्टेट में निवेश से इसका फायदा उठा सकते हैं।
रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) रियल एस्टेट में निवेश का आकर्षक विकल्प है। इसके जरिये निवेशकों से पैसे जुटाकर निवेश होता है। इसमें निवेशकों को उसी अनुपात में यूनिट मिलते हैं, जो एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं। इनकी खरीद-बिक्री इक्विटी शेयरों जैसी होती है। रीट एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की तरह है, जिसका पैसा कई हिस्सों में बांटकर रियल एस्टेट में लगाया जाता है। इसकी 90 फीसदी करयोग्य कमाई को निवेशकों के बीच डिविडेंड के रूप में बांटा जाता है। कमाई मालिकाना हक वाली प्रॉपर्टी से मिलने वाले किराये और कुछ हद तक दाम बढ़ने से होती है। इसमें आप एक यूनिट भी खरीद सकते हैं।
म्यूचुअफ फंड: देश के बाहर भी निवेश
म्यूचुअल फंड- ऑफ-फंड्स के पैसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रीट में निवेश होता है। इसके पैसे अधिकत्तर सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के रियल एस्टेट में लगाए जाते हैं। इसका मतलब है कि निवेशकों को देश के बाहर भी रीट मार्केट में निवेश का मौका मिलता है, जो अधिक विकसित है।
फ्रैक्शनल रियल एस्टेट पूंजी की रहती है समस्या
फ्रैक्शनल रीयल एस्टेट (एफआरई) असंगठित स्ट्रक्चर है। इसमें रियल एस्टेट कारोबार या सर्विसेज की कंपनी कई निवेशकों से लीगल दस्तावेजों के जरिये पैसे जुटाकर किसी संपत्ति में निवेश करती है। यह रीट की तरह है, लेकिन दोनों में अंतर है कि एफआरई के तहत एक्सचेंज पर यूनिट सूचीबद्ध नहीं होते। इसमें लिक्विडिटी की समस्या आती है। हालांकि, इसमें प्रॉपर्टी को जानने का अधिक मौका मिलता है।