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एनसीबी: ड्रग तस्करों के खिलाफ पीआईटीएनडीपीएस कानून का इस्तेमाल बढ़ाया, तीन महीने में 18 आदेश जारी हुए

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sun, 20 Feb 2022 08:48 PM IST

सार

नारकोटिक्स ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक पदार्थ की अवैध तस्करी निरोधक कानून (पीआईटीएनडीपीएस), 1988 में नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों के गैरकानूनी धंधे में लिप्त लोगों को एक या दो साल तक हिरासत में रखे जाने का प्रावधान है ताकि उन्हें खतरनाक एवं पूर्वाग्रही गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने सख्त पीआईटीएनडीपीएस कानून का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। बिरले ही इस्तेमाल होने वाले इस कानून के तहत पिछले तीन महीने में सबसे अधिक 18 आदेश जारी किए गए। यह कानून अदातन ड्रग अपराधियों को एहतियातन दो साल तक के लिए हिरासत में लेने की इजाजत देता है। हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिकों के खिलाफ भी यह आदेश जारी किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि हिरासत के दौरान आरोपियों को जमानत या कोई ऐसी राहत नहीं मिलती जो उन्हें छुड़वा सके। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस कानून का इस्तेमाल करने का निर्णय उस वक्त लिया जब एनसीबी महानिदेशक एसएन प्रधान ने एजेंसी के कामकाज की समीक्षा की और निर्देश दिया कि अधिकारियों को केवल बड़े नारकोटिक्स मामलों एवं उनसे जुड़े गिरोहों पर ही फोकस करना चाहिए, पैसों के लेनदेन की जांच के आधार पर मजबूत मामला तैयार करना चाहिए और आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करनी चाहिए।

नारकोटिक्स ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक पदार्थ की अवैध तस्करी निरोधक कानून (पीआईटीएनडीपीएस), 1988 में नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों के गैरकानूनी धंधे में लिप्त लोगों को एक या दो साल तक हिरासत में रखे जाने का प्रावधान है ताकि उन्हें खतरनाक एवं पूर्वाग्रही गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके। अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन महीने में पीआईटीएनडीपीएस के तहत 18 आदेश जारी किए गए जबकि दिसंबर 2019 और नवंबर 2021 के बीच केवल 24 आदेश जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत अफ्रीकी नागरिकों समेत अन्य देशों के लोग भी हिरासत में लिए गए। 

इस आपराधिक कानून की योजना के तहत अभियोजन एजेंसी पहले किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने का प्रस्ताव तैयार करती है। फिर प्रस्ताव का निर्धारित जांच समिति जांच करती है और संबंधित अधिकारी को प्रस्ताव के लिए अनुशंसा करती है या उसे खारिज कर देती है। यह अधिकारी केंद्र में संयुक्त सचिव या राज्य में मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होता है। वह एक साल के लिए हिरासत में लेने का आदेश जारी करता है जिसे हाईकोर्ट के सलाहकार बोर्ड से मंजूरी मिलने पर खास परिस्थिति में दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।

विस्तार

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने सख्त पीआईटीएनडीपीएस कानून का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। बिरले ही इस्तेमाल होने वाले इस कानून के तहत पिछले तीन महीने में सबसे अधिक 18 आदेश जारी किए गए। यह कानून अदातन ड्रग अपराधियों को एहतियातन दो साल तक के लिए हिरासत में लेने की इजाजत देता है। हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिकों के खिलाफ भी यह आदेश जारी किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि हिरासत के दौरान आरोपियों को जमानत या कोई ऐसी राहत नहीं मिलती जो उन्हें छुड़वा सके। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस कानून का इस्तेमाल करने का निर्णय उस वक्त लिया जब एनसीबी महानिदेशक एसएन प्रधान ने एजेंसी के कामकाज की समीक्षा की और निर्देश दिया कि अधिकारियों को केवल बड़े नारकोटिक्स मामलों एवं उनसे जुड़े गिरोहों पर ही फोकस करना चाहिए, पैसों के लेनदेन की जांच के आधार पर मजबूत मामला तैयार करना चाहिए और आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करनी चाहिए।

नारकोटिक्स ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक पदार्थ की अवैध तस्करी निरोधक कानून (पीआईटीएनडीपीएस), 1988 में नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों के गैरकानूनी धंधे में लिप्त लोगों को एक या दो साल तक हिरासत में रखे जाने का प्रावधान है ताकि उन्हें खतरनाक एवं पूर्वाग्रही गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके। अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन महीने में पीआईटीएनडीपीएस के तहत 18 आदेश जारी किए गए जबकि दिसंबर 2019 और नवंबर 2021 के बीच केवल 24 आदेश जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत अफ्रीकी नागरिकों समेत अन्य देशों के लोग भी हिरासत में लिए गए। 

इस आपराधिक कानून की योजना के तहत अभियोजन एजेंसी पहले किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने का प्रस्ताव तैयार करती है। फिर प्रस्ताव का निर्धारित जांच समिति जांच करती है और संबंधित अधिकारी को प्रस्ताव के लिए अनुशंसा करती है या उसे खारिज कर देती है। यह अधिकारी केंद्र में संयुक्त सचिव या राज्य में मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होता है। वह एक साल के लिए हिरासत में लेने का आदेश जारी करता है जिसे हाईकोर्ट के सलाहकार बोर्ड से मंजूरी मिलने पर खास परिस्थिति में दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।

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