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काम की खबर: पुराने और नए टैक्स स्लैब का ऐसे करें चुनाव

काम की खबर: पुराने और नए टैक्स स्लैब का ऐसे करें चुनाव

कालीचरण, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 14 Feb 2022 05:38 AM IST

सार

आयकरदाताओं के पास वित्त वर्ष 2020-21 के लिए देय तिथि 31 मार्च, 2022 तक आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने का मौका है। 2020 के बजट में रिटर्न भरने के
के दो विकल्प मुहैया कराए गए थे। पुराना और नया टैक्स स्लैब करदाता टैक्स देनदारी के हिसाब से इनमें कोई एक चुन सकते हैं। नए व पुराने में कौन सा
स्लैब चुनें, पूरा गणित बताती कालीचरण की रिपोर्ट

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पुराने स्लैब में एचआरए, एलटीए होम लोन के ब्याज आदि पर छूट
क्लीयर के संस्थापक एवं सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि नया टैक्स स्लैब दो मायनों में पुराने से अलग है। पहला, नई व्यवस्था में कम दर के साथ अधिक स्लैब हैं। दूसरा, इसमें 70 तरह की छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जो पुराने टैक्स स्लैब में मिलता है। इसलिए आयकरदाताओं को अपनी टैक्स देनदारी, सभी तरह की छूट और कटौती के लाभ की गणना के बाद ही पुराने और नए टैक्स स्लैब में किसी एक का चुनाव करना चाहिए।

पुराने स्लैब के तहत नौकरीपेशा व्यक्ति लीव ट्रैवेल अलाउंस (एलटीए) हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) व स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये की छूट का दावा कर सकता है।

इसके अलावा, व्यक्तिगत करदाता होम लोन के ब्याज और एनपीएस के योगदान आदि पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट का दावा कर सकता है। 

नई व्यवस्था में इन्हें मिल सकेगा फायदा
नई व्यवस्था में उन आयकरदाताओं को सबसे ज्यादा टैक्स का भुगतान करना होता है, जिनकी सालाना कमाई 15 लाख रुपये और उससे अधिक है। यह व्यवस्था उन करदाताओं के लिए फायदेमंद है, जो कम छूट और कटौती का दावा करते हैं। जो लोग ऊंचे टैक्स स्लैब में आते हैं और जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए जरूरी निवेश किया है, उन्हें इस व्यवस्था से बहुत लाभ नहीं होगा।

विस्तार

पुराने स्लैब में एचआरए, एलटीए होम लोन के ब्याज आदि पर छूट

क्लीयर के संस्थापक एवं सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि नया टैक्स स्लैब दो मायनों में पुराने से अलग है। पहला, नई व्यवस्था में कम दर के साथ अधिक स्लैब हैं। दूसरा, इसमें 70 तरह की छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जो पुराने टैक्स स्लैब में मिलता है। इसलिए आयकरदाताओं को अपनी टैक्स देनदारी, सभी तरह की छूट और कटौती के लाभ की गणना के बाद ही पुराने और नए टैक्स स्लैब में किसी एक का चुनाव करना चाहिए।

पुराने स्लैब के तहत नौकरीपेशा व्यक्ति लीव ट्रैवेल अलाउंस (एलटीए) हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) व स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये की छूट का दावा कर सकता है।

इसके अलावा, व्यक्तिगत करदाता होम लोन के ब्याज और एनपीएस के योगदान आदि पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट का दावा कर सकता है। 

नई व्यवस्था में इन्हें मिल सकेगा फायदा

नई व्यवस्था में उन आयकरदाताओं को सबसे ज्यादा टैक्स का भुगतान करना होता है, जिनकी सालाना कमाई 15 लाख रुपये और उससे अधिक है। यह व्यवस्था उन करदाताओं के लिए फायदेमंद है, जो कम छूट और कटौती का दावा करते हैं। जो लोग ऊंचे टैक्स स्लैब में आते हैं और जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए जरूरी निवेश किया है, उन्हें इस व्यवस्था से बहुत लाभ नहीं होगा।

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