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कर्ज : आर्थिक रूप से कमजोर चीनी मिलों को एसडीएफ पर दो साल मोरेटोरियम, आसान किस्तों में अदा करना होगा

कर्ज : आर्थिक रूप से कमजोर चीनी मिलों को एसडीएफ पर दो साल मोरेटोरियम, आसान किस्तों में अदा करना होगा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Thu, 06 Jan 2022 06:04 AM IST

सार

औद्योगिक वित्त सहायता नियम (आईएफसीआई) निजी मिलों के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगी, जबकि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम एनसीटीसी को सहकारी मिलों के आवेदनों की जांच करने के लिए नामित किया गया है। खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अधीन एक समिति योजना के लाभार्थियों का चयन करेगी।

चीनी मिल। (फाइल फोटो )
– फोटो : अमर उजाला।

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केंद्र सरकार ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कर्ज में डूबी चीनी (शुगर) मिलों के लिए कर्ज चुकाने की आसान योजना दी है। इसमें सरकार ने चीनी विकास कोष (एसडीएफ) के माध्यम से बकाया राशि भुगतान करने के लिए एक आसान ऋण पुनर्गठन योजना के दिशा निर्देश जारी किये हैं।

इसके तहत 24 महीने की मोहलत मिल मालिकों को दी जाएगी जिसके बाद उन्हें पांच साल में आसान  मासिक किश्तों पर ऋण वापसी करनी होगी।  सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से मिलों पर बकाया राशि का एक बड़ा हिस्सा इकट्ठा करने में सहायता मिलेगी। 21 अक्तूबर तक 171 चीनी मिलों पर वित्तीय संस्थानों का 3,052.78 करोड़ रुपये बकाया था।

खाद्य एवं सार्वजनिक  वितरण विभाग ने नियम 26 के तहत एसडीएफ कर्जों के पुर्नगठन के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार कर्ज की शेष राशि मूलधन और ब्याज सहित स्थगन अवधि के बाद 5 साल के लिए सामान्य मासिक किस्तों में बांट दी जाएगी। इन दिशा निर्देश में स्पष्ट किया गया कि मिलों पर दंडात्मक ब्याज माफ किया जाएगा। हालांकि मिलों को मूलधन और ब्याज का भुगतान करना होगा।

औद्योगिक वित्त सहायता नियम (आईएफसीआई) निजी मिलों के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगी, जबकि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम एनसीटीसी को सहकारी मिलों के आवेदनों की जांच करने के लिए नामित किया गया है। खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अधीन एक समिति योजना के लाभार्थियों का चयन करेगी। यह केवल बीमार मिलों के लिए मूलधन और ब्याज दोनों को चुकाने का एक प्रस्ताव है। उम्मीद है कि मिल मालिक इस योजना का लाभ उठाएंगे और अपना बकाया चुका देंगे।

विस्तार

केंद्र सरकार ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कर्ज में डूबी चीनी (शुगर) मिलों के लिए कर्ज चुकाने की आसान योजना दी है। इसमें सरकार ने चीनी विकास कोष (एसडीएफ) के माध्यम से बकाया राशि भुगतान करने के लिए एक आसान ऋण पुनर्गठन योजना के दिशा निर्देश जारी किये हैं।

इसके तहत 24 महीने की मोहलत मिल मालिकों को दी जाएगी जिसके बाद उन्हें पांच साल में आसान  मासिक किश्तों पर ऋण वापसी करनी होगी।  सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से मिलों पर बकाया राशि का एक बड़ा हिस्सा इकट्ठा करने में सहायता मिलेगी। 21 अक्तूबर तक 171 चीनी मिलों पर वित्तीय संस्थानों का 3,052.78 करोड़ रुपये बकाया था।

खाद्य एवं सार्वजनिक  वितरण विभाग ने नियम 26 के तहत एसडीएफ कर्जों के पुर्नगठन के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार कर्ज की शेष राशि मूलधन और ब्याज सहित स्थगन अवधि के बाद 5 साल के लिए सामान्य मासिक किस्तों में बांट दी जाएगी। इन दिशा निर्देश में स्पष्ट किया गया कि मिलों पर दंडात्मक ब्याज माफ किया जाएगा। हालांकि मिलों को मूलधन और ब्याज का भुगतान करना होगा।

औद्योगिक वित्त सहायता नियम (आईएफसीआई) निजी मिलों के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगी, जबकि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम एनसीटीसी को सहकारी मिलों के आवेदनों की जांच करने के लिए नामित किया गया है। खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अधीन एक समिति योजना के लाभार्थियों का चयन करेगी। यह केवल बीमार मिलों के लिए मूलधन और ब्याज दोनों को चुकाने का एक प्रस्ताव है। उम्मीद है कि मिल मालिक इस योजना का लाभ उठाएंगे और अपना बकाया चुका देंगे।

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